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यशस्वी जायसवाल एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस के चलते अस्पताल में भर्ती, लेकिन ये है क्या?

यशस्वी को एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यशस्वी पुणे में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में मुंबई से राजस्थान के खिलाफ खेल रहे थे. पूरे मैच के दौरान उनके पेट में ऐंठन बनी हुई थी. मैच के बाद उनकी तबियत और ज़्यादा बिगड़ गई.

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भारतीय क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल (फोटो: Twitter@Team64YBJ)

इंडियन क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल को 16 दिसंबर को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. यशस्वी को एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यशस्वी पुणे में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में मुंबई से राजस्थान के खिलाफ खेल रहे थे. पूरे मैच के दौरान उनके पेट में ऐंठन बनी हुई थी. मैच के बाद उनकी तबियत और ज़्यादा बिगड़ गई. यशस्वी को तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया. जांच में पता चला उन्हें एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो गया है.

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एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस क्या होता है? ये हमने जाना मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली में कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, डॉक्टर लोहित चौहान से.

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डॉ. लोहित चौहान, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली

डॉक्टर लोहित बताते हैं कि एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस यानी पेट और आंतों में अचानक सूजन आ जाना. इसकी वजह से डायरिया, उबकाई, उल्टियां, पेट में तेज़ दर्द और ऐंठन होती है. हल्का या तेज़ बुखार भी आ सकता है. कमज़ोरी लगती है, बदन दर्द होता है, डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है.

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एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस होने का सबसे आम कारण है वायरस. जैसे नोरोवायरस या रोटावायरस. ये बैक्टीरिया, जैसे ई. कोलाई, साल्मोनेला, कैम्पिलोबैक्टर और पैरासाइट यानी परजीवी की वजह से भी हो सकता है. वायरस और बैक्टीरिया आमतौर पर दूषित खान-पान के ज़रिए शरीर में पहुंचते हैं. एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस दूषित सतहों को छूने और संक्रमित मरीज़ के सीधे संपर्क में आने से भी फैल सकता है.

इसका सबसे ज़्यादा रिस्क छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों को होता है. जो लोग ज़्यादातर बाहर का खाना खाते हैं, शराब पीते हैं. उन्हें भी हाई रिस्क है. इसके अलावा, कमज़ोर इम्यूनिटी, दूषित पानी, और साफ़-सफ़ाई की कमी से भी एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो सकता है. 

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एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस होने पर पेट में तेज़ दर्द और ऐंठन होगा (फोटो: Freepik)

डॉक्टर लक्षणों को देखकर एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस का पता लगाते हैं. कंफर्म करने के लिए ब्लड टेस्ट और स्टूल टेस्ट किया जाता है.

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ज़्यादातर लोगों में एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन, शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इसलिए मरीज़ को खूब सारा लिक्विड पीना चाहिए. जैसे ORS. हल्का, आसानी से पचने वाला खाना खाना चाहिए. खूब आराम करना चाहिए. ये सब करने से एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस ठीक हो जाता है.

आमतौर पर एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस वायरल होता है. पर्याप्त हाइड्रेशन से कंट्रोल किया जा सकता है. एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत नहीं पड़ती.

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पर्याप्त हाइड्रेशन से एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस कंट्रोल किया जा सकता है (फोटो: Freepik)

लेकिन अगर लगातार उल्टियां या दस्त हो रहे हैं. दस्त में खून आ रहा है. तेज़ बुखार है. बहुत थकावट है. तो ऐसा सीवियर गैस्ट्रोएंटेराइटिस की वजह से हो सकता है. इसके पीछे बैक्टीरियल या पैरासाइटिक इंफेक्शन कारण हो सकता है. एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस नवजात शिशुओं और 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ज़्यादा खतरनाक होता है.

इसलिए लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. वो आपको ज़रूरी दवाएं देंगे. ORS देंगे. IV ड्रिप भी चढ़ा सकते हैं.

बचाव के लिए ज़रूरी है साफ पानी पीना. बाहर का खाने से बचना, ताकि फूड पॉइज़निंग का रिस्क कम हो सके. हमेशा ताज़ा, ढका हुआ खाना ही खाए. खाने से पहले हाथ ज़रूर धोएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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