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गुजरात HC ने सुनवाई में टॉयलेट जाने वाले को सजा दी, बियर पीने वाले वकील को माफ कर दिया

गुजरात हाई कोर्ट की एक हियरिंग के दौरान एक शख्स टॉयलेट चला गया. दूसरे केस में एक वरिष्ठ वकील हियरिंग के दौरान ही बियर पीने लगे. दोनों ही घटनाओं की सुनवाई हाई कोर्ट की एक ही बेंच ने की. लेकिन फैसले अलग-अलग आए.

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बाएं से दाहिने. सुनवाई के दौरान बियर पीते वरिष्ठ वकील और दूसरी तरफ सुनवाई के दौरान वॉशरूम में शख्स. (फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया)

हाई कोर्ट की कार्रवाई में अगर कोई ऑनलाइन जुड़ रहा है तो उसे हियरिंग के दौरान, वॉशरूम नहीं जाना चाहिए. वो भी वीडियो ऑन कर के तो बिल्कुल नहीं. हां, आप बियर भले पी सकते है. गलत वो भी है. लेकिन कम से कम सजा तो नहीं ही मिलेगी.

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हाल ही में गुजरात हाई कोर्ट में दो घटनाएं हुईं. एक में सुनवाई के दौरान शामिल एक शख्स टॉयलेट चला गया. दूसरे में एक वरिष्ठ वकील हियरिंग के दौरान ही बियर पीने लगे. दोनों ही घटनाओं में कौन सा 'अपराध' ज्यादा बड़ा है और कौन सा कम, किसमें सज़ा मिलनी चाहिए थी और किसमें नहीं, इसका फैसला कोर्ट को ही करना था. कोर्ट ने क्या किया यह आप दोनों मामलों में जजों की टिप्पणियों से समझ सकते हैं.

पहले हम ‘टॉयलेट की ओर’ चलते हैं.

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यह घटना 20 जून को न्यायमूर्ति निरजर एस देसाई की बेंच की सुनवाई के दौरान हुई. वीडियो की शुरुआत में 'समद बैटरी' नाम से लॉगइन किए हुए व्यक्ति का क्लोजअप दिखता है, जिसने गले में ब्लूटूथ ईयरफोन लटका रखा था.

बाद में वो अपना फोन दूर रख देता है. पता चला कि वह टॉयलेट में बैठा है. वीडियो में आगे उसे खुद को साफ करते और फिर शौचालय से बाहर जाते हुए दिखाया गया. इसके बाद वह कुछ देर के लिए स्क्रीन से गायब हो गया, फिर वीडियो में फिर से दिखाई दिया.

अदालती रिकॉर्ड के अनुसार, यह व्यक्ति एक मामले में प्रतिवादी (respondent) के रूप में पेश हो रहा था, जिसमें FIR को रद्द करने की मांग की गई थी. वह आपराधिक मामले में शिकायतकर्ता (complainant) था.

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इस पर कोर्ट ने क्या कहा?

पहले तो हाई कोर्ट ने तुरंत ही इस शख्स को तगड़ी डांट पिलाई. फिर कुछ दिनों बाद उस पर लगाया 1 लाख रुपये का जुर्माना. लेकिन हाई कोर्ट को ऐसा लगा कि सिर्फ जुर्माने से इस 'अपराध' का सबक नहीं सिखाया जा सकता. सो टॉयलेट जाने वाले शख्स को सजा के तौर पर कुछ दिन वृद्धाश्रम में सेवा करने को कहा. इस पर वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल का घर वहां से काफी दूर है, जहां वृद्धाश्रम है. तो कोर्ट ने कहा- "ठीक है. मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में 15 दिन तक सेवा करो."

इस मामले पर ज़रा गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी पर एक नज़र डालते हैं. जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस आरटी वच्छानी की बेंच ने कहा,

“जब कोई व्यक्ति शौचालय जैसी जगह पर चला जाता है, तो वह न्यायिक संस्था को भी उस स्तर पर ले आता है. और यह बात बहुत आहत करती है. यह बेहद गंभीर मामला है... वह व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में भाग ले रहा है, लेकिन अपने इस आचरण से हाई कोर्ट को शौचालय तक खींच रहा है.”

वॉट अबाउट 'अ ग्लास ऑफ बियर'?

26 जून की बात है. गुजरात हाई कोर्ट में एक मामले की ऑनलाइन सुनवाई चल रही थी. बीच सुनवाई में ही वरिष्ठ वकील भास्कर तन्ना बियर का ग्लास उठाते हैं और गटकने लगते हैं. वीडियो वायरल हुआ तो हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की प्रोसीडिंग शुरू करने का आदेश दिया.

जब आज यह मामला सुनवाई के लिए आया, तो भास्कर तन्ना ने स्वीकार किया कि यह एक गलती थी, लेकिन जानबूझकर नहीं की गई थी. क्योंकि वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई से बाहर निकलते समय उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर गलती से गलत बटन दबा दिया था. इस वजह से वे स्क्रीन पर दिखने लगे, जबकि उन्हें बाहर निकलना था.

यानी वो सुनवाई के दौरान बियर पी रहे थे, बस सतर्कता बरत रहे थे कि कोर्ट को पता ना चले.

तन्ना ने कोर्ट से माफी मांगते हुए कहा,

“मेरा निवेदन है कि अब इस मामले को समाप्त कर दिया जाए. ऐसी गलतियां हो जाती हैं, चाहे हमें पसंद हो या न हो. अब पहले जैसी फुर्ती नहीं रही. अगर यह जानबूझकर नहीं था, तो क्या यह अवमानना कहलाएगी? मैं इसका बचाव नहीं कर रहा. लेकिन मैंने माननीय न्यायाधीश के समक्ष जाकर बिना शर्त माफी मांगी है. मेरा निवेदन है कि मुझे क्षमा किया जाए.”

वकील साहब ने सुनवाई के दौरान बियर पीने के लिए माफी मांगी, और कोर्ट ने माफ भी कर दिया. टॉयलेट वाले मामले में जुर्माना और सेवा का आदेश देने वाली जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस आरटी वच्छानी की पीठ ने इस मामले में टिप्पणी की,

“तन्ना ने बिना शर्त माफी मांगी है और ये 'कृत्य', (कम्प्यूटर) सिस्टम के संचालन में हुई एक त्रुटि के कारण हुआ है. उन्होंने कहा है कि वे न्यायालय की गरिमा और प्रतिष्ठा को सर्वोपरि मानते हैं. वे इस हाई कोर्ट में 52 साल से वकालत कर रहे हैं और 1995 से उन्हें सीनियर एडवोकेट की उपाधि भी प्राप्त है. रजिस्ट्री द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट, तथ्यों की जांच, और बिना शर्त माफीनामे के हलफनामे को पढ़ने के बाद, हमें लगता है कि यह अवमाननापूर्ण कार्य गलती से हुआ. तन्ना की इस न्यायालय की गरिमा को जानबूझकर ठेस पहुंचाने की कोई मंशा नहीं थी.”

हालांकि माफी तो उस शख्स ने भी मांगी थी जो सुनवाई के दौरान टॉयलेट चला गया था. लेकिन बेंच ने उसे माफ नहीं किया. बियर पीने वाले वकील को माफी मिल गई. ऐसी तुलना की बातें जब कोर्ट के सामने बियर पीने वाले वकील तन्ना से की गईं तो उनका कहना था,

"यह एक धब्बा है. मेरी तुलना उस व्यक्ति से नहीं की जा सकती जो वहां (टॉयलेट) तक ले गया."

बहरहाल, न्यायपालिका के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए.

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