'रोज़ दूध पिया करो. वरना स्ट्रॉग कैसे बनोगे? तुम्हारी हड्डियां कमज़ोर हो जाएंगी.'
बचपन में दूध कम पिया, अब खूब पी रहे, क्या हड्डियां मज़बूत हो सकती हैं?
दूध में खूब कैल्शियम होता है, जिससे हड्डियां मज़बूत होती हैं. अगर कोई दूध पीता है, तो उसकी हड्डियों को फायदा ज़रूर पहुंचेगा.


बचपन में अपने घरवालों से ये डायलॉग हमने खूब सुना है. इसके पीछे लॉजिक ये कि अगर अभी दूध पी लिया, तो हमेशा हड्डियां मज़बूत रहेंगी. कभी कमज़ोर नहीं होंगी. पर क्या वाकई ऐसा होता है? बचपन में दूध पीने का असर क्या बुढ़ापे तक रहता है? और, जो लोग बचपन में दूध के नाम से नाक-भौं सिकोड़ते थे. कभी दूध नहीं पीते थे. क्या उनकी हड्डियां हमेशा के लिए कमज़ोर हो गई हैं? क्या वो अब अपनी हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए कुछ नहीं कर सकते? चलिए समझते हैं.
बचपन में दूध पीने के फायदे
ये हमें बताया डॉक्टर श्रीकांत मडिकट्टू ने.

बचपन में दूध पीने के कई फायदे हैं. इससे हड्डियां मज़बूत होती हैं. विटामिन B12 की वजह से दिमाग का विकास होता है.
दूध पीने से इम्यूनिटी मज़बूत होती है. शरीर की ताकत बढ़ती है. हेल्थ भी सुधरती है.
बचपन में दूध पिया तो क्या बुढ़ापे तक हड्डियां कमज़ोर नहीं होंगी?
बचपन में दूध पीने से हड्डियां मज़बूत रहती हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बचपन में दूध पीने से बुढ़ापे तक हड्डियां मज़बूत रहेंगे. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा घटने लगती है. पोषक तत्वों की कमी से भी हड्डियां कमज़ोर होती हैं. एक्सरसाइज़ न करने से भी हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं.
अब दूध पीने से हड्डियां मज़बूत हो सकती हैं?
अगर बचपन में दूध नहीं पिया है, लेकिन किशोरावस्था में पी रहे हैं तो हड्डियां मज़बूत होंगी. दूध में खूब कैल्शियम होता है, जिससे हड्डियां मज़बूत होती हैं. अगर रोज़ पर्याप्त कैल्शियम लें. एक्सरसाइज़ करें. पौष्टिक खाना खाएं. दूसरे विटामिंस भी लें. तब हड्डियां मज़बूत बन सकती हैं. ये गलतफहमी है कि बचपन में दूध न पीने से हड्डियां हमेशा के लिए कमज़ोर हो जाती हैं.

हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए क्या कर सकते हैं?
हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए डाइट अच्छी रखें. अपनी डाइट में कैल्शियम से भरपूर चीज़ें शामिल करें. जैसे दूध, पनीर, दही, रागी, हरी सब्ज़ियां और बादाम. विटामिन D के सप्लीमेंट ले सकते हैं. सुबह-सुबह 15 से 20 मिनट धूप में बैठें. दोपहर में धूप लेने से सनबर्न (स्किन जलने, लाल पड़ने) का रिस्क होता है.
रोज़ एक्सरसाइज़ करना बहुत ज़रूरी है. जैसे चलना, वज़न उठाना, रेज़िस्टेंस ट्रेनिंग करना. जितना हड्डियों पर ज़ोर पड़ता है, उतनी ही वो मज़बूत होती हैं. अगर आप एक्सरसाइज़ कर रहे हैं, कैल्शियम से भरपूर चीज़ें ले रहे हैं. लेकिन शरीर में विटामिन D की कमी है. तब भी आपकी हड्डियां मज़बूत नहीं होंगी. इसलिए, विटामिन D का लेवल नॉर्मल होना बहुत ज़रूरी है
आजकल लोग फिज़िकल एक्टिविटी कम कर रहे हैं. इस वजह से हड्डियों में रिमॉडलिंग की क्षमता भी कम हो रही है. यानी हड्डियों के खुद को ठीक करने और नई हड्डी बनाने की प्रक्रिया धीमी हो रही है.
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हड्डियों में कैल्शियम का जमना कम हो जाता है. वहीं कैल्शियम रिज़ॉर्प्शन की क्षमता बढ़ जाती है. यानी हड्डियों से कैल्शियम जल्दी निकलने लगता है. इसलिए बुज़ुर्गों में बदन दर्द, कमर दर्द और गर्दन दर्द जैसे लक्षण देखे जाते हैं. ऐसा हड्डियों के कमज़ोर होने की वजह से ही होता है. इसे ऑस्टियोपीनिया या ऑस्टियोपोरोसिस कह सकते हैं. इससे बचने के लिए अपनी डाइट अच्छी रखें. रोज़ एक्सरसाइज़ करें. डॉक्टर के कहने पर कैल्शियम और विटामिन D सप्लीमेंट ले सकते हैं. इससे शरीर तंदरुस्त रहता है. इम्यूनिटी मज़बूत होती है, आप बीमारियों से दूर रहते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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