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पड़ताल: योगी के यूपी में नहीं मिल रही लोगों को एम्बुलेंस? सच जानिए

सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में दो आदमी एक महिला के शव को बाइक पर ले जाते नज़र आ रहे हैं.

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फोटो - thelallantop
दावा सोशल मीडिया पर एक महिला के शव को बाइक पर ले जाने की तस्वीर वायरल हो रही है. तस्वीर में एक आदमी बाइक चला रहा है, जबकि दूसरा आदमी एक महिला को पकड़कर पीछे बैठा है. तस्वीर में महिला बाइक पर दोनों आदमियों के बीच बेसुध पड़ी दिखाई दे रही है.
दावा
है कि वायरल तस्वीर उत्तर प्रदेश की है, जहां एम्बुलेंस सेवाएं बंद कर दी गई हैं. एम्बुलेंस न मिलने के कारण महिला का शव बाइक पर ले जाना पड़ा.
सोशल मीडिया यूज़र अंश कुमार ने कैप्शन में जो लिखा है, उसे हम अक्षरश: आपको बता रहे हैं -(आर्काइव
)
योगी आदित्यनाथ के उत्तार प्रदेश में एम्बुलेंस ना मिलने के कारण शव को मोटरसाइकिल पर ले जाते हुए दिखे पिता और पुत्र
Ambulance claim

कई और सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी ऐसे ही दावे
शेयर किए हैं. (आर्काइव
)
viral post

इसके अलावा पड़ताल की वॉटसऐप हेल्पलाइन पर भी लल्लनटॉप के कई पाठकों ने वायरल दावे की सच्चाई जाननी चाही है.
  पड़ताल 'दी लल्लनटॉप' की पड़ताल में वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक निकला. शेयर की जा रही तस्वीर यूपी की नहीं बल्कि बिहार की है, इसे 2017 में खींचा गया था.
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने शेयर की जा रही तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च की मदद से खोजा. सर्च करने पर हमें Hindustan Times
की न्यूज़ वेबसाइट पर 4 जून 2017 को पोस्ट किये गए एक आर्टिकल में वायरल तस्वीर मिली. (आर्काइव
)

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Hindustan Times की वेबसाइट पर मिले आर्टिकल का स्क्रीनशॉट.
Hindustan Times के आर्टिकल के मुताबिक -
ये तस्वीर बिहार के पूर्णिया जिले, श्रीनगर थाना अंतर्गत रानीबाड़ी गांव के 60 वर्षीय शंकर साह और उनकी पत्नी 50 वर्षीय सुशीला देवी की है. बाइक चला रहे व्यक्ति इनके पुत्र पप्पू साह हैं. सुशीला देवी की शुक्रवार को सदर अस्पताल में बीमारी से मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद शंकर ने मृत पत्नी के शव को घर ले जाने के लिए हॉस्पिटल स्टाफ से अंतिम यात्रा वाहन की मांग की लेकिन हॉस्पिटल स्टाफ ने साफ मना कर दिया. बाद में प्राइवेट एम्बुलेंस ने शव ले जाने के लिए 2500 रुपये की मांग की जो शंकर के लिए बहुत अधिक थे. अंत में थक-हारकर शंकर और पप्पू शव को बाइक पर ही ले गए. बाद में सदर अस्पताल के सिविल सर्जन एम. एम. वसीम ने बताया कि अस्पताल में मौजूद अंतिम यात्रा वाहन खराब है जिसके कारण सभी लोग गाड़ी का इंतज़ाम खुद ही करते हैं.
साथ ही कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमे The Times of India
के ऑफीशियल यूट्यूब चैनल पर इस घटना से जुड़ी न्यूज़ रिपोर्ट का 4 जून 2017 को अपलोड हुआ वीडियो मिला. (
)

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि शंकर शाह के बाइक पर शव ले जाने की पुरानी तस्वीर को तोड़ मरोड़कर अलग-अलग दावों के साथ पेश किया गया हो. इससे पहले भी कोरोना की दूसरी लहर में ये तस्वीर वायरल हुई थी. उस समय ये दावा किया गया था कि कोरोना में एम्बुलेंस न मिलने की वजह से शव को बाइक पर ले जाना पड़ा. हमें इससे जुड़ा एक फैक्टचेक इंडिपेंडेंट फैक्ट-चेक वेबसाइट newschecker
 पर मिला है. (आर्काइव
) नतीजा 'दी लल्लनटॉप' की पड़ताल में वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक निकला. वायरल तस्वीर बिहार के पूर्णिया ज़िले की है, जिसे साल 2017 में खींचा गया था. तस्वीर में दिख रही महिला 50 वर्षीय सुशीला देवी की इलाज के दौरान सदर अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस न मिलने पर महिला के पति और पुत्र को उसे बाइक पर ही लेकर जाना पड़ा था.
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