क्या आपके हाथ-पैरों में अक्सर झनझनाहट होती है? ऐसा लगता है जैसे चीटियां चल रही हैं. अगर आपका जवाब हां हैं, तो बहुत मुमकिन है कि आपके खून में कैल्शियम की कमी है. इस कंडीशन को हाइपोकैल्सीमिया कहते हैं. हड्डियों में कैल्शियम की कमी होना तो काफ़ी आम है, लेकिन खून में कैल्शियम की कमी कुछ केसों में देखी जाती है. अगर समय रहते खून में कैल्शियम की कमी दूर न की जाए, मरीज़ का इलाज न हो, तो जान जाने का ख़तरा भी रहता है.
खून में कैल्शियम की कमी से जान का खतरा, लक्षण और इलाज जानना जरूरी
आज बात करेंगे हाइपोकैल्सीमिया पर. डॉक्टर से जानेंगे कि हाइपोकैल्सीमिया क्या है. खून में कैल्शियम की कमी क्यों हो जाती है. ऐसा होने पर शरीर में कौन-से लक्षण दिखाई देते हैं. इसका इलाज क्या है. और ये दिक्कत न हो, इसके लिए क्या खाएं.

आज बात करेंगे हाइपोकैल्सीमिया पर. डॉक्टर से जानेंगे कि हाइपोकैल्सीमिया क्या है. खून में कैल्शियम की कमी क्यों हो जाती है. ऐसा होने पर शरीर में कौन-से लक्षण दिखाई देते हैं. इसका इलाज क्या है. और ये दिक्कत न हो, इसके लिए क्या खाएं.
हाइपोकैल्सीमिया क्या होता है?ये हमें बताया डॉ. तन्मय पांड्या ने.

- हाइपोकैल्सीमिया यानी खून में कैल्शियम की कमी होना.
- हमारे शरीर में सबसे ज़्यादा कैल्शियम हड्डियों में पाया जाता है.
- खून में ये बहुत कम मात्रा में होता है.
- खून में कैल्शियम की कमी बहुत आसानी से नहीं होती.
- कुछ खास वजहों से हाइपोकैल्सीमिया होता है.
हाइपोकैल्सीमिया होने के कारण- हमारे शरीर में सबसे ज़्यादा कैल्शियम हड्डियों में होता है.
- खून में कैल्शियम की मात्रा बहुत कम होती है.
- इसलिए हाइपोकैल्सीमिया बहुत आम बीमारी नहीं है.
- विटामिन D की कमी या गंभीर पोषण की कमी से हाइपोकैल्सीमिया हो सकता है.
- किडनी की बीमारी या PTH (पैराथायरॉइड) हॉर्मोन की कमी से खून में कैल्शियम की मात्रा घट सकती है.
- इससे व्यक्ति को हाइपोकैल्सीमिया हो सकता है, लेकिन ये बहुत आम नहीं है.
- मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स की कमी के साथ कैल्शियम भी घट सकता है.
- कुछ रेयर और जेनेटिक कंडीशंस आंतों, हड्डियों या किडनी पर असर डालती हैं.
- इनसे शरीर में कैल्शियम का बैलेंस बनाने वाला सिस्टम फेल हो जाता है.
- जिससे खून में कैल्शियम की कमी हो जाती है.

- हाथों-पैरों में झनझनाहट महसूस होना.
- ऐसा लगना जैसे चींटियां चल रही हों या कुछ काट रहा हो.
- अचानक जकड़न होना, खासकर हाथों या पैरों के तलवों में.
- ब्लड प्रेशर नापते समय भी जकड़न महसूस होना.
- हाइपोकैल्सीमिया होने पर ये सभी लक्षण दिखाई दे सकते हैं.
- अगर कैल्शियम बहुत ज़्यादा कम हो जाए, तो ये गंभीर स्थिति होती है.
- मरीज़ के दिल की धड़कन (रिदम और रेट) में गड़बड़ी आ सकती है..
- मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं.
- सांस रुकने की नौबत आ सकती है.
- बहुत गंभीर हालत में सांस की नली चोक भी हो सकती है.
हाइपोकैल्सीमिया का इलाज- हाइपोकैल्सीमिया का इलाज उसका कारण जानने से शुरू होता है.
- इसके लिए डॉक्टर ज़रूरी जांचें करते हैं.
- कारण पता चलने के बाद उसे दूर किया जाता है, ताकि हाइपोकैल्सीमिया आगे न बढ़े.
- मरीज़ को कैल्शियम सप्लीमेंट्स भी दिए जाते हैं.
- जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें कैल्शियम से भरपूर चीज़ें खानी चाहिए.
- जैसे दूध, दही और चीज़ जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स.
- आप हरी पत्तेदार सब्ज़ियां भी खा सकते हैं.
- भिंडी, ब्रॉकली, सोया, टोफू और सोया मिल्क कैल्शियम के अच्छे सोर्स हैं.
- कुछ मछलियों में भी कैल्शियम पाया जाता है.
- अगर हाइपोकैल्सीमिया किसी बीमारी से जुड़ा हुआ है, तब डॉक्टर के बताए कैल्शियम सप्लीमेंट्स की ज़रूरत पड़ती है.
खून और हड्डियों में कैल्शियम की कमी से बचना है तो कैल्शियम से भरपूर चीज़ें खाना बेहद ज़रूरी है. इसके लिए डॉक्टर साहब ने जो खाने की चीज़ें बताई हैं, उन्हें नोट डाउन कर लीजिए.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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