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लहसुन खाने के फायदे जान लीजिए, लिवर-किडनी थैंक यू बोलेंगे!

अपने खाने में कई लोग लहसुन का इस्तेमाल करते हैं. ये फायदेमंद भी होता है. पर क्या लहसुन खाने से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस तेज़ हो सकता है?

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रोज़ खाली पेट 1 गिलास पानी के साथ लहसुन की 2 कलियों को कूटकर खा सकते हैं (फोटो: Freepik)

सोशल मीडिया पर आए दिन कोई न कोई हेल्थ टिप वायरल होती रहती है. जैसे इन दिनों लहसुन को लेकर एक दावा खूब सुर्खियां बटोर रहा है. दावा है कि इसे खाने से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस तेज़ हो सकता है. यानी शरीर खुद की सफाई ज़्यादा अच्छे से कर पाता है. साथ ही, पोषक तत्व भी शरीर में बेहतर एब्ज़ॉर्व होते हैं.

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अब इन बातों में कितनी सच्चाई है? ये हमने पूछा आकाश हेल्थकेयर में डायटेटिक्स डिपार्टमेंट की हेड गिन्नी कालरा  से.

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गिन्नी कालरा, हेड, डाइटिशियन, आकाश हेल्थकेयर

डाइटिशियन गिन्नी बताती हैं कि शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस तेज़ करने में लहसुन मदद कर सकता है. जब लहसुन को काटा या पीसा जाता है, तो उसमें मौजूद एलिन नाम का कंपाउंड, एलिसिन में बदल जाता है. एलिसिन और लहसुन में मौजूद दूसरे सल्फर कंपाउंड्स, लिवर एंज़ाइम्स को एक्टिव बना देते हैं. एंज़ाइम्स एक तरह के प्रोटीन होते हैं, जो शरीर में केमिकल रिएक्शंस को तेज़ कर देते हैं. जब लिवर में मौजूद एंजाइम अपनी पूरी ताकत से काम करते हैं, तब शरीर खुद की सफाई भी अच्छे से कर पाता है.

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लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं. एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे सेल्स को नुकसान से बचाते हैं. सेल शरीर का बेसिक यूनिट हैं. शरीर का हर हिस्सा सेल से बना है. जब सेल्स कमज़ोर हो जाते हैं या उन्हें किसी तरह का नुकसान पहुंचता है. तब लिवर और किडनी, शरीर में मौजूद टॉक्सिंस यानी ज़हरीले पदार्थों को ठीक से छान नहीं पाते. इससे शरीर डिटॉक्स नहीं हो पाता. उसकी अंदर से सफ़ाई नहीं हो पाती. लेकिन लहसुन खाने से शरीर के सेल्स मज़बूत रहते हैं. इससे डिटॉक्सिफिकेशन भी आराम से होता रहता है.

लहसुन प्रीबायोटिक की तरह भी काम करता है. यानी ये पेट में मौजूद गुड बैक्टीरिया को पोषण देता है. इससे हमारा गट माइक्रोबायोम हेल्दी रहता है. अब ये गट माइक्रोबायोम क्या है? गट यानी पेट और माइक्रोबायोम यानी वो छोटे-छोटे जीव जो खुली आंखों से दिखाई नहीं देते. ये हमारे पेट में रहते हैं. गट माइक्रोबायोम हेल्दी रहने से इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है. हमारा मूड सुधरता है. हाज़मा दुरुस्त रहता है. शरीर पोषक तत्व भी अच्छे से सोख पाता है.

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लहुसन शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस तेज़ कर सकता है (फोटो: Freepik)

लहसुन में मौजूद एलिसिन खून की नलियों को फैलाता है. इससे खून का बहाव सुधरता है. सेल्स तक पर्याप्त ऑक्सीज़न और दूसरे ज़रूरी पोषक तत्व पहुंचते हैं. जब सेल्स हेल्दी होते हैं, तो शरीर के बाकी अंग भी हेल्दी रहते हैं. यानी लहसुन खाने से लिवर और किडनियां ज़्यादा बेहतर काम करते हैं. इसका सीधा फायदा शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेस को पहुंचता है.

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लहसुन में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण भी होते हैं. इसे खाने से शरीर की अंदरूनी सूजन घटती है. सूजन घटने से लिवर और किडनी के सेल्स दोबारा एक्टिव हो जाते हैं. फिर अपनी पूरी क्षमता के साथ शरीर की सफाई करने लगते हैं.

आप चाहें तो कच्चा लहसुन खा सकते हैं. रोज़ सुबह खाली पेट 1 गिलास पानी के साथ लहसुन की 2 कलियों को कूटकर खाने से फ़ायदा होता है. आप अपने खाने में भी लहसुन डाल सकते हैं.

हालांकि, कच्चा लहसुन खाने पर कुछ लोगों को सीने में जलन हो सकती है. गैस, जी मिचलाने, उल्टी और दस्त जैसी दिक्कत भी हो सकती हैं. इसलिए, एक दिन में लहसुन की दो कलियों से ज़्यादा न खाएं. वहीं, अगर आपको कोई ब्लीडिंग डिसऑर्डर है या आप खून पतला करने वाली दवाइयां ले रहे हैं. तब लहसुन खाने से पहले डॉक्टर से राय ज़रूर लें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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