किसान आंदोलन की तस्वीर को बताया था प्रोपागैंडा
पूरा मामला कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक ट्वीट से शुरू हुआ. उन्होंने 28 नवंबर को किसान आंदोलन की एक तस्वीर के साथ ट्वीट किया. तस्वीर PTI के फ़ोटोजर्नलिस्ट रवि चौधरी की ली हुई.

अमित मालवीयर बीजेपी के आईटी सेल के इंजार्ज हैं और सोशल मिडिया पर पार्टी के बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं.
क्या है इस वीडियो का सच असल में जिस वीडियो को अमित मालवीय ने शेयर किया वह किसान आंदोलन का ही है. लेकिन उन्होंने वह वीडियो अपने हिसाब से एडिट करके शेयर किया है. द लल्लनटॉप के पास मौजूद वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि किसान पर लाठीचार्ज होने के दौरान उसे लाठी लगती है. न कि सिर्फ लाठी लहराने के वक्त तस्वीर खींच ली गई है.
क्या है ट्विटर की फैक्ट चेक तकनीक
ट्विटर ने हाल ही में अपने प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज की बढ़ती आमद को देखते हुए एक टूल लॉन्च किया है. इसमें भ्रामक दावों, छेड़छाड़ की गई तस्वीरों-वीडियो की जांच की जाती है. ऐसे ट्विटर अपने यूजर्स को आगाह करता है कि वो जो भी देख रहे हैं या शेयर कर रहे हैं उसमें सच्चाई है या नहीं.

डॉनल्ड ट्रंप भी इसके लपेटे में आ चुके हैं. ट्रंप बाइडन से चुनाव में हार पर खार खाए बैठे हैं. जब तब जीत के दावे करते रहते हैं. इस पर उनके ट्वीट के नीचे ट्विटर की झंडी लगनी शुरू हो गयी है. झंडी यानी रिमार्क. रिमार्क का मतलब ये कि जो दावा किया जा रहा है, वो भ्रामक है और इसके बारे में ज्यादा जानकारी ली जानी चाहिए.