सऊदी अरब में अपराधियों और पुलिस की गोलीबारी का शिकार एक भारतीय युवक बन गया. क्रॉस फायरिंग में 27 वर्षीय इंजीनियर विजय कुमार महतो की गोली लगने से मौत हो गई. वो सऊदी अरब में ह्युंडई इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ काम कर रहे थे.
सऊदी अरब में पुलिस और अपराधियों की गोलीबारी के बीच फंसा भारतीय इंजीनियर, गोली लगने से मौत
मृतक विजय महतो अपने वर्कसाइट के पास टहल रहे थे. तभी पुलिस और लोकल एक्सटॉर्शन गैंग के बीच फायरिंग हो गई और वो फंस गए. क्रॉस फायरिंग में गोली लगने से उनकी मौत हो गई.


विजय कुमार महतो झारखंड के गिरिडीह जिले के रहने वाले थे. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, महतो के जीजा राम प्रसाद महतो ने बताया कि घटना 15 अक्टूबर को हुई. उस वक्त विजय अपने वर्कसाइट के पास टहल रहे थे. तभी पुलिस और लोकल एक्सटॉर्शन गैंग के बीच फायरिंग में वो फंस गए. राम प्रसाद ने बताया, “विजय पास में ही थे जब फायरिंग शुरू हुई. गलती से गोली उन्हें लग गई."
रिपोर्ट के मुताबिक गोलीबारी पुलिस और अवैध शराब व्यापार में शामिल अपराधियों के बीच हुई थी. घायल होने के बाद विजय ने अपने पत्नी को एक मैसेज कर मदद भी मांगी थी. उन्होंने ने पत्नी को वॉइस नोट भेज बताया था कि उन्हें गोली लग गई है.
विजय झारखंड के डुमरी ब्लॉक के अंतर्गत दुधापानिया गांव के रहने वाले थे. उनके परिवार के अनुसार, वो ट्रांसमिशन लाइन प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए लगभग एक साल पहले सऊदी अरब गए थे.
परिवार ने आगे बताया कि गोली लगने के बाद विजय को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था. लेकिन गंभीर चोट के कारण उनकी मौत हो गई. परिवार को 24 अक्टूबर को विजय की मौत की खबर मिली. राम प्रसाद ने बताया,
“मरने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी को खोरठा भाषा में एक वॉइस नोट भेजा था. इसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें गोली लगी है. वो मदद के लिए भीख मांग रहे थे.”
विजय के दो बेटे हैं. एक 5 और एक 3 साल का. परिवार में पत्नी के अलावा उनके माता-पिता हैं. झारखंड लेबर डिपार्टमेंट के स्टेट माइग्रेंट कंट्रोल सेल की हेड शिखा लक्रा ने बताया कि 31 अक्टूबर को उनकी बॉडी को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
जेद्दाह में हुई घटनारियाद स्थित भारतीय दूतावास को मिली आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, ये घटना जेद्दाह में हुई थी. फिलहाल महतो का शव मक्का के जुमुम में पब्लिक प्रॉसिक्यूशन ऑफिस की कस्टडी में है. कहा जा रहा है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती और पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता, तब तक उनका शव भारत नहीं लाया जा सकेगा.
उधर विजय के परिवार के कहना है कि वो बॉडी वापस लाने की औपचारिकताएं तब तक पूरी नहीं करेंगे जब तक कंपनी उन्हें मुआवजा देने पर राजी नहीं हो जाती.
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