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HMPV भी कोरोना वायरस जैसा घातक है? डॉक्टर ने बताई काम की बात

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस यानी HMPV कोई नया वायरस नहीं है. ये पिछले कई दशकों से हमारे बीच मौजूद है. यानी ये कोरोना वायरस से अलग है. HMPV कई सालों से मौजूद है. ये पहली बार नहीं फैल रहा है.

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HMPV किसी दूसरे फ्लू वायरस की तरह ही फैलता है

HMPV यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस पिछले कई दिनों से चीन में फैल रहा है. भारत में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं. अब कई लोग इसकी तुलना कोरोना वायरस से कर रहे हैं. वो कोरोना वायरस जो 2019 में आया था और जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी. कोविड-19 का पहला केस चीन में मिला था. जिसके बाद ये तेज़ी से पूरे देश में फैला और उसके बाद पूरी दुनिया में.

मगर क्या वाकई ये दोनों वायरस एक जैसे हैं? या इनमें कोई फर्क है? ये हमने पूछा डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा से.

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डॉ. संदीप बुद्धिराजा, ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर, मैक्स हेल्थकेयर

डॉक्टर संदीप कहते हैं कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस यानी HMPV कोई नया वायरस नहीं है. ये पिछले कई दशकों से हमारे बीच मौजूद है. यानी ये कोरोना वायरस से अलग है. HMPV कई सालों से मौजूद है. ये पहली बार नहीं फैल रहा है.

आमतौर पर सर्दियों को फ्लू सीज़न कहा जाता है. क्यों? क्योंकि इस मौसम में सांस से जुड़े इन्फेक्शन पैदा करने वाले वायरस खूब फैलते हैं. खासकर नॉदर्न हेमिस्फेयर में, क्योंकि इन महीनों में यहां ठंड होती है. जब ये वायरस लोगों को संक्रमित करते हैं. तब कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. अब इन वायरस से होने वाले इन्फेक्शन के लक्षण लगभग मिलते-जुलते हैं. इसलिए इन सारे वायरस को एक ही कैटेगरी में रखा जाता है. इन्हें Respiratory या Flu Like Viruses कहा जाता है. जैसे इंफ्लुएंज़ा वायरस. इसे फ्लू वायरस भी कहते हैं. दो मुख्य तरीके के इंफ्लुएंज़ा वायरस होते हैं. इंफ्लुएंज़ा ए और इंफ्लुएंज़ा बी. 

इसके अलावा, इस कैटेगरी में एडिनोवायरस, राइनोवायरस, कोरोना वायरस, स्वाइन फ्लू वायरस और ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस भी हैं. 

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HMPV का इन्फेक्शन होने पर बदन दर्द होता है 

इन वायरस के संपर्क में आने से जो लक्षण महसूस होते हैं. वो हैं बदन दर्द, बुखार, सिरदर्द, नाक बहना, नाक जाम होना, गले में दर्द और गला जाम होना. अब ज़्यादातर मामलों में, ये दिक्कतें अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (Upper Respiratory Tract) में ही होती हैं. यानी नाक, साइनस और गले में.

मगर, कभी-कभी कुछ लोगों में मामला गंभीर हो जाता है. फिर इन्फेक्शन फेफड़ों तक पहुंच जाता है. तब मरीज़ को सांस लेते वक्त दिक्कत होती है. सांस लेते हुए सीटी जैसी आवाज़ आती है. जिसे व्हीज़िंग (Wheezing) कहते हैं.  ब्रोंकियोलाइटिस (Bronchiolitis) हो सकता है. ब्रोंकियोलाइटिस एक तरह का वायरल इंफेक्शन है. जो फेफड़ों के छोटे एयरवेज़ यानी ब्रोंकियोल्स में सूजन आने की वजह से होता है. ये दो साल से कम उम्र के बच्चों में ज़्यादा आम है. कुछ केसों में निमोनिया (Pneumonia) भी हो सकता है.

आमतौर पर इन वायरस से होने वाला इन्फेक्शन गंभीर नहीं होता. उसके लक्षण भी हल्के होते हैं. लेकिन, कुछ खास लोगों में इन्फेक्शन गंभीर रूप ले लेता है. जैसे 5 साल से छोटी उम्र के बच्चों में. बुज़ुर्गों में. ऐसे लोगों में जिन्हें कुछ खास बीमारियां हैं. जैसे डायबिटीज़, दिल की बीमारियां, लिवर की बीमारियां, किडनी की बीमारियां, ऐसे मरीज़ जो डायलिसिस पर हैं और कैंसर के मरीज़.

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संक्रमित मरीज़ के खांसने या छींकने से HMPV फैल सकता है

जहां तक वायरस फैलने की बात है. तो ये दूसरे फ्लू वायरस, जैसे कोरोना वायरस की तरह ही फैलता है. अगर वायरस से संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है. तो उसके संपर्क में आने से ये फैल सकता है.

HMPV का कोई खास इलाज नहीं है. भले ही ये वायरस हमारे बीच सालों से मौजूद है. फिर भी इससे बचने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है. इसका इलाज लक्षणों के आधार पर ही होता है.

HMPV का इनक्यूबेशन पीरियड 3 से 6 दिनों का है. इनक्यूबेशन पीरियड यानी वो समय जो वायरस के संपर्क में आने के बाद, लक्षणों के विकसित होने में लगता है. यानी वायरस से संक्रमित होने का पता आपको तुरंत नहीं चलेगा. बल्कि इसमें कुछ दिन लगेंगे. तब तक आप जितने लोगों के संपर्क में आए हैं, उन्हें भी HMPV होने का रिस्क है.

लिहाज़ा, सावधानियां बरतना ज़रूरी है. बिल्कुल वैसी है, जैसी कोविड के समय, या फ्लू होने पर बरतते हैं. आपको मास्क लगाकर रखना है. भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. खांसते या छींकते समय मुंह ढक लें. डिस्पोज़ेबल टिशू का इस्तेमाल करें. हाथ न मिलाएं. अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से साफ करें. सफ़ाई रखें. सैनीटाईज़र का इस्तेमाल करें. कोई भी लक्षण महसूस हो तो डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें. और 2-3 दिनों के लिए दूसरों से दूरी बना लें.

HMPV चीन में तो तेज़ी से फैल रहा है. भारत के अलग-अलग राज़्यों से भी इसके मामले सामने आ रहे हैं. तो क्या चीन जैसी हालत भारत की भी हो सकती है? ये सवाल भी हमने डॉक्टर संदीप से पूछा.

उनका कहना है कि हमें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. ये कोई नया वायरस नहीं है. हर साल सर्दियों में इसके मामले सामने आते हैं. जब फ्लू से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती है. तो HMPV के मामलों में भी उछाल आता है. ज़रूरी है आप सावधानी बरतें. घबराएं नहीं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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