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ज्वाला गुट्टा ने डोनेट किया 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क, पर इसकी ज़रूरत क्या है?

जिन बच्चों की प्री-मेच्योर डिलीवरी हुई है यानी समय से पहले, जो बीमार हैं, वज़न कम हैं या जो बच्चे सेरोगेसी से हुए हैं. उनके लिए ये ब्रेस्ट मिल्क जान बचाने वाला साबित हो सकता है.

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ज्वाला गुट्टा ने करीब 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान किया है (X @Guttajwala)

भारत की बैडमिंटन स्टार और दो बार ओलंपियन रहीं ज्वाला गुट्टा इन दिनों चर्चा में हैं. वजह है ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन. 17 अगस्त को ज्वाला गुट्टा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. लिखा, ‘ब्रेस्ट मिल्क जानें बचा सकता है. प्रीमेच्योर और बीमार बच्चों का जीवन बदल सकता है. अगर आप ब्रेस्ट मिल्क दान कर सकती हैं, तो आप किसी ज़रूरतमंद परिवार की हीरो बन सकती हैं. इसके बारे में और जानिए, इसे लेकर जागरूकता फैलाइए और मिल्क बैंक्स को सपोर्ट करिए.’

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इस पोस्ट के साथ उन्होंने तीन तस्वीरें भी शेयर कीं. पहली तस्वीर में खुद ज्वाला नज़र आ रही हैं. उनके सामने दो डिब्बों में कई पैकेट रखे हुए हैं. दूसरी फोटो से साफ होता है कि इन पैकेट्स में दूध है. तीसरी फोटो एक सर्टिफिकेट की है. ये उस अस्पताल ने ज्वाला को दिया है. जहां उन्होंने अपना ब्रेस्ट मिल्क दान किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्वाला गुट्टा ने अब तक लगभग 30 लीटर ब्रेस्ट मिल्क दान किया है. 

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मगर ब्रेस्ट मिल्क दान करने की ज़रूरत क्यों है? ये किन बच्चों के काम आता है? और कौन महिलाएं ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर सकती हैं? ये सब हमने पूछा Delhi IVF में गायनेकोलॉजी एंड आईवीएफ की सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर आस्था गुप्ता से.

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डॉ. आस्था गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, गायनेकोलॉजी एंड आईवीएफ, दिल्ली आईवीएफ

डॉक्टर आस्था बताती हैं कि ब्रेस्ट मिल्क कई बच्चों की जान बचा सकता है. मां का दूध नवजात बच्चों को पोषण देता है. इस दूध में विटामिंस, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट्स और फैट्स होते हैं. जो बच्चे के विकास और इम्यूनिटी के लिए बहुत ज़रूरी हैं.

कुछ महिलाओं में डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट में पर्याप्त दूध नहीं बनता. ऐसे में दान किया गया ब्रेस्ट मिल्क उन बच्चों के काम आ सकता है. इसी तरह, जिन बच्चों की प्री-मेच्योर डिलीवरी हुई है यानी समय से पहले. जो बीमार हैं, वज़न कम हैं या जो बच्चे सेरोगेसी से हुए हैं. उनके लिए ये ब्रेस्ट मिल्क जान बचाने वाला साबित हो सकता है. जिन बच्चों की मां नहीं है, या जो बच्चे गोद लिए गए हैं. उनके लिए भी ये ब्रेस्ट मिल्क बहुत ज़रूरी है.

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मगर हर महिला अपना ब्रेस्ट मिल्क डोनेट नहीं कर सकती. ब्रेस्ट मिल्क डोनर्स को कुछ बॉक्सेज़ टिक करना ज़रूरी है. जैसे– डोनर महिला डोनेशन के समय अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हों. स्वस्थ हों. नियमित रूप से कोई दवा या सप्लीमेंट न ले रही हों. ज़रूरी ब्लड टेस्ट कराने को तैयार हों. सबसे ज़रूरी, अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद उनके पास एक्स्ट्रा दूध बचता हो. अगर कोई महिला इन सारे पैमानों पर खरी उतरती है, तो वो अपना ब्रेस्ट मिल्क दान कर सकती है.

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कुछ महिलाओं में डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट में पर्याप्त दूध नहीं बनता, ऐसे में दान किया गया ब्रेस्ट मिल्क उन बच्चों के काम आ सकता है (X @Guttajwala)

दान कैसे करना है, अब वो समझिए.

सबसे पहले तो किसी नज़दीकी ह्यूमन मिल्क बैंक या अस्पताल को खोजें. इसके लिए आप गूगल की मदद ले सकते हैं.

2 अगस्त 2024 को The Times Of India में एक रिपोर्ट छपी थी. इसमें ह्यूमन मिल्क बैंकिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के फाउंडर कन्वीनर, डॉक्टर सतीश तिवारी ने बताया था कि भारत का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक 1989 में मुंबई में खुला था. आज देश में 125 मिल्क बैंक्स खुल चुके हैं.

एक बार आपको अपना नज़दीकी ह्यूमन मिल्क बैंक मिल जाए, तो उनसे संपर्क करिए. वो आपके कुछ ज़रूरी टेस्ट करेंगे. ताकि ये पता चल सके कि कहीं आपको HIV, हेपेटाइटिस या कोई दूसरा इंफेक्शन तो नहीं है. आपकी मेडिकल हिस्ट्री भी चेक की जाएगी.

अगर सब ठीक रहता है, तब महिला को स्टरलाइज़्ड यानी कीटाणुमुक्त बोतल या पैकेट दिए जाते हैं. ब्रेस्ट पंप की मदद से डोनर महिला ब्रेस्ट मिल्क पंप करती है और उसे इन पैकेट्स या बोतल में भर्ती है. इस दूध को तुरंत फ्रीज़ किया जाता है. उसके बाद इन्हें मिल्क बैंक में जमा करना होता है.

मिल्क बैंक में इस दूध को पाश्चराइज़ किया जाता है. यानी बैक्टीरिया को मारकर दूध को एकदम सेफ बनाया जाता है. फिर ये दूध अस्पतालों के ज़रिए ज़रूरतमंद बच्चों को दिया जाता है. कई स्टडीज़ में देखा गया है कि जिन बच्चों को मां का दूध मिलता है. उनका विकास तेज़ी से होता है. उनकी इम्यूनिटी मज़बूत होती है. इंफेक्शंस और बीमारियों का रिस्क घटता है.

एक ज़रूरी बात. भारत में ब्रेस्ट मिल्क दान करने पर कोई पैसा नहीं मिलता. ये पूरी तरह स्वैच्छिक है. यानी अपनी इच्छा से किया जाता है. इसी तरह, जिन बच्चों तक ये दूध पहुंचता है. उनके घरवालों को भी आमतौर पर कोई पैसा नहीं देना पड़ता. खासकर जब ये अस्पताल में भर्ती बच्चों के लिए हो.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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