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iPhone में मल-मूत्र के निशान मिलने के बाद Apple ने भारत से कामकाज समेटा? सच जानें

दावा किया गया है कि Apple को भारत में बने नए iPhones में गोवंश के मल-मूत्र के निशान मिले हैं.

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Apple की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को लेकर वायरल हुआ दावा (तस्वीर:फाइल फोटो, तस्वीर: ट्विटर@psmsigma)
दावा:

Apple ने बीते दिनों अपने नया आईफोन (iPhone) भारत में लॉन्च कर दिया. रिपोर्ट के अनुसार, लॉन्च होते ही लोगों ने लाइन में लगकर नए फोन को खरीदना शुरू कर दिया. लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करके दावा किया गया है कि एप्पल अब भारत में ‘मैन्युफैक्चरिंग’ यूनिट बंद करने जा रहा है. पोस्ट के साथ एक खबर का स्क्रीनशॉट शेयर किया गया है जिसकी हेडलाइन के अनुसार, ‘Apple को भारत में बने नए iPhones में गोवंश के मल-मूत्र के निशान मिले हैं.’

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उदाहरण के तौर पर एक यूजर ने ट्वीट शेयर करके लिखा (जिसका हिंदी अनुवाद है),”Apple ने भारत में iPhone का निर्माण बंद कर दिया क्योंकि कंपनी को नए iPhone में मल और मूत्र के निशान मिले हैं.”

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(ट्वीट का आर्काइव लिंक यहां देख सकते हैं.)

इसके अलावा फेसबुक पर भी कई यूजर्स ने वायरल पोस्ट को शेयर किया है. 

वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट.
पड़ताल

दी लल्लनटॉप की पड़ताल में एप्पल के आईफोन यूनिट के भारत में कामकाज को बंद किए जाने को लेकर किया गया दावा भ्रामक निकला.

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हमने सच्चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल पर कुछ कीवर्ड सर्च किए. हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे वायरल दावे की पुष्टि होती हो. इसके बाद हमने Apple की वेबसाइट को भी खंगाला. हमें यहां भी इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली.  

इसके बाद हमने वायरल स्क्रीनशॉट को गूगल लेंस से सर्च किया. हमें ‘ब्लूमबर्ग’ की वेबसाइट पर 12 सितंबर को छपी एक रिपोर्ट मिली. इसकी हेडलाइन में लिखा है कि Apple पहली बार लॉन्चिंग वाले दिन भारत में बने iPhones की सेलिंग करेगा. हमने वायरल पोस्ट में मौजूद न्यूज रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट और ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट की तुलना की. दोनों खबरों में रिपोर्ट लिखने वाले का नाम एक है. रिपोर्ट की सब हेडिंग भी दोनों जगह एक है.

एडिटेड फोटो और असल फोटो.  

इस सबसे साफ होता है कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की हेडलाइन को एडिट करके भ्रम फैलाया गया है.

नतीजा

कुलमिलाकर, हमारी पड़ताल में Apple के भारत में काम काज बंद किए जाने का दावा भ्रामक निकला. ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट की हेडलाइन को एडिट करके भ्रम फैलाया गया है. 

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