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गुरुग्राम के शख्स के पेट में 8000 पथरियां, क्यों होती है पित्ताशय में पथरी, बचने का तरीका क्या है?

ये सिर्फ एक मामला नहीं है. ये सबक है उन सभी लोगों के लिए, जो शरीर द्वारा दिए जा रहे संकेतों पर ध्यान नहीं देते. लक्षणों को नज़रअंदाज़ करते हैं. तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते, जब तक हालत बद से बदतर नहीं हो जाती.

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पित्ताशय पेट के ऊपरी हिस्से में लिवर के ठीक नीचे होता है

छोटे-छोटे 8,125 पत्थर. सोचिए, कितने सारे होंगे ये. लेकिन, ये पत्थर किसी इमारत का हिस्सा नहीं हैं. ये एक इंसान के शरीर से निकले हैं. 70 साल के एक बुज़ुर्ग के पेट से निकाले गए हैं. मामला हरियाणा के गुरुग्राम का है. यहां के एक प्राइवेट अस्पताल में पिछले दिनों एक बुजुर्ग जांच करवाने आए. वो कई सालों से पेट दर्द, भूख न लगना, कभी-कभी बुखार, कमज़ोरी और सीने में भारीपन जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे. लेकिन, अपना इलाज नहीं करा रहे थे.

जब तबियत बहुत बिगड़ गई, दर्द बर्दाश्त के बाहर हो गया तब उन्हें अस्पताल लाया गया. यहां डॉक्टर ने उनका अल्ट्रासाउंड किया. पता चला कि बुजुर्ग का गॉल ब्लैडर यानी पित्ताशय पथरियों से भरा पड़ा है. मामला गंभीर था, इसलिए डॉक्टर्स ने उनकी सर्जरी की. ये सर्जरी एक घंटे तक चली. कई सारी पथरियां निकाली गईं. जब इन पथरियों की गिनती की गई, तो संख्या निकली 8,125. आपको बता दें, इन पथरियों को गिनने में करीब 6 घंटे लगे. अब ये बुज़ुर्ग ठीक हैं. वो स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है.

ये सिर्फ एक मामला नहीं है. ये सबक है उन सभी लोगों के लिए, जो शरीर द्वारा दिए जा रहे संकेतों पर ध्यान नहीं देते. लक्षणों को नज़रअंदाज़ करते हैं. तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते, जब तक हालत बद से बदतर नहीं हो जाती.

पित्ताशय में पथरी होना यानी गॉल ब्लैडर में स्टोन होना एक आम समस्या है, बशर्ते इसके लक्षण पकड़ में आ जाएं और सही समय पर इलाज हो जाए. हमने मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली में कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉक्टर लोहित चौहान से पूछा कि आखिर पित्ताशय में पथरी यानी गॉलस्टोंस क्यों हो जाते हैं? और, इससे बचने के लिए क्या किया जाए?

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डॉ. लोहित चौहान, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली

डॉक्टर लोहित बताते हैं कि हमारा पित्ताशय पेट के ऊपरी हिस्से में दाईं ओर होता है. ठीक लिवर के नीचे. इसमें बाइल भरा होता है. बाइल यानी पित्त. ये लिवर में बनता है और पित्ताशय में जमा होता है. इस बाइल में पानी, सॉल्ट, बिलीरुबिन और कई दूसरी चीज़ें होती हैं. जब भी हम कुछ ऐसा खाते हैं, जिसमें फैट होता है. तब ये बाइल पित्ताशय से निकलकर छोटी आंत में जाता है. और, उस फैट वाले खाने को पचाने में मदद करता है.

जब बाइल में मौजूद चीज़ों का बैलेंस बिगड़ जाता है. किसी एक चीज़ की मात्रा बढ़ने लगती है. जैसे बिलीरुबिन. तब वो पित्ताशय में नीचे की और जमा होने लगता है और पथरी बनने लगती है. इन्हें पिगमेंट स्टोन्स (Pigment Stones) कहते हैं. सबसे आम तरह के गॉलस्टोन्स हैं- कोलेस्ट्रॉल स्टोन्स (Cholestrol Stones). जो बाइल में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने पर बनते हैं.

पित्ताशय में पथरी होने पर अक्सर कोई लक्षण दिखाई नहीं देते. लेकिन, जब पथरियों का साइज़ बढ़ जाता है या वो बाइल डक्ट को ब्लॉक कर देती है. तब लक्षण दिखने लगते हैं. बाइल डक्ट एक तरह की नली है, जिसके ज़रिए बाइल एक अंग से दूसरे अंग में पहुंचता है. जब कोई बाइल डक्ट ब्लॉक हो जाता है. तब पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होने लगता है. उबकाई आने लगती है. साथ ही, बुखार आता है. दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं. पसीना निकलता है. स्किन और आंखें पीली पड़ जाती हैं. पेशाब का रंग गाढ़ा और स्टूल का रंग हल्का हो जाता है. ये लक्षण रुक-रुक कर आ सकते हैं या लगातार भी रह सकते हैं. अगर आपको ये लक्षण महसूस हों, तो डॉक्टर से मिलकर जांच ज़रूर करवाएं.

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जब पित्ताशय में भरे बाइल में किसी चीज़ की मात्रा बढ़ जाती है, तो उसमें स्टोन बनने का रिस्क रहता है 

अगर डॉक्टर को पित्ताशय में पथरी होने का शक होगा, तो वो पेट का अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कहेंगे. इससे पता चल जाएगा कि पथरी है या नहीं.

पित्ताशय में पथरी होने पर अक्सर डॉक्टर गॉलब्लैडर निकालने की सलाह देते हैं. ये एक लॉन्ग-टर्म सॉल्यूशन है. इससे आगे पथरी होने का रिस्क नहीं रहता. आप बिना पित्ताशय के भी आराम से रह सकते हैं. बस बाइल लिवर से निकलकर सीधे छोटी आंत में जाता है. हालांकि जब किसी वजह से सर्जरी नहीं की जा सकती. जैसे अगर मरीज़ ICU में है, तब कोलेसिस्टोस्टॉमी की जाती है. इसमें पित्ताशय में एक कट लगाया जाता है. फिर उसमें कैथेटर नाम का ट्यूब डाला जाता है और पूरा पित्ताशय खाली कर दिया जाता है.

पित्त की पथरी से बचने के लिए ज़रूरी है कि आप अपना वज़न कंट्रोल में रखें. फास्ट फूड और प्रोसेस्ड खाना कम खाएं. इनमें अलहेल्दी फैट होता है, जिसे पचाना मुश्किल होता है. इससे पित्ताशय पर दबाव पड़ता है और पित्त की थैली में स्टोन होने का रिस्क बढ़ जाता है.

जिन चीज़ों में बहुत ज़्यादा शुगर होती है, उन्हें भी खाने से बचें. जैसे केक, कुकीज़, सोडा, मीठी चाय और एनर्जी ड्रिंक्स वगैरह. इन्हें खाने से बाइल में संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पित्ताशय में पथरी बनने का रिस्क रहता है. आपको फुल-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स के बजाय लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने चाहिए. साथ ही, हेल्दी फैट्स खाएं. ये मछली, एवोकाडो, नट्स, सनफ्लावर ऑयल, सोयाबीन ऑयल और ऑलिव ऑयल में पाया जाता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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