साल था 1986. शहर दिल्ली. जगह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय. चपरासी ने एक फाइनल ईयर स्टूडेंट को बुलाया. कहा कि डायरेक्टर साब ने अपने ऑफिस में बुलाया है. ये स्टूडेंट थे पीयूष मिश्रा. डायरेक्टर के केबिन में पहुंचे. वहां NSD के डायरेक्टर मोहन महर्षि के साथ एक शख्स बैठे थे. पीयूष उन्हें पहली बार देख रहे थे. मोहन ने बताया कि ये बंबई से आए हैं. फिल्म के लिए हीरो ढूंढने आए हैं. पीयूष मिश्रा की किताब ‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा’ में इस वाकये का ज़िक्र मिलता है.
पीयूष मिश्रा ने वो फिल्म ठुकरा दी, जिसने सलमान खान को सुपरस्टार बना दिया
सूरज बड़जात्या के पिता को पीयूष के फेशियल फीचर पसंद आए थे. वो उन्हें अपने बेटे की डेब्यू फिल्म का हीरो बनाना चाहते थे.
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हाल ही में इसी बुक को प्रमोट करने के लिए पीयूष ‘द लल्लनटॉप’ के न्यूज़रूम में आए थे. उन्होंने इस किस्से पर बात छेड़ी. बताया,
मैं जब डायरेक्टर के चैम्बर में गया तो वहां एक बूढ़े सज्जन बैठे थे. मेरा परिचय करवाया गया. मैं उनका नाम नहीं लूंगा. उन्होंने कहा कि हम एक फिल्म बना रहे हैं ‘मैंने प्यार किया’. लड़की की खोज हो चुकी है और लड़के के लिए NSD आए हैं.
वो शख्स पीयूष के फेशियल फीचर्स से खासे प्रभावित हुए थे. उन्होंने पूछा कि कॉलेज खत्म होने में कितना टाइम है. पीयूष ने बताया कि दो महीने बाद पास आउट हो जाएंगे. प्रोड्यूसर ने अपना कार्ड थमा दिया. कहा कि इसमें मेरे ऑफिस का एड्रेस है. कॉलेज खत्म होते ही मुंबई आकर मुझसे मिलो. इस घटना के 15 दिन बाद कॉलेज कैम्पस में उन्हें मोहन महर्षि फिर मिले. पूछा कि मुंबई कब जा रहे हो. तुरंत चले जाओ. अगर कॉलेज छोड़ना भी पड़े तो कोई दिक्कत नहीं. पीयूष ने उस वक्त तो हां में हां मिला दी. लेकिन वो मुंबई नहीं गए.
पीयूष कहते हैं कि उनके मन में दुनिया को लेकर एक खटास थी. इसी सोच के चलते उनका मुंबई जाने का मन नहीं हुआ. वो मुंबई गए. लेकिन इस घटना के तीन साल बाद. तब तक वो फिल्म बनकर रिलीज़ हो चुकी थी. और उसने सलमान खान को स्टार बना दिया था. वो फिल्म थी ‘मैंने प्यार किया’.
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