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शाहरुख की वो 5 फिल्में-टीवी शोज़ जिन्होंने दिखाया कि कोई दूसरा उनका हाथ नहीं पकड़ सकता!

इस लिस्ट में से कुछ नामों के बारे में तो उनके पक्के वाले फैन्स को भी खबर नहीं होगी.

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इनमें से कुछ शोज़ और फिल्में फ्री में यूट्यूब पर उपलब्ध हैं.

‘अपने आप को ज़्यादा शाहरुख खान समझ रहे हो क्या?’ ये पूरी तरह से संभव है कि आपने अपने आसपास ऐसा कुछ सुना होगा. शाहरुख खान जो एक एक्टर होते हुए भी सिर्फ एक एक्टर नहीं हैं. मेरी राय में वो अमेरिकन ड्रीम का इंडियन वर्ज़न हैं. एक लड़का जो बाहर से आया, बिना किसी बैकिंग के और फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया. जिस लड़की से पहली नज़र का प्यार हुआ, उससे शादी की. हिन्दू मजॉरिटी वाले देश में सबसे बड़े सुपरस्टार बने.

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02 नवंबर को शाहरुख खान का जन्मदिन है. इस मौके पर उनकी आगामी फिल्म ‘किंग’ पर हल्ला मचेगा, उनके करियर की बेस्ट फिल्मों पर लिस्टिकल छपेंगे. लेकिन हम कहानी को थोड़ा पीछे लेकर जाते हैं. शाहरुख के मेनस्ट्रीम काम से इतर उस काम को याद करते हैं जिन्होंने उनकी नींव मज़बूत की. वो दौर जब उन्होंने खुद को इस देश के सबसे कमाल फिल्ममेकर्स के हाथों में सौंप दिया. इस लिस्ट में ‘सर्कस’ और ‘फौजी’ जैसे नाम नहीं हैं जिनके बारे में दर्जनों बार बात हो चुकी है.

#1. उम्मीद

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एक बैंक मैनेजर के सिर पर मुसीबत आ रखी है. एक छोटा-सा गांव है. भिंगरी नाम का. किसी ने उसका नाम नहीं सुना. मैनेजर को वहां की ब्रांच के लिए एक आदमी को नियुक्त करना है. जिस गांव का नाम किसी ने नहीं सुना, वहां जाने को कोई राज़ी नहीं होता. फिर उनके ध्यान में आता है, आनंद गुप्ता. पतला-दुबला लड़का, चश्मा लगाए जो बस एक कोने में बैठकर काम करता रहता है. आनंद को भिंगरी ब्रांच का मैनेजर बनाकर भेजा जाता है. वो वहां पहुंचकर गांव को समझता है, गांववालों को जानता है, वहां की मुसीबतों में उनका साथी बनता है, और इसी दौरान अपने बैंक को भी संभालता है.

शाहरुख ने आनंद गुप्ता का रोल किया था. ये उनके करियर के एकदम शुरुआती कामों में से एक है. ये वो पॉइंट भी था जब शाहरुख एकदम रॉ थे. कमर्शियल सिनेमा के आडंबरों में रचे-बसे नहीं थे. इस टेलीफिल्म को आप यूट्यूब पर देख सकते हैं.

#2. दूसरा केवल

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शाहरुख ने केवल नाम के लड़के का रोल किया. परिवार वालों की मर्ज़ी के खिलाफ वो अपना गांव छोड़कर शहर आता है. इस बात से बेखबर है कि अब कभी इस गांव में नहीं लौट सकेगा. शहर में उसके साथ कुछ ऐसा होता है जिसका असर गांव में पीछे छूट गए लोगों तक पर पड़ता है. पूरे शो में शाहरुख नियंत्रण में दिखते हैं. उन्हें देखकर लगता है कि आप स्क्रीन पर केवल को देख रहे हैं, शाहरुख खान को नहीं.

#3. अहमक

फ्योदोर दोस्तोवस्की के क्लासिक नॉवल 'दी इडियट' पर आधारित फिल्म. मणि कौल इसके डायरेक्टर थे. वही मणि कौल जो हिन्दी में पैरेलल सिनेमा के अगुआ थे. शाहरुख अपने जीवन के उस दौर में थे जहां वो इंडियन सिनेमा के सबसे बेहतरीन फिल्ममेकर्स के साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने जिस तरह से इस फिल्म में काम किया, उसे देखकर लगेगा कि वो आगे के लिए कुछ भी बचाने के हक में नहीं थे. अपना सब कुछ बस उस एक पल को समर्पित कर देना था.

#4. दिल दरिया

'दूसरा केवल' बनाने वाले लेख टंडन ही इस शो के डायरेक्टर भी थे. एक गांव की कहानी है. दो पड़ोसी परिवार. एक सिख और दूसरा हिन्दू. कहने को दोनों पड़ोसी हैं लेकिन एक परिवार की तरह रहते हैं. दोनों परिवारों के लड़के एक-दूसरे के जिगरी हैं. सब कुछ शांत, सुंदर है. लेकिन फिर हवा बदलती है. उसमें घृणा, धार्मिक मतभेद की बू महकने लगती है. इसका असर इन दोनों परिवारों पर भी पड़ता है. ये इन्हें कैसे बदलता है, वही इस शो की कहानी भी है.

#5. महान कर्ज़

इस शॉर्ट फिल्म के बनने के पीछे भी कई कहानियां रहीं. डायरेक्टर दिनेश लखनपाल को एक एडवरटाइज़िंग एजेंसी के लिए ये फिल्म बनानी थी. प्रोड्यूसर की मांग थी कि उसी लड़के को कास्ट किया जाए जिसने 'फौजी' में लेफ्टिनेंट अभिमन्यु राय का रोल किया था. शाहरुख को कॉल किया. देर रात हो चुकी थी. शाहरुख उस समय चोटिल थे. लखनपाल से कहा कि अभी स्क्रिप्ट सुनाने के लिए आ जाओ. दिल्ली शहर में रात करीब 10:30 बजे दोनों की मीटिंग हुई. शाहरुख राज़ी हो गए. कहानी से इतने खुश थे कि फ्री में भी काम करने को तैयार थे. हालांकि उन्हें इस शॉर्ट फिल्म के लिए 3000 रुपये की फीस मिली थी.

ये वो काम थे जिन्होंने शाहरुख खान दी एक्टर की नींव रखी. शाहरुख ने खुद पर काम किया, खुद को निखारा, एक्टिंग की बारीकियां समझी और आगे चलकर हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में गदर मचाया. आप हिन्दी सिनेमा में उनकी सबसे बेहतरीन परफॉरमेंसेज़ देखिए. उन सभी के शुरुआती निशान आपको इन टीवी शोज़ और फिल्मों में दिखेंगे.           

वीडियो: शाहरुख खान ने जवान के लिए नैशनल अवॉर्ड जीता, इसके पीछे की पूरी कहानी समझ लीजिए

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