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'लुलु मॉल में नमाज़ पढ़ने वाले हिन्दू थे' का खेल ये निकला!

दावा है कि लखनऊ के लुलु मॉल में हिन्दू युवकों ने नमाज़ पढ़ी थी.

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सोशल मीडिया पर वायरल दावा.
दावा

10 जुलाई को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मॉल का उद्घाटन हुआ था. मॉल का नाम है लुलु मॉल. स्वयं सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ओपनिंग सेरेमनी में फीता काटकर उद्घाटन किया था. इस दौरान मॉल के मालिक यूसुफ अली भी मौजूद थे. उद्घाटन के 3 दिन बाद यानी 13 जुलाई को मॉल में नमाज़ पढ़े जाने का एक वीडियो जमकर वायरल हुआ. वीडियो सामने आने के बाद दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ से विरोध प्रदर्शन हुआ. इसके बाद पुलिस ने मामले में जांच की बात कही थी. अब सोशल मीडिया पर नमाज़ पढ़े जाने की घटना से जुड़ा दावा वायरल हो रहा है. दावा है कि

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लुलु मॉल में हिन्दू युवकों ने नमाज़ पढ़ी थी और उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

ट्विटर यूज़र और महिला कांग्रेस से जुड़ीं Dr Pooja Tripathi ने ट्वीट कर लिखा,

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लखनऊ के लूलू मॉल में नमाज़ पढ़ने का मामला याद होगा. CCTV से अब उन नमाज़ पढ़ने वालों के नाम पता चले हैं- 
नाम हैं- 
गौरव गोस्वामी .
सरोज नाथ योगी
कृष्ण कुमार पाठक
ये लोग मुस्लिम बनकर नमाज़ पढ़ रहे थे. धर्म की अफ़ीम चटा कर इस देश की बर्बादी का मंजर देख रहे कुछ लोग.

डॉ पूजा त्रिपाठी के ट्वीट का स्क्रीनशॉट.

अपने ट्वीट में पूजा ने DCP South Lucknow के ट्विटर अकाउंट का स्क्रीनशॉट भी लगाया था. हालांकि कुछ देर बाद पूजा ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया. (आर्काइव)

पूजा त्रिपाठी के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने लिखा, 

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यह पुरानी संघी तकनीक है. गोडसे भी बुर्कानशीं हो कर गांधी की हत्या करने का षड्यंत्र रच रहा था

पवन खेड़ा के ट्वीट का स्क्रीनशॉट. Credit/Twitter @FabulasGuy

हालांकि थोड़ी देर बाद पवन खेड़ा ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया. 
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक़ जामेई ने वायरल दावा ट्वीट कर लिखा, (आर्काइव)

#LuluMall 16 सेकेंड नमाज़ की घटना में नाथूराम गोडसे और मुस्लिम मंच वाले ही निकले, ऐसी घटना मीडिया के एक वर्ग के सहयोग से घटित हो रही है जिससे बेरोजगारी, महगाई,कानून व्यवस्था, गरीबी और विकास पर बात चीत न हो, ऐसी घटनाओं से भय द्वेष अशांति फैलेगी तो कौन इन्वेस्ट करने आएगा!

अमीक़ जामेई के ट्वीट का स्क्रीनशॉट.

इसके अलावा दूसरे सोशल मीडिया यूज़र्स और नेताओं ने घटना को लेकर ऐसा ही दावा किया है.

पड़ताल

'दी लल्लनटॉप' ने वायरल दावे का सच जानने के लिए पड़ताल की. हमारी पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला.
सबसे पहले हमने दावे में जिए किए जा रहे नामों गौरव गोस्वामी, सरोज नाथ योगी और कृष्ण कुमार पाठक को कीवर्ड्स बनाकर इंटरनेट पर सर्च किया. सर्च से हमें इन नामों से जुड़ीं मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. 
अमर उजाला की वेबसाइट पर 16 जुलाई 2022 को पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक,

लुलु मॉल में नमाज़ पढ़ने के विरोध में हिंदू संगठनों ने शुक्रवार को सुंदरकांड के पाठ का आहवान किया था. 15 जुलाई की देर शाम करीब 7 बजे तीन युवक वहां सुंदरकांड पाठ करने के लिए पहुंचे तो हंगामा शुरू हो गया. वहीं एक युवक नमाज़ पढ़ने के लिए पहुंचा था. मॉल में काफी हंगामा होने लगा तो पुलिस को सूचना दी गई. मौके पर पहुंची पुलिस ने हिंदू संगठनों से सुंदरकांड का पाठ करने के लिए पहुंचे भदोही के सरोज नाथ योगी, जौनपुर के कृष्ण कुमार पाठक, इटावा के भरथना निवासी गौरव गोस्वामी को हिरासत में लिया. ये तीनों खुद को हिंदू समाज पार्टी का कार्यकर्ता बता रहे हैं. वहीं नमाज़ पढ़ने पर अड़े सआदतगंज निवासी अरशद अली को भी पुलिस ने हिरासत में लिया. सभी को थाने लेकर गई. जहां सभी के खिलाफ शांति भंग की धारा में केस दर्ज कर जेल भेज दिया गया.

आजतक में छपी 15 जुलाई 2022 की रिपोर्ट में चार युवकों के गिरफ्तार होने की बात कही गई है. इन चारों के नाम वही हैं, जिनका जिक्र वायरल दावे में किया जा रहा है और पुलिस का कहना है कि धारा 144 के बावजूद चारों बिना अनुमति के मॉल के अंदर धार्मिक कार्य करना चाहते थे.
चारों के बारे में सर्च करने के दौरान हमें सरोज नाथ योगी की फेसबुक प्रोफाइल मिली.  फेसबुक पर 15 जुलाई को शाम 6 बजकर 26 मिनट पर सरोज नाथ योगी ने पोस्ट लिखकर खुद के गिरफ्तार होने की जानकारी दी थी. उन्होंने लिखा,

लुलु मॉल में हनुमान चालीसा पढ़ने गया था मेरी गिरफ्तारी हो गई है, साथ में गौरव गोस्वामी पाठक जी.

सरोज नाथ योगी के फेसबुक अकाउंट पर मौजूद पोस्ट.

15 जुलाई को DCP South Lucknow के ट्विटर अकाउंट से घटना के बारे में ट्वीट भी किया गया था. इस ट्वीट में सरोज नाथ योगी, कृष्ण कुमार पाठक, गौरव गोस्वामी और अरशद अली को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजने की बात कही गई है. चारों पर धारा-144 के उल्लंघन का आरोप है. यहां गौर करने वाली बात है कि यही वो ट्वीट है, जिसके आधार पर वायरल वीडियो में दिख रहे नमाज़ियों की गिरफ्तारी का दावा किया जा रहा है. 

इसके अलावा लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने ट्विटर के जरिए वायरल दावे का खंडन कर इसे भ्रामक खबर बताया है.


कहां तक पहुंची मामले की जांच?

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, लुलु मॉल में नमाज़ के पीछे साजिश के एंगल की बात सामने आई है. पुलिस की माने तो, मॉल के गेट से लेकर सड़क पर लगे सीसीटीवी को देखने से लगता है कि लड़के पैदल ही शॉपिंग मॉल के अंदर आए थे. पहले ग्राउंड फ्लोर पर ही नमाज़ पढ़ने की कोशिश की गई थी. सिक्योरिटी गार्ड ने रोका तो दूसरे फ्लोर के कोने में नमाज़ पढ़ी गई और वीडियो वायरल किया गया. वायरल वीडियो में नमाज़ पढ़ने की दिशा भी गलत बताई गई. नमाज़ पश्चिम की तरफ मुंह करके पढ़ी जाती है, लेकिन वायरल वीडियो में नमाज़ गलत दिशा में मुंह करके पढ़ी गई. नमाज़ पढ़ने वाले युवकों ने माल से कहीं कुछ नहीं खरीदा था. शॉपिंग मॉल में लगे सीसीटीवी और मोबाइल टॉवर डिटेल के सहारे पुलिस लड़कों की शिनाख्त और गिरफ्तारी में जुटी है.

नतीजा

 हमारी पड़ताल में वायरल दावा गलत साबित हुआ. दावे में जिन नामों का जिक्र है, उनकी गिरफ्तारी मॉल के अंदर धार्मिक गतिविधि करने के प्रयास में हुई है न कि नमाज़ पढ़ने को लेकर. पड़ताल लिखे जाने तक वायरल वीडियो में हो रही नमाज़ के मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. वायरल दावा ट्वीट करने वालीं डॉ. पूजा त्रिपाठी अपना ट्वीट डिलीट कर सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुकी हैं. वहीं कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है कि चूंकि गिरफ्तारी को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है इसलिए उन्होंने अपना ट्वीट हटा दिया है.

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