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स्पर्म डोनर में निकला खतरनाक जीन, दुनियाभर में पैदा हुए 67 बच्चों में से 10 को हुआ कैंसर

Sperm Donor में TP53 Gene का एक म्यूटेशन (बदलाव) हुआ था, जो Li-Fraumeni सिंड्रोम नामक बीमारी की वजह बन सकता है. इस बीमारी के कारण लोगों को जल्दी उम्र में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.

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डोनर के स्पर्म का 2008 से 2015 के बीच इस्तेमाल किया गया. (Getty Images)

एक स्पर्म डोनर में कैंसर का कारण बनने वाले जीन की वजह से कई बच्चों पर आफत आ गई है. इस डोनर के स्पर्म से 67 बच्चों ने जन्म लिया, जिनमें से 10 को ब्रेन ट्यूमर और हॉजकिन लिंफोमा समेत कैंसर का पता चला है. मामला यूरोप के एक शख्स से जुड़ा है जो अपना स्पर्म डोनेट करता था. बाद में उसमें खतरनाक जीन पाया गया, जो कैंसर का कारण बनता है. ये जानकारी इटली के मिलान में एक जेनेटिक्स कॉन्फ्रेंस में दी गई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस डोनर में TP53 जीन का एक म्यूटेशन (बदलाव) था, जो Li-Fraumeni सिंड्रोम नामक बीमारी का कारण बन सकता है. इस बीमारी की वजह से लोगों को जल्दी उम्र में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. इस जीन के बारे में तब कोई जानकारी नहीं थी, जब डोनर ने अपना शुक्राणु दान किया था. हैरानी की बात ये कि ये शख्स अभी भी हेल्दी बताया जा रहा है, जबकि उसके स्पर्म से पैदा हुए बच्चों में कैंसर पाया गया है.

फ्रांस के रूएन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल की बायोलॉजिस्ट एडविज कास्पर ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस जीन वाले लोगों के लिए यह बहुत भारी और तनावपूर्ण हो सकता है. हालांकि, सही समय पर निगरानी से ट्यूमर का पता जल्दी चलता है, जिससे इलाज की संभावना बढ़ जाती है और मरीज की जान बच सकती है.

डोनर से जन्मे बच्चे 2008 से 2015 के बीच आठ यूरोपीय देशों के 46 परिवारों में पैदा हुए थे. इन देशों में फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी, डेनमार्क, स्वीडन, स्पेन, ग्रीस और यूनाइटेड किंगडम का नाम शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 13 और बच्चों में इस म्यूटेशन का असर है, लेकिन फिलहाल किसी को भी कैंसर नहीं हुआ है. अब इन बच्चों को जिंदगी भर निगरानी की जरूरत है, जैसे- MRI स्कैन और डॉक्टर की नियमित जांच.

कास्पर ने बताया कि इस तरह के मामलों में एक बड़ी समस्या यह है कि यूरोप में अलग-अलग देशों में डोनर से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या पर अलग-अलग नियम हैं. जैसे फ्रांस में एक डोनर से सिर्फ 10 बच्चे पैदा हो सकते हैं, लेकिन डेनमार्क में यह संख्या 12 और जर्मनी में 15 है. इस असमानता के कारण खतरा बढ़ जाता है.

इस समस्या को लेकर यूरोपियन स्पर्म बैंक ने कहा कि डोनर को पूरी तरह से जांचा गया था, लेकिन हर जीन में म्यूटेशन का पता लगाना मुमकिन नहीं होता, खासकर अगर आप पहले से उस म्यूटेशन के बारे में नहीं जानते. इस बैंक ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक नया नियम लागू किया है, जिसके तहत एक डोनर के लिए 75 परिवारों की इंटरनेशनल लिमिट रहेगी.

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