Mohit Suri की Saiyaara रिलीज के 4 दिन बाद ही 100 करोड़ी क्लब में शामिल हो गई. फिल्म की सक्सेस में केवल डायरेक्टर और एक्टर्स का हाथ नहीं है. फिल्म के चार्टबस्टर म्यूज़िक की भी अहम भूमिका है. फिल्म का टाइटल ट्रैक पूरे सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. दुनियाभर में इसे सुना जा रहा है. ‘सैयारा’ गाना स्पॉटिफाई के ग्लोबल चार्ट में 7वें नंबर पर पहुंच चुका है. मगर जितना बेहतरीन ये गाना है, उतनी ही मज़ेदार इसकी बैकस्टोरी भी. बहुत कम लोगों को जानकारी है कि इस गाने को बनाने के पीछे दो कश्मीरी लड़कों का हाथ है. Faheem Abdullah ने इसे गाया है और Arslan Nizami ने इसे कंपोज़ किया है.
'सैयारा' गाना बनाने वाले लड़कों की कहानी, जो 14 दिनों के लिए मुंबई में किस्मत आज़माने आए और...
घर से निकलते वक्त फहीम और अर्सलना के पास केवल 14 दिनों के पैसे थे. 13वें दिन तक उन्हें कोई काम नहीं मिला था.
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हिंदुस्तान टाइम्स से हुई बातचीत के मुताबिक, फहीम और अर्सलान का फिल्मी दुनिया से दूर-दूर तक नाता नहीं था. अर्सलान तो एक सिविल इंजीनियर थे, जो लेह के पास किसी कंपनी में काम करते थे. और जैसा इंजीनियर्स के साथ अक्सर होता है, उनका इंजीनियरिंग के अलावा हर जगह मन लगता था. उन्हें गाने लिखने का शौक था. म्यूजिक कम्पोजिंग पर भी हाथ सधा था. इसी सिलसिले में उनकी मुलाकात फहीम से हुई.
फहीम गाने गाया करते थे. उनका एक स्टेज नेम था, जहां वो खुद को 'द इमेजिनरी पोएट' कहते थे. हालांकि 2025 की शुरुआत में उन्होंने इस नाम को त्याग दिया और अपने असली नाम से ही परफॉर्म करने लगे. अर्सलान और उनके साथ आने से कश्मीर में दोनों की पॉपुलैरिटी बढ़ी. लोग उन्हें जानने लगे. मगर एक मलाल था कि कश्मीर के बाहर उन्हें कोई नहीं पहचानता. ऐसे में एक दिन अर्सलान ने तंग आकर फहीम से कहा,
"हमारा म्यूजिक बाहर नहीं पहुंच रहा है. किसी को बाहर जाकर ये काम करना होगा."
शुरुआत में लगा कि उन्होंने ये बात जोश-जोश में कह दी है. मगर मामले की गंभीरता तब समझ आई जब अर्सलान ने उसी दिन अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दी. जॉब छोड़कर वो फहीम के पास आए और उनसे कहा कि वो अपनी बात को लेकर सीरियस हैं. फहीम तो तैयार हो गए. मगर अपने पैरेंट्स को इस फैसले के लिए मनाना उनके लिए थोड़ा मुश्किल रहा. उनके माता-पिता अपने बच्चों को स्टेबल नौकरी करते देखना चाहते थे. इसलिए अर्सलान का ये फैसला उनके लिए किसी झटके से कम नहीं था.
खैर, किसी तरह उन्हें मनाकर दोनों दोस्त मुंबई के लिए निकल पड़े. तिजोरी में जो थोड़ी-बहुत जमा-पूंजी थी, उन्होंने वो सब बचाकर जेबों में भर लिए. उनका टार्गेट मेनस्ट्रीम कम्पोजर और प्रोड्यूसर्स से मिलना था. मगर दिक्कत ये थी कि खुद को आज़माने के लिए उनके पास साल-दो साल का समय नहीं था. ठीक-ठीक लगा लें, तो दोनों के पास मुंबई में सरवाइव करने के लिहाज से मात्र 14 दिन के पैसे थे. इसलिए उन्होंने सोचा कि वो इन्हीं 14 दिनों में अपनी किस्मत आज़माएंगे. अगर बात बनी तो ठीक, वरना देखी जाएगी.
देखते-देखते 13 दिन बीत गए. लगा कि अब तो बोरिया-बिस्तर समेटकर घर लौटना ही पड़ेगा. ठीक तभी, उनकी मुलाकात तनिष्क बाग्ची से हो गई. तनिष्क 'सैयारा' में बतौर म्यूजिक डायरेक्टर काम कर रहे थे. उन्होंने फहीम और अर्सलान को इस फिल्म में मौका देने का सोचा. दोनों ने उन्हें अपने काम से इंप्रेस किया. इसके बाद उनकी मुलाकात मोहित सूरी से हुई. और 'सैयारा' के साथ कश्मीर से आए दो लड़कों ने बॉलीवुड में अपना कदम रखा.
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