Naseeruddin Shah को एक चिंता है. इस देश को लेकर. हम सभी को लेकर. कि हम साइंस की बात तो करते हैं. लेकिन उससे दूर भी होते जा रहे हैं. उसकी जगह अंधविश्वास की तरफ झुकते जा रहे हैं. ‘द लल्लनटॉप’ के एडिटर सौरभ द्विवेदी को दिए एक हालिया इंटरव्यू में नसीर ने इसका ज़िक्र किया.
"हम साइंस की जगह अंधविश्वास की तरफ मुड़ रहे हैं" - नसीरुद्दीन शाह
"इस रवैये के साथ किसी से क्या ही बहस की जाए."

उन्होंने इस बारे में कहा,
हम सुपरस्टिशन, अंधविश्वास की तरफ जा रहे हैं. कि कैंसर का इलाज हो जाएगा. इससे हवाई जहाज़ भी उड़ेगा. चार्ल्स डार्विन को तो हटा दिया बायोलॉजी से. टेक्स्ट बुक में से गई - थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन. अगर आइंस्टाइन जाएगा, फिर पता नहीं क्या हमको समझाया जाएगा.
नसीर ने कहा कि ISRO के सीनियर लोगों में से किसी ने गलत जानकारी फैलाई. कि आज के साइंस की सारी चीज़ें पुराणों में मिलती हैं. और विदेशी बिना बात का क्रेडिट ले लेते हैं. आगे कहा,
अब इसरो के जो हैड हैं वो फरमा रहे हैं - शायद वो एक महिला हैं - कि सारी साइंटिफिक खोजें पुराणों में हैं. और वेस्ट वाले बिना वजह क्रेडिट लेते हैं. और इनको यूरोपियन इन्वेंशन मानते हैं. इस रवैये में तो किसी के साथ क्या बहस की जाए.
इसी इंटरव्यू में सौरभ द्विवेदी ने सवाल पूछा कि एक्टर्स पॉलिटिकल मसलों पर बोलने से बचते क्यों हैं? नसीर के अनुसार वे सिर्फ तब ऐसा करते हैं, जब उन लोगों को सत्ता के खिलाफ़ बोलना हो. उनके शब्द थे,
अगर वे सत्ता की चाटुकारिता न कर रहे हों.
नसीर ये कहना चाह रहे थे कि जब सत्ता के पक्ष में बोलने की बारी आती है, तो एक्टर्स आगे बढ़कर पॉलिटिकल मसलों पर बोलते हैं. पर विपक्ष में कुछ नहीं बोलते. हालांकि नसीर ने ये आशंका भी जताई कि हो सकता है लोग हरैसमेंट के डर से बोलने से बचते हों. उनका कहना था,
क्योंकि वे लोग इतने असुरक्षा से भरे हैं. जिस स्तर के हरैसमेंट का सामना उन्हें करना पड़े, वो शायद मैं सोच भी न पाऊं. जो हरैसमेंट मुझे फेस करना पड़ता है, वो बहुत ही कम है.
नसीर ने बताया कि लोगों ने उन्हें भी गालियों भरी चिट्ठियां भेजी हैं. एक शख्स ने तो उन्हें पाकिस्तान की टिकट तक भेज दी थी.
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