अभी मई का महीना चल रहा है. पारा 39 डिग्री सेल्सियस पार कर चुका है. मई में ये हाल है. सोचिए, जून कैसा होगा और जुलाई तो कैसा-कैसा होगा?
लू लगने से खुद को कैसे बचाएं? क्या खाना है, क्या नहीं, अभी जान लीजिए
तेज़ धूप पड़ना शुरू हो गई है. कई राज्यों में हीटवेव अलर्ट आने भी शुरू हो गए हैं. हीटवेव को हम आम बोलचाल की भाषा में लू चलना भी कहते हैं.

गर्मियां हर साल बढ़ती जा रही हैं. इस बार भी बहुत ज़्यादा गर्मी पड़ने वाली है. कई राज्यों में हीटवेव अलर्ट आने भी शुरू हो गए हैं. हीटवेव को हम आम बोलचाल की भाषा में लू चलना भी कहते हैं. जब किसी जगह का तापमान, नॉर्मल से बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है. यानी भयंकर धूप पड़ती है. तेज़ गर्म हवाएं चलती हैं और ऐसा कुछ दिनों तक लगातार रहता है तो इसे हीटवेव कहा जाता है. वेव यानी लहर और हीट यानी गर्मी. कुल मिलाकर गर्मी की लहर.
Temperature नाम के जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक, 2001 से 2019 के बीच देश में 19,693 मौतें लू लगने से हुई हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने कुछ वक्त पहले बताया था कि इस साल गर्मियों में देश के ज़्यादातर हिस्सों में तापमान नॉर्मल से ज़्यादा रहेगा. अप्रैल से जून के बीच 10 से 12 दिनों तक लगातार लू चल सकती है. इसका सबसे ज़्यादा असर ओडिशा, झारखंड और उत्तर प्रदेश पर पड़ेगा.
आमतौर पर लू 4 से 7 दिनों तक चलती है. इस बार ऐसा 10-12 दिनों तक होने का चांस है. इसलिए, ज़रूरी है कि खुद को लू से बचाकर रखा जाए. लू लगना शरीर के लिए बेहद नुकसानदेह है. कई मामलों में ये जानलेवा भी साबित हुई है.
लू लगने से शरीर में क्या होता है?
ये हमें बताया डॉक्टर परिणीता कौर ने.

तेज़ गर्मी या लू लगने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इसकी वजह से चक्कर आ सकते हैं. सिरदर्द हो सकता है. उलझन महसूस होती है. मांसपेशियों में ऐंठन भी होने लगती है. जब तापमान बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है तो हीट स्ट्रोक का ख़तरा भी बढ़ जाता है. ऐसा होने पर मरीज़ को उलझन होने लगती है. शब्द लड़खड़ाते हैं. धुंधला दिखना शुरू हो जाता है. पानी की कमी बहुत ज़्यादा हो जाए, तो व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है. हमारे शरीर में एक थर्मोरेगुलेटरी मैकेनिज़्म होता है, जो पसीने के ज़रिए शरीर की गर्मी बाहर निकालता है और शरीर को ठंडा रखता है. लेकिन, जब शरीर का तापमान 104°F (40°C) से ऊपर चला जाता है, तो ये सिस्टम ठीक से काम नहीं करता और हीट स्ट्रोक हो सकता है.
इसके अलावा, अगर शरीर में लंबे समय तक पानी की कमी रहे, तो किडनियों पर असर पड़ सकता है. मरीज़ की किडनियां फ़ेल तक हो सकती हैं. साथ ही, सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जिसे रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस कहा जाता है. लिवर भी ठीक से काम करना बंद कर सकता है. मांसपेशियों की बात करें तो रबडोमायोलिसिस हो सकता है (यानी मांसपेशियों के टिशूज़ का टूटना). इसकी वजह से भी किडनी फ़ेलियर हो सकता है.
लू लगने से खुद को कैसे बचाएं?
- पूरी बांह के सूती कपड़े पहनें
- बाहर निकलते समय छाता लेकर जाएं या अपने सिर को ढककर रखें
- खूब पानी पिएं
- ORS, नारियल पानी, नींबू पानी और छाछ पिएं यानी वो चीज़ें जो इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर हैं
- अपना ज़्यादातर काम सुबह-सुबह या शाम में पूरा करें
- जब तेज़ गर्मी हो, तो धूप में कम से कम काम करें

हीटवेव के दौरान क्या खाना-पीना चाहिए?
- हीटवेव से बचने के लिए हल्का खाना खाएं
- खूब पानी पिएं
- नारियल पानी, ORS और छाछ ज़्यादा लें
- पानी से भरपूर फल खाएं, जैसे तरबूज और खरबूजा
- इसके अलावा, हर तरह की सब्ज़ियां खाएं
- नॉनवेज कम खाएं
- रात में हल्का खाना खाएं
- चाय, कॉफी और शराब न पिएं
- हल्का खाना खाएं ताकि उसे पचाना आसान हो और शरीर को ठंडक मिले
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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