आजकल फैटी लिवर बहुत ही आम समस्या बन गई है. जो टेस्ट करवा रहा है, उसका फैटी लिवर निकल रहा है. जैसा नाम से पता चल रहा है, फैटी लिवर में लिवर के ऊपर चर्बी जमा हो जाती है. इससे लिवर के काम करने की क्षमता घट जाती है.
सिर्फ ओवरवेट नहीं, पतले लोगों को भी हो सकता है फैटी लिवर, डॉक्टर से जानिए ऐसा क्यों?
फैटी लिवर के कई मरीज़ दुबले होते हैं या वो दिखने में फिट लगते हैं. ऐसे लोगों में फैटी लिवर होने की पहली वजह है विसरल फैट.
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अब तक माना जाता था कि जो लोग शराब पीते हैं. जिनका वज़न ज़्यादा है. उन्हें ही फैटी लिवर होता है. लेकिन ऐसा नहीं है. आजकल जो लोग शराब नहीं भी पीते हैं. या जिनका वज़न ज़्यादा नहीं है. दुबले हैं. उन्हें भी फैटी लिवर हो रहा है. इसे नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ कहते हैं. शॉर्ट में बोलें तो NAFLD. इससे जूझ रहे करीब 10 से 20 प्रतिशत लोग दुबले हैं. उनका BMI 23 से भी कम है. BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स. ये एक तरह का स्केल है. इससे पता चलता है कि व्यक्ति का वज़न उसकी हाइट और उम्र के हिसाब से ठीक है या नहीं.
अब सवाल ये है कि जो इंसान दुबला है. जिसके शरीर पर एक्स्ट्रा चर्बी नहीं दिखती. आखिर उसके लिवर में फैट कैसे जमा हो सकता है? ये हमने पूछा अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के डाइजेस्टिव डिज़ीज़ेस एंड हेपेटोलॉजी डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर रोहित मेहतानी से.

डॉक्टर रोहित बताते हैं कि फैटी लिवर के कई मरीज़ दुबले होते हैं, या वो दिखने में फिट लगते हैं. ऐसे लोगों में फैटी लिवर होने की पहली वजह है विसरल फैट. देखिए, हमारे शरीर में फैट दो तरह का होता है. पहला, सबक्यूटेनियस फैट. ये फैट स्किन के नीचे जमा होता है. इससे आपके शरीर का आकर बदल जाता है. देखकर ही पता चल जाता है इंसान ओवरवेट है. लेकिन ये फैट कम खतरनाक होता है. दूसरा है, विसरल फैट. ये बड़ा डेंजरस है. ये फैट शरीर के अंदरूनी अंगों पर जमा होता है. जैसे लिवर और आंतों पर. नतीजा? फैटी लिवर.
दूसरी वजह है खानपान. हमारे आसपास ऐसा कोई-न-कोई व्यक्ति ज़रूर होता है. जो खूब चट्टपना करता है. चिप्स, नमकीन खाता है. कोल्डड्रिंक पीता है. पर उसका वज़न नहीं बढ़ता. ऐसे लोगों को देखकर हमें लगता है, ‘इनका सही है. कितना भी खा लें. कोई दिक्कत नहीं. इन पर तो कुछ असर ही नहीं होता.’ मगर ऐसा नहीं है. असर हो रहा है. बस दिख नहीं रहा. ऐसी अनहेल्दी चीज़ें खाने से लिवर पर फैट जमा हो सकता है. जिससे फैटी लिवर होता है.
तीसरी वजह है डायबिटीज़, हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई बीपी जैसी लाइफस्टाइल कंडीशंस. अगर किसी को ये समस्याएं हैं तो उसे फैटी लिवर हो सकता है. भले ही उसका वज़न ज़्यादा न हो.
चौथी वजह है जेनेटिक. यानी अगर आपके परिवार में डायबिटीज़, हाई बीपी या फैटी लिवर की हिस्ट्री रही है, तो ये समस्या आपको भी हो सकती है. भले आपका वज़न ज़्यादा न हो.

फैटी लिवर की सबसे खराब बात है कि शुरुआती स्टेज में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते. लोगों को पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें फैटी लिवर हो गया है. इससे इलाज में देर होती है. जब फैटी लिवर सीरियस हो जाता है, तब कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. जैसे थकान, भूख न लगना, उबकाई आना और पेट के दाएं हिस्से में दर्द होना. लेकिन तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है.
आपका लिवर ठीक है या नहीं, ये पता करने के लिए आप लिवर फंक्शन टेस्ट करा सकते हैं.
फैटी लिवर से बचने के लिए ज़रूरी है कि आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें. अपने खाने में पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, मोटा अनाज, राजमा, सोया और एवोकाडो जैसी चीज़ें शामिल करें. पिज़्ज़ा, रेड मीट, फ्राइड फूड, ऐडेड शुगर वाली चीज़ें, जैसे कैंडी, कुकीज़, सोडा और फ्रूट जूस न पिएं. शराब को तो हाथ भी न लगाएं.
साथ ही, रोज़ एक्सरसाइज़ करें. एक हेल्दी वेट मेंटेन करें. कई बार वायरल हेपेटाइटिस की वजह से भी फैटी लिवर हो सकता है. इसलिए हेपेटाइटिस का टीका ज़रूर लगवाएं और समय-समय पर अपना हेल्थ चेकअप कराते रहें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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