Udaipur Files पर सुप्रीम कोर्ट 21 जुलाई को सुनवाई करने वाली थी. मगर उसे 24 जुलाई तक के लिए टाल दिया गया है. ये मामला उस स्टे से जुड़ा है, जो दिल्ली हाई कोर्ट ने इस फिल्म पर लगाया था. ‘उदयपुर फाइल्स’ में टेलर Kanhaiya Lal की हत्या के पीछे की कहानी दिखाई गई है. सरकार ने फिल्म से जुड़े विवादों को रिव्यू करने के लिए एक कमिटी बनाई थी. इस कमिटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है. इस रिपोर्ट में फिल्म में कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया गया है.
'उदयपुर फाइल्स' से हटेंगे धार्मिक ग्रंथ वाले डायलॉग, नूतन शर्मा का नाम भी बदला जाएगा
कमिटी ने 'उदयपुर फाइल्स' में से नूतन शर्मा के बयान के अलावा उनका ज़िक्र भी फिल्म से हटवाया गया है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में जज सूर्यकांत और जॉयमाला बाग्ची शामिल हैं. उन्होंने ये सुनवाई आगे बढ़ा दी. ऐसा इसलिए क्योंकि कमिटी ने जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दी है. कोर्ट ने फिल्म पर लगी रोक को फिलहाल बनाए रखने का आदेश दिया है. साथ ही सभी पक्षों से ये भी कहा है कि वो 24 जुलाई तक इस रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति दर्ज करवा दें.
इस रिपोर्ट में कमिटी ने कई बदलावों का सुझाव दिया है, जो इस प्रकार हैं,
1. मौजूदा डिस्क्लेमर को हटाकर नए डिस्क्लेमर को जोड़ें. डिस्क्लेमर का वॉयस ओवर भी शामिल करें.
2. क्रेडिट्स में जहां लोगों को शुक्रिया कहा गया है, उन सभी फ्रेम्स को हटा दें.
3. फिल्म के उस सीन्स को बदल दें, जिसमें AI के ज़रिए सऊदी अरेबियन स्टाइल पगड़ी वाला सीन दिखाया गया है.
4. पोस्टर समेत 'नूतन शर्मा' का नाम जहां-जहां भी इस्तेमाल हुआ, उसे नए नाम से बदल दें.
5. नूतन शर्मा का ये डायलॉग डिलीट कर दें- "मैंने तो वही कहा है, जो उनके धर्मग्रंथों में लिखा है."
6. इन डायलॉग्स को हटा दें-
* हाफिज़: "...बलूची कभी वफादार नहीं होता."
* मकबूल: "...बलूची की..." और "अरे क्या बलूची, क्या अफगानी, क्या हिन्दुस्तानी, क्या पाकिस्तानी."
सरकार ने फिल्म का रिव्यू करने वाली कमिटी की इस रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है. मिनिस्ट्री ऑफ इनफॉर्मेशन और ब्रॉडकास्टिंग ने मेकर्स को इसे लागू करने का निर्देश दिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले से जुड़े दो पीटिशनों पर सुनवाई चल रही हैं. एक वो, जिसमें मेकर्स ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा फिल्म पर रोक के आदेश के खिलाफ अपील की है. दूसरी वो, जिसे खुद कन्हैया लाल हत्या मामले से जुड़े एक आरोपी ने फाइल की है. इस पीटिशन के तहत फिल्म की रिलीज पर ऑबजेक्शन जताया गया है. ऐसा इसलिए ताकि इसकी रिलीज़ से केस की सुनवाई पर असर ना पड़े.
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