क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की हिरासत से जुड़े मामले में लेह के जिला मजिस्ट्रेट (DM) ने सुप्रीम कोर्ट को एक हलफनामा सौंपा है. हलफनामे में DM ने वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनके ऊपर राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए आवश्यक सेवाओं को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है.
वांगचुक के काम 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसानदायक', लेह प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंग्मो ने NSA के तहत उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी.


सोनम वांगचुक को 26 सितंबर 2025 को NSA (नेशनल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत गिरफ्तार किया गया था. ये गिरफ्तारी लद्दाख में प्रदर्शनों के दो दिन बाद हुई थी. जिसके बाद वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंग्मो ने NSA के तहत उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. इसी के जवाब में लेह के DM ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच के समक्ष हलफनामे दायर किया. लेह DM ने हलफनामे में हिरासत को अवैध या अनुचित बताने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा,
“हिरासत का आदेश कानून के अनुसार मेरे समक्ष रखे गए डॉक्यूमेंट्स पर विचार करने के बाद जारी किया गया था. जिसमें लेह क्षेत्र में व्याप्त परिस्थितियों को लेकर मेरी व्यक्तिगत संतुष्टि शामिल थी.”
वांगचुक लेह को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और आदिवासी क्षेत्रों की रक्षा के लिए छठी अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे थे. सरकार ने वांगचुक पर इन प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप लगाया. गिरफ्तारी के बाद उन्हें राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में ट्रांसफर कर दिया गया. जहां वो वर्तमान में बंद हैं. बता दें कि NSA, 1980 के प्रावधानों के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारें राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए व्यक्तियों को अधिकतम 12 महीने तक हिरासत में ले सकती हैं. हालांकि, इसे इस अवधि से पहले रद्द भी किया जा सकता है.
वांगचुक को सब बताया गयाहलफनामे में DM ने विस्तार से वांगचुक की हिरासत प्रक्रिया का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि वांगचुक को NSA के तहत हिरासत में लेने और जोधपुर जेल में रखने की स्पष्ट जानकारी दी गई थी. ये सूचना तुरंत उनकी पत्नी गीतांजलि जे आंग्मो को फोन के जरिए दी गई. उन्होंने अपनी याचिका में भी इसकी पुष्टि की है.
DM ने ये भी जानकारी दी कि हिरासत का आदेश और उसके आधार NSA की धारा 10 के तहत सलाहकार बोर्ड को निर्धारित अवधि के अंदर भेज दिए गए थे. डीएम ने कहा,
"लेह क्षेत्र में सोनम वांगचुक द्वारा राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और समुदाय की आवश्यक सेवाओं के विरुद्ध गतिविधियों में लिप्त थे. मैं इस बात से पूरी तरह से संतुष्ट हूं."
डीएम ने स्पष्ट किया कि हिरासत के खिलाफ वांगचुक ने NSA की धारा 10 के तहत कोई औपचारिक प्रतिनिधित्व नहीं किया. जो केवल हिरासत में लिए गए व्यक्ति द्वारा ही किया जा सकता है. हालांकि, उनकी पत्नी ने राष्ट्रपति को संबोधित एक पत्र भेजा था. जिसकी एक कॉपी लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश को भेजी गई. इस लेटर को सलाहकार बोर्ड के समक्ष रखा गया. बोर्ड ने 10 अक्टूबर 2025 को वांगचुक को लिखित रूप से सूचित किया कि यदि वो चाहें तो एक हफ्ते के अंदर प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. डीएम ने कहा,
पहले भी कर चुके हैं प्रदर्शन"याचिकाकर्ता ने सलाहकार बोर्ड या अधिकारियों को नहीं, बल्कि राष्ट्रपति को पत्र भेजा. धारा 10 के अनुसार, केवल हिरासत में लिया गया व्यक्ति ही प्रतिनिधित्व कर सकता है."
24 सितंबर को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी, और 70 से ज्यादा लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारियों ने लेह में BJP कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया था. हिंसा होने से पहले सोनम वांगचुक बीते दो हफ्तों से अनशन पर बैठे थे. 24 सितंबर के घटनाक्रम के बाद उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया था.
प्रदर्शन के पीछे दो प्रमुख मांगें हैं. वांगचुक के नेतृत्व में ‘लेह एपेक्स बॉडी’ लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है. साथ ही उनकी मांग है कि इसे संविधान की छठवीं अनुसूची में भी शामिल किया जाए. इन्हीं वजहों से सोनम वांगचुक पर लोगों को भड़काने का आरोप लगे. हिंसा के बाद वांगचुक लगातार निशाने पर रहे. पिछले कुछ समय से ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है.
वांगचुक इससे पहले भी लद्दाख के पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग उठाते रहे हैं. लद्दाख से लेकर दिल्ली तक उन्होंने लोगों के साथ प्रदर्शन किया और अपनी मांग उठाई है. लेकिन इस बार 24 सितंबर को प्रदर्शन ने हिंसक मोड़ ले लिया. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया.
वीडियो: जोधपुर जेल से एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने मैसेज जारी कर क्या कहा?