सना मकबूल मशरूर टीवी एक्ट्रेस हैं. साल 2024 में सना बिग बॉस ओटीटी 3 की विनर बनी थीं. पिछले दिनों उनकी एक तस्वीर खूब चर्चा में रही. इस तस्वीर में सना हॉस्पिटल के बेड पर लेटी नज़र आ रही हैं और उनके हाथ में IV ड्रिप लगी हैं. इस साल मार्च के महीने में सना ने एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने बताया था कि उन्हें ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस है. वो काफी वक्त से इससे जूझ रही हैं. उन्हें साल 2020 में इस कंडीशन का पता चला था.
सना मकबूल को लिवर सिरोसिस इस बीमारी की वजह से हुआ
मार्च 2025 में सना ने एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने बताया था कि वो ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस से जूझ रही हैं. मगर अब पता चला है कि उन्हें लिवर सिरोसिस भी हो गया है.
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इसके बाद 8 जून को उनकी डॉक्टर दोस्त आशना कांचवाला ने इंस्टाग्राम पर उनकी हॉस्पिटल वाली तस्वीर शेयर की. साथ ही लिखा कि वो इस बीमारी को हराकर और भी मज़बूत बनकर निकलेंगी. लेकिन, पोस्ट में उनकी किस बीमारी की बात हो रही है, इसका ज़िक्र नहीं था.
अब सना ने हिंदुस्तान टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया है. इसमें उन्होंने बताया कि वो अब तक ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस से जूझ रही थीं. लेकिन, अब उन्हें लिवर सिरोसिस भी हो गया है. फिलहाल वो इम्यूनोथेरेपी करा रही हैं और उनका पूरा फोकस अभी अपनी रिकवरी पर है. सना लिवर ट्रांसप्लांट नहीं कराना चाहतीं. और, इसे अवॉइड करने के लिए जो कुछ करना चाहिए, वो कर रही हैं.
देखिए, सना को फिलहाल दो बीमारियां हैं. पहली, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस. दूसरी, लिवर सिरोसिस. मगर इन बीमारियों में होता क्या है? इनका आपस में क्या कनेक्शन है और इनसे बचा कैसे जाए? ये सब हमने पूछा मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम में लिवर ट्रांसप्लांट एंड HPB सर्जरी के डायरेक्टर डॉक्टर पुनीत सिंगला से.

डॉक्टर पुनीत बताते हैं कि हम सबके शरीर में एक इम्यून सिस्टम होता है. इसका काम शरीर को बीमारियों और इन्फेक्शंस से बचाना है. यानी किसी भी ऐसी चीज़ से, जो शरीर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है. जैसे वायरस, बैक्टीरिया, फंगस वगैरा. मगर ऑटोइम्यून बीमारी में शरीर खुद का ही दुश्मन बन जाता है. अपने ही शरीर के हेल्दी सेल्स को दुश्मन समझ बैठता है और उन पर हमला बोल देता है. इससे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचता है.
जिस बीमारी से सना काफी सालों से जूझ रही हैं, वो है ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस. हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी बीमारी है. ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस में शरीर का इम्यून सिस्टम लिवर के हेल्दी सेल्स पर अटैक कर देता है. इससे लिवर को बहुत ज़्यादा नुकसान पहुंचता है. उसमें सूजन आ जाती है. अगर लंबे वक्त तक ऐसा होता रहे, तो लिवर सिरोसिस भी हो सकता है. ऐसा होने पर लिवर में घाव हो जाते हैं और उसके काम करने की क्षमता बहुत हद तक घट जाती है. जैसा सना मकबूल के साथ हुआ है.
महिलाएं और वो लोग जिनके परिवार में ऑटोइम्यून बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री रही है, उन्हें इसका खतरा ज़्यादा है.

अगर समय पर इस बीमारी को पकड़ लिया जाए, तो दवाइयों के ज़रिए ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस को कंट्रोल किया जा सकता है. अगर बीमारी का पता न चले, या उसका इलाज न किया जाए, तो लिवर सिरोसिस हो सकता है. आगे चलकर, लिवर फेल भी हो सकता है और लिवर ट्रांसप्लांट कराने की नौबत आ सकती है.
मगर इस बीमारी का पता कैसे चलता है? देखिए, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग होते हैं. किसी में इसके लक्षण दिखते हैं, तो किसी में नहीं. आमतौर पर जो लक्षण दिखते हैं, वो हैं बहुत ज़्यादा थकान महसूस होना. हल्का बुखार रहना. भूख न लगना. पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में दर्द या भारीपन महसूस होना. अक्सर ब्लोटिंग रहना. आंखों और स्किन का पीला पड़ जाना. पेशाब का रंग गहरा हो जाना. वहीं स्टूल का रंग हल्का हो जाना. स्किन में खुजली होना. जोड़ों में दर्द रहना. स्किन पर लाल चकत्ते पड़ना और महिलाओं में पीरियड्स इर्रेगुलर हो जाना.
अगर किसी को ऐसे लक्षण महसूस होते हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर कुछ ज़रूरी ब्लड टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट और लिवर बायोप्सी करवाई जाती है. इससे बीमारी का पता लगाने में मदद मिलती है. आपको साल में एक बार लिवर फंक्शन टेस्ट भी ज़रूर कराना चाहिए. ताकि ये पता चल सके कि लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं.
वहीं ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस से बचने के लिए दूसरी बीमारियों को कंट्रोल में रखना बेहद ज़रूरी है. जैसे टाइप-1 डायबिटीज़ और थायरॉइड डिसऑर्डर्स. अगर आपके घर में ऑटोइम्यून बीमारियों की हिस्ट्री रही है, तो साल में एक बार अपनी जांच ज़रूर कराएं. साथ ही, हेल्दी खाना खाएं. प्रोसेस्ड फूड, ज़्यादा चीनी और ट्रांस फैट से बचें. 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद लें. स्ट्रेस मैनेज करना सीखें. और, शराब तो कतई न पिएं. इससे लिवर को बहुत नुकसान पहुंचता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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