आपने कई जगह देखा होगा कि रेलवे स्टेशन पर जगह के नाम के बाद जंक्शन, टर्मिनस/टर्मिनल या सेंट्रल लिखा होता है. ये किस तरह का कोड है? इसे डिकोड कैसे करते हैं? आइए फर्क समझाते हैं.
भारत में चार तरह के रेलवे स्टेशन होते हैं.
#1 टर्मिनस/टर्मिनल
ये वो स्टेशन होता है जहां से आगे कोई रास्ता नहीं होता. मतलब ट्रैक का दी एंड. यहां से ट्रेन सिर्फ एक ही दिशा में जा सकती है. यानी जिधर से आई हो, उधर ही वापस. देश में फिलहाल 27 टर्मिनल रेलवे स्टेशन हैं. छत्रपति शिवाजी टर्मिनल और लोकमान्य तिलक टर्मिनल देश के सबसे बड़े टर्मिनल स्टेशन हैं.कुछ प्रमुख टर्मिनल ये रहे,
बांद्रा टर्मिनस हावड़ा टर्मिनस भावनगर टर्मिनल कोचीन हार्बर टर्मिनस

यहां से आगे रास्ता नहीं है.
#2 सेंट्रल
सेंट्रल के नाम से पहचाने जाता स्टेशन उस शहर का सबसे महत्वपूर्ण स्टेशन होता है. जो कि अमूमन उस शहर का सबसे पुराना स्टेशन भी होता है. हालांकि वो सबसे पुराना हो ही, ये ज़रूरी नहीं. किसी भी शहर का सेंट्रल स्टेशन सबसे ज़्यादा व्यस्त होता है. यहां गाड़ियों की आवाज़ाही बाकी स्टेशनों के मुकाबले ज़्यादा रहती है. ये भी ज़रूरी नहीं कि किसी शहर में एक से ज़्यादा स्टेशन होने पर वहां कोई सेंट्रल स्टेशन भी हो ही. भारत की राजधानी दिल्ली का कोई सेंट्रल स्टेशन नहीं है.भारत में ये 5 स्टेशन हैं जो कि सेंट्रल कहलाते हैं.
# मुंबई सेंट्रल # चेन्नई सेंट्रल # त्रिवेंद्रम सेंट्रल # मैंगलोर सेंट्रल # कानपूर सेंट्रल

शहर का सबसे बड़ा स्टेशन.
3. जंक्शन
जंक्शन वो स्टेशन होता है जहां दाखिले या निकासी के कम से कम तीन रूट हो. आसान लफ़्ज़ों में कहा जाए तो उस स्टेशन पर ट्रेन तीन अलग जगहों से आ सकती है और तीन अलग दिशाओं में जा सकती है. तीन से ज़्यादा भी. ट्रैकों का संगम कराने वाले ऐसे स्टेशन को जंक्शन कहा जाता है. भारत में 300 से ज़्यादा जंक्शन हैं. जिनमें सबसे ज़्यादा रूट्स वाला जंक्शन मथुरा का है. यहां से सात रूट निकलते हैं. सेलम जंक्शन से छः और विजयवाड़ा से पांच रूट निकलते हैं.
यहां से सात रूट निकलते हैं.
4. 'सिर्फ' स्टेशन
ऊपर लिखे तीनों कैटेगरी में जो फिट न बैठे वो स्टेशन. रेलवे की दुनिया का आम आदमी. जिसकी कोई ख़ास पहचान नहीं. जो न जंक्शन हो, टर्मिनस हो न सेंट्रल. जहां ट्रेन आकर रुके और सवारी भर कर चल दे. भारत में 8000 से ज़्यादा रेलवे स्टेशन हैं.ये भी पढ़ें:
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