पूर्व ऑस्ट्रेलियन बैटर डेमियन मार्टिन इंड्यूस्ड कोमा में हैं. मेनिन-जाइ-टिस की वजह से डॉक्टर्स ने उन्हें कोमा में रखा है. 44 साल के डेमियन मार्टिन 26 दिसंबर को बीमार पड़ गए. उनका इलाज ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में चल रहा है. अस्पताल के प्रवक्ता का कहना है कि उनकी हालत गंभीर है.
क्या है मेनिनजाइटिस जिसने डेमियन मार्टिन को कोमा में पहुंचा दिया?
54 साल के डेमियन मार्टिन 26 दिसंबर को बीमार पड़ गए थे. उनका इलाज ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में चल रहा है. अस्पताल के प्रवक्ता का कहना है कि उनकी हालत गंभीर है.
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डेमियन मार्टिन ने 67 टेस्ट मैच, 208 वन डे इंटरनेशनल्स और 4 T20I खेले हैं. वो उस ऑस्ट्रेलियन टीम का हिस्सा थे जिसने 1999 और 2003 का क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था. 2003 के फाइनल मैच में तो उन्होंने टूटी उंगली के साथ बैटिंग की, और नाबाद 88 रन बनाए. वो 2006 चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली टीम का भी हिस्सा रहे. डेमियन मार्टिन ने दिसंबर 2006 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.
अब बात उस बीमारी यानी मेनिनजाइटिस की, जिससे डेमियन मार्टिन जूझ रहे हैं. मेनिनजाइटिस क्या है. क्यों होता है. इसके लक्षण क्या है. और, मेनिनजाइटिस का इलाज कैसे होता है. ये सब हमने पूछा मेदांता हॉस्पिटल, नोएडा में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की डायरेक्टर, डॉक्टर नमिता कौल से.

डॉक्टर नमिता बताती हैं कि मेनिनजाइटिस एक बहुत ही गंभीर बीमारी है. इसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी को घेरने वाले मेनिन्जेस टिशूज़ यानी ऊतकों में सूजन आ जाती है. आमतौर पर, मेनिन्जेस हमारे दिमाग और रीढ़ की हड्डी को चोट से बचाते हैं. इन टिशूज़ में नसें, खून की नलियां और सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड यानी CSF होता है. जब मेनिन्जेस में सूजन आती है, तो वो ज़रूरत से ज़्यादा फूल जाते हैं. इससे दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ने लगता है. ये एक जानलेवा बीमारी है. इसलिए, इसका जल्दी से जल्दी इलाज कराना बहुत ज़रूरी है.
मेनिनजाइटिस क्यों होता है?मेनिनजाइटिस होने का सबसे आम कारण इंफेक्शन है. खासकर बैक्टीरिया से होने वाला इंफेक्शन. ये बहुत ख़तरनाक होता है. बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस के लक्षण अचानक से आते हैं. अगर तुरंत इलाज न मिले, तो जान तक चली जाती है. World Health Organization के मुताबिक, दुनियाभर में मेनिनजाइटिस से होने वाली 50 पर्सेंट मौतें सिर्फ 4 तरह के बैक्टीरिया से होती हैं.
मेनिनजाइटिस वायरस, फंगस और पैरासाइट यानी परजीवी से भी हो सकता है. इसके अलावा, ये किसी ऑटोइम्यून बीमारी, कैंसर, किसी दवा के साइड इफेक्ट या सिर की किसी चोट के चलते भी हो सकता है. डेमियन मार्टिन को किस वजह से मेनिनजाइटिस हुआ, ये अभी पता नहीं चला है. लेकिन ये किसी को भी, किसी भी उम्र में हो सकता है.

मेनिनजाइटिस होने पर कुछ खास लक्षण दिखते हैं. जैसे तेज़ बुखार. भयंकर सिरदर्द. गर्दन में अकड़न. तेज़ रोशनी से परेशानी. उबकाई और उल्टी. भ्रम होना. भूख न लगना. बहुत ज़्यादा नींद आना या उठने में परेशानी होना.
बच्चों में मेनिनजाइटिस के लक्षण थोड़े अलग होते हैं. उनके सिर का एक हिस्सा जिसे फॉन्टानेल कहते हैं, उभर आता है. वो लगातार रोते हैं. चिड़चिड़ाते हैं. ठीक से दूध नहीं पीते. सुस्त हो जाते हैं. खूब नींद आती है. फिर नींद से जागने में परेशानी होती है.
मेनिनजाइटिस से जुड़े टेस्टमेनिनजाइटिस को डायग्नोज़ करने के लिए डॉक्टर क्लीनिकल जांच करते हैं. साथ ही, दिमाग का सीटी स्कैन या MRI भी किया जाता है. ये देखने के लिए कि दिमाग के आसपास सूजन तो नहीं है. साथ में ब्लड कल्चर टेस्ट किया जाता है.
इसके अलावा, स्पाइनल टैप यानी लंबर पंचर नाम का टेस्ट भी किया जाता है. इसमें दिमाग के आसपास मौजूद फ्लूइड यानी CSF को जांचा जाता है. ये पता लगाने के लिए, कि कहीं इसमें कोई वायरस या इंफेक्शन पैदा करने वाला कोई एजेंट तो नहीं है. इन्फेक्शन का कारण पता करने के लिए, ज़रूरत पड़ने पर नेसल या थ्रोट स्वाब भी लिया जा सकता है. यानी नाक या गले से नमूने लेना.

इन टेस्ट्स से पता चल जाता है कि व्यक्ति को मेनिनजाइटिस है या नहीं. अगर होता है, तो फिर इलाज शुरू किया जाता है. इलाज कैसा होगा, ये कारण पर निर्भर करता है. अगर बैक्टीरिया की वजह से मेनिनजाइटिस हुआ है. तो एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं. वरना एंटीवायरल या एंटीफंगल दवाएं दी जाती हैं. मतलब जैसी ज़रूरत, वैसी दवा. दर्द कम करने की कुछ दवाएं भी दी जाती हैं. साथ ही, आईवी फ्लूइड्स दिए जाते हैं, ताकि मरीज़ हाइड्रेटेड रहे.
इंड्यूस्ड कोमा की ज़रूरत कब?डेमियन मार्टिन को डॉक्टर्स ने दवाओं के ज़रिए इंड्यूस्ड कोमा में रखा है. ये इलाज का एक हिस्सा है. इसका मकसद दिमाग को आराम देना, सूजन और दबाव कम करना, दौरे रोकना और ऑक्सीज़न और दवाओं का असर बेहतर करना है. जब किसी मरीज़ की हालत बिगड़ जाती है. तब डॉक्टर मरीज़ को दवाइयों की मदद से कोमा में भेजते हैं.
मेनिनजाइटिस को ठीक होने में अमूमन कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों का समय लग सकता है. कुछ लोगों को ठीक होने में 1 से 2 साल भी लग जाते हैं. लेकिन ठीक होने का समय भी बीमारी की जड़ पर निर्भर करता है.

मेनिनजाइटिस के चलते मरीज़ को कुछ कॉम्प्लिकेशंस भी हो सकते हैं. जैसे सुनाई देना या दिखना बंद हो जाना. मूवमेंट में दिक्कत होना. दौरे पड़ना. दिमाग में फ्लूइड जम जाना. दिमाग में मौजूद खून की नलियों को नुकसान पहुंचना. या फिर सेप्सिस हो जाना.
मेनिनजाइटिस से बचावमेनिनजाइटिस से बचाव संभव है. सभी ज़रूरी वैक्सीन लगवाएं, ताकि आप बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शंस से बचे रहें. खांसते-छींकते समय अपना मुंह ढकें. हाथ साफ रखें. अगर किसी को कोई इंफेक्शन है, तो उससे दूसरी बना लें. अगर आपको मेनिनजाइटिस हुआ है, तो समय पर अपना इलाज करवाएं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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