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उम्र 53 की, शरीर '23' का, अल्का पटेल के दावे पर डॉक्टर की बातें हैरान कर देंगी

लंदन में रहने वाली डॉक्टर अल्का पटेल का दावा है कि उनकी असल उम्र 53 साल है. मगर उनकी बायोलॉजिकल उम्र सिर्फ 23 साल है. यानी उनकी असल उम्र से 30 साल कम.

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हेल्दी लाइफस्टाइल जीने से अपने अंगों को जवान रखा जा सकता है

लॉन्गेविटी एंड लाइफस्टाइल मेडिसिन की डॉक्टर अल्का पटेल लंदन में रहती हैं. पिछले दिनों उनका एक इंटरव्यू खूब वायरल हुआ. इस इंटरव्यू में डॉक्टर अल्का ने बताया था कि वैसे तो उनकी उम्र 53 साल है, पर उनकी बायोलॉजिकल उम्र सिर्फ 23 साल है. यानी असल उम्र से 30 साल कम. उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें अपने 39वें बर्थडे पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था क्योंकि उन्हें बहुत तेज़ बुखार था. वहां डॉक्टर्स ने उनकी कई जांचें की, पर वो बुखार आने की वजह पता नहीं लगा पाए. आखिर में उन्हें PUO यानी Pyrexia Of Unknown Origin डायग्नोस हुआ. 

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डॉक्टर अल्का पटेल

दरअसल, जब किसी को लगातार तेज़ बुखार रहता है. और, इस बुखार का कोई कारण पता नहीं लग पाता, तो इसे Fever Of Unknown Origin या Pyrexia Of Unknown Origin कहा जाता है. बस यही वो घटना थी, जिसने डॉक्टर अल्का को सबक सिखा दिया. उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए. इसके बाद डॉक्टर अल्का ने अपनी लाइफस्टाइल में कई बदलाव किए और अब उनकी बायोलॉजिकल उम्र 53 नहीं, 23 साल है.

अब इस इंटरव्यू के वायरल होने के बाद, हमारे मन में आए कुछ सवाल. जैसे ये बायोलॉजिकल उम्र क्या होती है? क्या ऐसा प्रैक्टिकली मुमकिन है कि किसी की असल उम्र और बायोलॉजिक उम्र अलग-अलग हो? अगर ऐसा होता है तो कैसे? ये सारे सवाल हमने पूछे शारदा केयर हेल्थसिटी, ग्रेटर नोएडा में इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉक्टर चिराग टंडन से.

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डॉ. चिराग टंडन, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, शारदा केयर हेल्थसिटी, ग्रेटर नोएडा

डॉक्टर चिराग के मुताबिक, बायोलॉजिकल उम्र यानी आपके शरीर के अंगों की उम्र. आपके अंग कितने जवान या कितने बूढ़े हैं. आपके सेल्स, जो शरीर का बेसिक यूनिट हैं, वो कैसा काम कर रहे हैं. आपका मेटाबॉलिज़्म कैसा है. मेटाबॉलिज़्म यानी हम जो खाना खाते हैं, उसे एनर्जी में बदलने, नए सेल्स बनाने और पुराने को बचाए रखने का काम. कुल मिलाकर, बायोलॉजिकल उम्र आपके शरीर का हाल बयां करती है. अगर ये उम्र कम है, तो शरीर बढ़िया काम कर रहा है. कोई दिक्कत नहीं. लेकिन अगर ये उम्र ज़्यादा है, तो इसका मतलब आप हेल्दी नहीं हैं.

वहीं, असल उम्र बताती है कि आपको पैदा हुए कितने साल हो चुके हैं. असल उम्र को आप लाइफस्टाइल में बदलाव करके कम नहीं कर सकते. ये पॉसिबल नहीं है. पर बायोलॉजिकल उम्र को कम किया जा सकता है. जैसे अगर कोई आदमी 45 साल का है. वो रोज़ एक्सरसाइज़ करता है. हेल्दी खाता है. अपना स्ट्रेस मैनेज करना जानता है. तो उसकी बायोलॉजिकल उम्र, उसकी असल उम्र से 10 साल कम हो सकती है. वहीं, अगर यही व्यक्ति एक्सरसाइज़ न करे. खूब अनहेल्दी खाए. बहुत ज़्यादा स्ट्रेस में रहे. पूरी नींद न ले, तो उसकी बायोलॉजिकल उम्र बढ़कर 55 या उससे ज़्यादा पहुंच सकती है.

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बायोलॉजिकल उम्र बढ़ानी है तो आराम छोड़िए, एक्सरसाइज़ करिए 

अगर आप चाहते हैं कि आपकी बायोलॉजिकल उम्र कम रहे. यानी आपका शरीर अच्छे से काम करे. तो एक हेल्दी डाइट लें. अपने खाने में खूब हरी सब्ज़ियां और फल शामिल करें. साथ ही, चीनी कम खाएं. प्रोसेस्ड फूड से परहेज़ करें और शराब न पिएं. आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह पर इंटमिटेंट फास्टिंग कर सकते हैं. इसमें दिन के सीमित घंटों में ही खाना खाया जाता है. लेकिन, केवल डॉक्टर की सलाह पर ही इंटमिटेंट फास्टिंग करें.

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साथ ही, हर हफ्ते कम से कम ढाई घंटे एक्सरसाइज़ करें. रोज़ 7 से 9 घंटों की नींद लें. अगर स्ट्रेस में रहते हैं, तो अपना स्ट्रेस मैनेज करना सीखें. दोस्तों से मिलते रहें. घरवालों से अपनी परेशानियां साझा करें. समय-समय पर अपना बीपी, शुगर लेवल और कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच करवाते रहें. अगर आपने इतना कर लिया, तो आपका शरीर बढ़िया काम करेगा और आपकी बायोलॉजिकल उम्र भी घट जाएगी.

अब बात आई कि आखिर बायोलॉजिकल उम्र का पता कैसे चलता है? ये हमें बताया आकाश हेल्थकेयर में एंडोक्राइनोलॉजी डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर मोनिका शर्मा ने. 

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डॉ. मोनिका शर्मा, सीनियर कंसलटेंट, एंडोक्राइनोलॉजी, आकाश हेल्थकेयर

डॉक्टर मोनिका बताती हैं कि बायोलॉजिकल उम्र पता करने के बहुत सारे फैक्टर्स होते हैं. व्यक्ति की फिज़िकल हेल्थ, मेंटल हेल्थ और जेनेटिक मेकअप को मिलाकर बायोलॉजिकल उम्र पता की जाती है. साथ ही, आसपास का माहौल, खानपान और स्ट्रेस लेवल भी देखा जाता है. बायोलॉजिकल उम्र पता करने के बहुत सारे फॉर्मूला हैं. पर अभी तक कोई भी गोल्ड स्टैंडर्ड फॉर्मूला मौजूद नहीं है.

हालांकि, इसे जानने के कुछ तरीके हैं. जैसे टेलोमेरेस की लंबाई. देखिए, हमारे शरीर के हर सेल के अंदर डीएनए होता है. इस डीएनए के सिरे पर टेलोमेरेस होते हैं. उम्र बढ़ने के साथ टेलोमेरेस की लंबाई कम होती जाती है. अगर ये बहुत छोटे हो गए हैं, तो माना जाता है कि शरीर की उम्र ज़्यादा हो चुकी है. पर ये तरीका आम लोगों के लिए आसानी से मौजूद नहीं है.

आमतौर पर, जो तरीके अपनाए जाते हैं, वो हैं ब्लड टेस्ट. कोलेस्ट्रॉल का लेवल जांचना. खून में शुगर का लेवल चेक करना. किडनी और लिवर से जुड़े टेस्ट करना. इन टेस्ट के रिज़ल्ट से भी शरीर की बायोलॉजिकल उम्र का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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