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शशि थरूर ने एक्स पर अपनी वाली अंग्रेजी लिखी, यूजर ने ऐसी अंग्रेजी दागी हिंदी बोलने लगे कांग्रेस सांसद

शशि थरूर की अंग्रेजी के जवाब में एक्स पर एक यूजर ने ऐसा जवाब दिया है कि उसे पढ़कर थरूर की भी हिंदी निकल गई.

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यूजर की अंग्रेजी देख शशि थरूर की हिंदी निकल गई (India Today)

‘अंग्रेज भी पानी मांगें’ ऐसी तो शशि थरूर की अंग्रेजी होती है. कुछ लोग तो ये भी सोचते होंगे कि पहाड़ चढ़ लें, लेकिन शशि थरूर की अंग्रेजी से पाला न पड़े. 'एक्स' से सीधे डिक्शनरी तक भेजने वाली पोस्ट किसी की होती है तो वो शशि थरूर हैं. अब आज ही की पोस्ट देखिए. लिखना उनको इतना ही था,

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मैंने सुना है कि कुछ लोग भारत को अड़ियल बता रहे हैं. अन्याय के सामने झुकने या उसे मान लेने से बढ़िया है कि हम अड़ियल बने रहें.

इस आसान सी बात को उन्होंने जैसी कठिन अंग्रेजी में लिख दिया कि भारत के दुश्मन वही पढ़कर ढेर हो जाएं. 'कोट-अनकोट' लगाकर शशि थरूर ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर लिखा-

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I hear some people are accusing India of being “recalcitrant“. I say, far better to be recalcitrant, than to be tractable, submissive or acquiescent to injustice.

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शशि थरूर वाली अंग्रेजी में दिया जवाब

लेकिन इस बार ‘सेर को सवा सेर’ मिल गया. शशि थरूर को इस पोस्ट के जवाब में किसी ने ऐसी अंग्रेजी पढ़ा दी कि उनकी 'हिंदी बाहर निकल आई'. ऐसा सीन आपने आखिरी बार ‘थ्री इडियट्स’ नाम की फिल्म में देखा होगा. आमिर खान के किरदार ‘रैंचो’ ने बुक (Book) की ऐसी परिभाषा बता दी थी कि उसके 'मशीन' पढ़ाने वाले गुरुजी का मुंह खुला रह गया. वो सिर्फ इतना ही कह पाए, “आखिर कहना क्या चाहते हो.”

ऐसे ही ‘सागर’ नाम के यूजर ने शशि थरूर की पोस्ट पर जवाब दिया, 

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That's fine Shashi but what about the abnegation of camaraderie in the egregious enfranchise that comes from the fatuous of the grandiloquent at the behest of impecunious and insidious semaphore?

ऐसे-ऐसे भारी-भरकम शब्द देखकर थरूर का माथा भी चकरा गया होगा. उनके मुंह से मशीन वाले गुरुजी की तरह यही निकला,

भाई आप कहना क्या चाहते हो?

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जब शशि थरूर की हिंदी निकल गई

लेकिन यूजर इतना ‘क्रूर’ नहीं था. उसने थरूर को अपने कहे का मतलब बताया और ऐसा बताया कि लगा ‘अंग्रेजी वाले शशि थरूर’ को ‘हिंदी वाले शशि थरूर’ मिल गए. उसने लिखा,

मैं ये कह रहा था कि सांविधिक विमर्श की अव्यवस्थित प्रासंगिकता, जब असंगत विचार-विन्यास के अप्रत्याशित परिणति-चक्र में संलयित हो जाती है, तब उसका दार्शनिक प्रत्युत्तर भी अनिर्वचनीय निष्प्रयोजनता के व्यूह में ही गुम हो जाता है.

अब ये मतलब थरूर साहब भी समझते रहेंगे. जैसे उनकी अंग्रेजी का मतलब बाकी लोग समझते रहते हैं.

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