जापान में फ्लू के मामले बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं. इतने ज़्यादा कि वहां की सरकार ने इसे महमारी घोषित कर दिया है.
जापान में फैला फ्लू, देशव्यापी महामारी घोषित, भारत को डरने की कितनी ज़रूरत?
जापान की हेल्थ, लेबर एंड वेलफेयर मिनिस्ट्री के मुताबिक, 10 अक्टूबर तक जापान के करीब 3 हज़ार अस्पतालों में 6 हज़ार से ज़्यादा फ्लू के मामले देखे गए हैं.


फ्लू एक वायरल इंफेक्शन है. ये इंफ्लुएंज़ा वायरस की वजह से होता है. इसकी चपेट में आते हैं नाक, गला और फेफड़े. आमतौर पर फ्लू के मामले ठंड में ज़्यादा बढ़ते हैं. जापान में आमतौर पर फ्लू नवंबर के आखिर में या दिसंबर में फैलना शुरू होता है. लेकिन इस बार फ्लू के मामले काफी जल्दी और तेज़ी से बढ़े हैं.
10 अक्टूबर तक जापान के करीब 3 हज़ार अस्पतालों में 6 हज़ार से ज़्यादा फ्लू के मामले देखे गए हैं. ये जानकारी जापान की हेल्थ, लेबर एंड वेलफेयर मिनिस्ट्री ने दी है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, फ्लू के बढ़ते मामलों के चलते कई स्कूल्स को बंद करना पड़ा है. मीडिया और पब्लिक हेल्थ रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले दो हफ्तों में करीब 135 स्कूल, किंडरगार्टन और डे-केयर सेंटर्स बंद किए गए हैं. ये पिछले साल की तुलना में तीन गुना ज़्यादा हैं.
वहीं अस्ताल मरीज़ों से भरे पड़े हैं. कई वॉर्ड्स में उनकी क्षमता से ज़्यादा मरीज़ हैं. वेटिंग रूम भी खचाखच भरे हुए हैं. कुछ-कुछ वैसा ही हाल है, जैसा कोविड-19 महामारी के दौरान था. प्रशासन लोगों को सलाह दे रहा है कि बेवजह अस्पताल न जाएं. मगर जब फ्लू से जुड़े लक्षण दिखें. तब बिल्कुल देर न करें और डॉक्टर से मिलें.
फ्लू के लक्षण- तेज़ बुखार
- सिरदर्द और बदन दर्द
- गले में दर्द
- नाक और गला जाम होना
- लगातार खांसी आना
- थकान और कमज़ोरी लगना
- उल्टी या दस्त लगना, खासकर बच्चों में.
जापान के 47 प्रांतों में से 28 में फ्लू के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है. सबसे ज़्यादा मामले ओकिनावा, टोक्यो, कागोशिमा और यामागाटा में आए हैं.
Health Sciences University of Hokkaido में प्रोफेसर योको स्कामोतो ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बात की है. वो बताती हैं कि इस साल फ्लू का सीज़न बहुत जल्दी शुरू हो गया है. लेकिन बदलते ग्लोबल इनवायरमेंट में ये आम बात हो सकती है.
वैसे तो टोक्यो और दिल्ली के बीच करीब 5.900 किलोमीटर का फासला है. लेकिन कोविड-19 महामारी ने बता दिया कि किसी वायरस के फैलने के लिए दूरी मायने नहीं रखती. वैसे भी इंफ्लुएंज़ा कोई नया वायरस नहीं है. तो क्या भारत में भी फ्लू के मामले बढ़ने वाले हैं. क्या हमें सतर्क होने की ज़रुरत है? ये हमने पूछा एशियन हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन यूनिट थ्री के एसोसिएट डायरेक्टर एंड हेड, डॉक्टर सुनील राणा से.

डॉक्टर सुनील कहते हैं कि फ्लू मुख्य रूप से इन्फ्लुएंज़ा A, इन्फ्लुएंज़ा B और पैराइन्फ्लुएंज़ा वायरस से होता है. इन्फ्लुएंज़ा A में H1N1 और H3N2 जैसे सब-टाइप शामिल हैं. H1N1 को अक्सर स्वाइन फ्लू कहा जाता है. ये गंभीर बीमारियाँ कर सकते हैं. इन्फ्लुएंज़ा B से होने वाला फ्लू भी गंभीर हो सकता है. वहीं पैराइन्फ्लुएंज़ा वायरस से होने वाला फ्लू हल्का होता है. इसमें खास इलाज की ज़रूरत नहीं होती.
जापान में फ्लू के बढ़ते मामलों से डरने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन सावधानी तो बरतनी ही पड़ेगी. क्योंकि, ठंड में हमारे देश में भी फ्लू के मामले बढ़ते हैं. अभी सितंबर में ही दिल्ली-NCR में फ्लू के मामले तेज़ी से बढ़े थे. इसलिए सतर्कता ज़रूरी है.
आप फ्लू की वैक्सीन लगवाएं. वैक्सीन लगवाने से बीमारी गंभीर रूप नहीं लेगी. अस्पताल में एडमिट होने से भी बचा जा सकता है. अगर इन्फ्लुएंजा के लक्षण हैं तो शुरुआती 2-3 दिन में डॉक्टर से संपर्क करें. फ्लू के लिए कुछ दवाइयां उपलब्ध हैं. इनसे अस्पताल में एडमिट होने की नौबत नहीं आती. क्योंकि फ्लू के कुछ मामलों में ICU में एडमिट होना पड़ता है. ये जानलेवा भी हो सकता है.
उन लोगों को ज़्यादा सावधानी बरतनी है, जो जापान जाने का प्लान बना रहे हैं. ऐसे लोग या तो अभी जापान न जाएं. या अगर जाना ही पड़े, तो बहुत सावधान रहें. सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करें. मास्क लगाएं. खांसते या छींकते समय मुंह, नाक ढक लें. और, अगर फ्लू से जुड़े लक्षण महसूस हों. तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें.
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