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लता के लिए नौशाद, मन्ना डे, किशोर, गुलज़ार जैसे दिग्गजों का कहा उनका कद बताने के लिए काफी है

पढ़िए 5 महान हस्तियों ने अलग-अलग समय पर लता मंगेशकर के लिए क्या कहा था?

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मशहूर संगीतकार नौशाद के साथ लता मंगेशकर.

''वक्त के सितम, कम हंसीं नहीं, आज हैं यहां, कल कहीं नहीं, वक्त से परे अगर मिल गए कहीं मेरी आवाज़ ही पहचान है गर याद रहे...''

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लता मंगेशकर नहीं रहीं. 06 फरवरी की सुबह बेहद दुखद खबर आई. लता की आवाज़ पूरी दुनिया में सुनी जाती रही है. उनके सदाबहार गानें लोगों की ज़ुबान पर रहा करते थे. स्वर कोकिला, सुरों की देवी और भी ना जाने किन-किन नामों से लता मंगेशकर को बुलाया जाता रहा. अपने समय के दिग्गज कम्पोज़र, सिंगर्स और लिरिसिस्ट भी लता जी की आवाज़ के मुरीद थे. चलिए आपको बताते हैं उन नामचीन हस्तियों ने कभी उनके बारे में क्या कहा था? # नौशाद शुरुआत करते हैं अपने समय के मशहूर संगीतकार नौशाद से. 'अंदाज़', 'मदर इंडिया', 'बैजू बावरा', 'स्टेशन मास्टर', 'शारदा', 'कोहिनूर', 'मुगल-ए-आज़म' जैसी क्लासिक फिल्मों का संगीत देने वाले नौशाद ने लता मंगेशकर संग कई फिल्मों में काम किया था. दूरदर्शन को इंटरव्यू देते वक्त नौशाद ने 1949 में आई फिल्म 'अंदाज़' का एक किस्सा शेयर किया था. नरगिस, दिलीप कुमार और राज कपूर की इस फिल्म के एक गीत, 'उठाए जा उनके सितम' की रिकॉर्डिंग की जानी थी. नौशाद ने बताया,
''जिन लोगों को मैं भुला नहीं पाया उनमें से एक लता मंगेशकर भी हैं. उनका पहला गाना हमने गवाया है. महबूब साहब की फिल्म में, नरगिस का प्लेबैक है. 'उठाए जा उनके सितम...'. में उनकी (लता मंगेशकर) ज़ुबान दुरुस्त कराई. क्योंकि ज़ुबान में महाराष्ट्रियनपन था. तो वो सब दुरुस्त करवाया. मेहनत की. उस समय महबूब साहब मुखालिफ हो गए कि अरे वो महाराष्ट्रियन लड़की गज़ल कैसे गाएगी? मैंने कहा 'ये हमारी फील्ड है आप इसमें दखल ना दीजिए.' तो मैंने उसको 10-15 रोज़ रिहर्सल कराई और प्रैक्टिस की. फिर उसे स्टूडियो ले गए, जहां उसने ये गाना रिकॉर्ड किया. वहां एक टेक में उसने गाना गाया और वो ओके हो गया. सभी ने लता की खूब तारीफ की. फिर 'बरसात' में गाना गाया उन्होंने.''
नौशाद और लता ने साथ मिलकर 'पाकीज़ा', 'गंगा-जमुना', 'मेरे महबूब' जैसी फिल्मों का ना भुलाया जाने वाला संगीत दिया.
#मन्ना डे लीजेंडरी प्लेबैक सिंगर मन्ना डे ने अपने करियर में करीब चार हज़ार से ज़्यादा गाने गाए. अपनी गायिकी के दिनों में मन्ना डे ने लता मंगेशकर संग कई बेहतरीन नगमें गाए. 'श्री 420', 'मधुमती', 'पुष्पांजली', 'चोरी-चोरी', 'रात और दिन' जैसी फिल्मों में दोनों ने आवाज़ का जादू बिखेरा. साल 1958 में आई 'मधुमती' के गीत 'पापी बिछुआ' का ज़िक्र करते हुए मन्ना डे ने कहा,
''हम लोग एक बार सलिल चौधरी के लिए गाना गा रहे थे. पहाड़ों पर का एक टिपिकल गाना था. लता को बताया गया कि गाने में उन्हें कुछ एक्सप्रेशन देना था. मैं गा रहा था. जैसे ही मैंने गाना खत्म किया तो उन्होंने अचानक से वो ऊई...ऊई...ऊई...वाला पार्ट गा दिया. मैं अचानक ही रुक गया. हाई नोट्स, लो नोट्स, बेस, पिच, उनको कुछ नहीं बताया गया था. मगर हमें बताया गया था. उनको कभी नहीं बताया गया. मुझे लगता है उन्हें कभी बताए जाने की ज़रूरत भी नहीं थी.''
#किशोर कुमार किशोर कुमार अपनी वर्सटाइल आवाज़ के लिए जाने जाते थे. वो अपनी आवाज़ से गाने में एक्सप्रेशन डाल दिया करते थे. किशोर कुमार का आखिरी इंटरव्यू लता मंगेशकर ने ही लिया था. जिसमें किशोर कुमार ने लता के गाने और उनके काम की तारीफ की थी. कहा था,
''मुझे तुम्हारे साथ काम करने में बहुत खुशी होती है. बस कभी-कभी डर लग जाता है. कि तुम बहुत सौम्य तरीके से गाती हो और मैं अचानक से गाते-गाते एक्शन ले लेता हूं. मुझे लगता है कहीं तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा है. बाकी तुम जो करती हो, वो बहुत अच्छा करती हो, बहुत अच्छा गाती हो.''
जब लता मंगेशकर ने किशोर कुमार से पूछा कि क्या वो कभी संगीत छोड़ सकते हैं या संगीत को किसी अलग तरह से अपना सकते हैं? तो जवाब में किशोर कुमार ने कहा,
''नहीं, मैंने सोचा है जैसे तुम चैरिटी करती हो, मैं चाहूंगा कि मैं भी चैरिटी करूं. और तुम कभी बुलाओ चैरिटी के लिए तो मैं हमेशा तैयार रहूंगा स्टेज पर आने के लिए. जब तक ज़िंदा हूं, मैं चाहूंगा कि हम सामने आएं और ऐसे शोज़ करें. चाहता हूं बस सब ठीक रहे शांति रहे.''
लता मंगेशकर और किशोर कुमार ने एक साथ कई कालजयी गीत गाए. 'कोरा कागज़ था जीवन मेरा', 'भीगी-भीगी रातों में', 'चिंगारी कोई भड़के', 'क्या यही प्यार है', 'गाता रहे मेरा दिल', 'रिमझिम गिरे सावन', 'हम दोनों दो प्रेमी', 'तेरे बिना ज़िंदगी से कोई', 'तुम आ गए हो' जैसे दर्जनों गानें इस लिस्ट का हिस्सा हैं.
#गुलज़ार गुलज़ार के लिखे कई गीतों को लता मंगेशकर की आवाज़ मिली. दोनों ने साथ मिलकर कई बेहतरीन गाने बनाए. फिर चाहे वो 'आज कल पांव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे' हो या 'रुके-रुके से कदम'. लता मंगेशकर अपनी आवाज़ से गाने के जान डाल दिया करती थीं. साल 1978 में आई फिल्म 'घर' में भी लता मंगेशकर और गुलज़ार ने साथ काम किया था. इसके गाने पर बात करते हुए गुलज़ार ने कहा था,
''लता मंगेशकर का बर्ताव बहुत फ्रेंडली है. फिर चाहे वो राइटर की तरफ हो, कम्पोज़र की तरफ हो या लिरिसिस्ट की तरफ. वो बहुत फ्रेंडली एटीट्यूड रखती हैं. एक गाना पंचम के साथ था. जिसे देखकर उन्होंने कहा कि ये गाना लता जी नहीं गाएंगी. उन्हें पसंद नहीं आएगा. गाने में लाइन आती थी 'आपकी बदमाशियों के ये नए अंदाज़ हैं'. मैंने कहा ओके, मैं ऑप्शन बनाकर रखता हूं लेकिन उनसे पहले मुझे बात करने दो. मैं जब रिहर्सल करवा रहा था, तो मैंने लता जी से उस लाइन के बारे में बात की. कहा पंचम कह रहा था कि आप इसे नहीं गाएंगी. तो लता जी हंसने लगीं. बोली, ''यही तो एक नया लफ्ज़ मिला है मुझे. ये कभी किसी में इस्तेमाल नहीं हुआ.'' और उन्होंने उस गाने को सेम एक्सप्रेशन और फील के साथ गाया. बिल्कुल हंसते हुए. उन्होंने उस गाने में एक नया अंदाज़ पैदा कर दिया. तो लता जी के साथ लिबर्टी मिल जाती थी.''
गुलज़ार कहते हैं कि जितने विशेषण हैं, वो लता जी के लिए समाप्त हो चुके हैं. उनके लिए लता जी के गानों से चुनाव करना बहुत मुश्किल है. #उदित नारायण उदित नारायण ने भी लता मंगेशकर के साथ कई गीत गाए. 'मोहब्बतें', 'दिल तो पागल है', 'डर', 'वीर ज़ारा', 'डीडीएलजे' जैसी फिल्मों के गाने यंगस्टर्स के लव एंथम बन गए. यहां ये मेंशन करना ज़रूरी है कि ये गाने जब आए, उस समय लता मंगेशकर की उम्र करीब 70 के आस-पास की थी. इस उम्र में भी उन्होंने जिस तरह से इन गानों को निभाया वो तारीफ-ए-काबिल है. लता के लिए पद्मभूषण से सम्मानित उदित नारायण ने एक दफा कहा था,
''लता जी ने मुझे मेरे बर्थडे पर प्रिंस ऑफ प्लेबैक सिंगिग का टाइटल दिया था. इसके साथ ही उन्होंने सोने की चेन भी भेंट दी थी. लता मंगेशकर जो नाम है, वो पूरी दुनिया में एक ही है. मेरे लिए ये एक तोहफा था कि लता मंगेशकर के संग काम करने का मौका मिला.''
लता मंगेशकर के गाने और उन गानों से जुड़े इतने किस्से हैं कि शायद ही उन्हें एक पन्ने पर समेटा जा सके. लता मंगेशकर भले ही आज हमारे बीच ना हों मगर उनकी आवाज़ अमर है. आज से सालों बाद भी जब लोग दुआं में हाथ उठाएंगे तो गुनगुनाएंगे, ''ओ पालन हारे...निर्गुण ओ न्यारे, तुम्हरे बिन हमरा कौनो नाहीं''. सालों बाद भी जब लोग प्यार का इज़हार करेंगे तो, 'लग जा गले' के तार ज़रूर छेड़ेंगे. जब किसी प्रेमिका को प्रेमी की याद आएगी, तो उसके मन में 'पाकीज़ा' का गाना 'मौसम है आशिकाना...' जरूर बजेगा. लता मंगेशकर ने अपने सत्तर साल लंबे करियर में एक से बढ़कर एक आइकॉनिक गाने गए. उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया था. उन्हें भारतरत्न, पद्मविभूषण, पद्मभूषण और दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिए गए थे. मध्य प्रदेश सरकार सिंगिग क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वालों को लता मंगेशकर सम्मान दिया करती है.

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