रात का अंधेरा. शंकर नागरे अपनी लाल गाड़ी में सवार होकर कहीं पहुंचता है. ये सेल्वर मणि का घर है. वो सेल्वर मणि जो किसी घिसते हुए इंजन की तरह हंसता है. वो सेल्वर मणि जो अपने परिचय में कहता है, ‘आई सेल्वर मणि, स्टाइल साउथ, ऑपरेशन कम्प्लीट नॉर्थ’. शंकर को डर है कि जेल में बंद उसके पिता सुभाष नागरे उर्फ सरकार पर कभी भी हमला हो सकता है. मुश्किल की इस घड़ी में हर किसी पर भरोसा करना भी मुमकिन नहीं. इसलिए उसकी बेचैनी उसे सेल्वर मणि के दरवाज़े पर ले आई है. शंकर, मणि को बता रहा होता है कि कैसे रशीद उसके पिता पर हमला कर सकता है. उन्हें कुछ करना चाहिए. इतने में ही अंधेरे को शांति से चीरते हुए रशीद की एंट्री होती है.
दिग्गज एक्टर कोटा श्रीनिवास राव, बैंक में काम करने वाला आदमी जो इंडियन सिनेमा का लैजेंड बना
राम गोपल वर्मा की 'सरकार' में कोटा श्रीनिवास राव ने सेल्वर मणि का रोल किया था. इस फिल्म में अपने काम से उन्होंने अमिताभ बच्चन को चौंका दिया था.

शंकर पूरा गेम समझ जाता है. मणि हिंट देता है कि अब शंकर के पास भी ज़्यादा समय नहीं बचने वाला. कहता है, ‘तुम्हारा कोई गलती नहीं इसमें, मगर फंस गया’. अगर आपने राम गोपाल वर्मा की ‘सरकार’ देखी है तो तो जानते होंगे कि आगे शंकर के साथ क्या होता है. हिंदी की एक बहुत बड़ी आबादी का Kota Srinivasa Rao से परिचय इस फिल्म के ज़रिए ही हुआ था. वो फिल्म में सेल्वर मणि बने थे. लोग ऐसे किरदार को देख रहे थे जो एक साउथ इंडियन एक्सेंट के साथ हिंदी बोलता था. हंसता ऐसे कि इंजन के तले से धुआं रगड़ रहा हो. राम गोपाल वर्मा बताते हैं कि इस तरह से हंसना कोटा श्रीनिवास का ही आइडिया था.
13 जुलाई 2025 को इंडियन सिनेमा के दिग्गज एक्टर कोटा श्रीनिवास राव का निधन हो गया. उनकी फिल्मोग्राफी के गुलदस्ते में 700 से ज़्यादा फिल्में हैं. तेलुगु सिनेमा के स्तम्भ रहे, मगर हिंदी, कन्नड़ा में भी बड़ी और ज़रूरी फिल्में की. कोटा श्रीनिवास के निधन पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री जैसे टूट-सी गई. ब्रह्मनंदम खुद को संभाल नहीं पा रहे थे. बुरी तरह बिलख रहे थे. महेश बाबू ने उनके निधन को किसी निजी क्षति के समान बताया. चिरंजीवी ने कहा कि ये इंडियन सिनेमा के लिए ऐसा नुकसान है जिसे भरा नहीं जा सकता. एसएस राजामौली ने उन्हें एक लैजेंड बताया. कोटा श्रीनिवास राव का गुज़रना इंडियन सिनेमा के लिए बड़ी क्षति है. उन्होंने जिस तरह अपने किरदारों में जान फूंकी, वो एक्टर्स के लिए किसी स्कूल की तरह है. कोटा श्रीनिवास राव हमारे सिनेमा के लिए ज़रूरी क्यों थे, ये समझने के लिए उनकी लाइफ और करियर को थोड़ा करीब से जानना होगा.
# पिता का सपना, डॉक्टरी और बैंक की नौकरी
आंध्रप्रदेश के कंकीपाडू में जन्म हुआ. कोटा श्रीनिवास का बचपन ऐसा नहीं था कि बचपन में ही फिल्मी सपने पलने लगे हों. उनके पिता सीता रामनजानेयूलू पेशे से एक डॉक्टर थे. मन में इच्छा थी कि बेटा भी आगे चलकर डॉक्टर ही बने. बेटे ने भी पिता की इच्छा को प्राथमिकता दी. कॉलेज में B.Sc पढ़ने लगे. पढ़ाई ज़रूर कर रहे थे, लेकिन समझ आने लगा कि ये काम करते हुए ज़िंदगी भर खुश नहीं रह पाएंगे. तभी किसी तरह थिएटर से परिचय हुआ. एक बार स्टेज पर चढ़े और फिर वहां से नीचे उतर नहीं सके. थिएटर दिल में रच-बस गया.
कोटा श्रीनिवास का दिल एक्टिंग में लगता था. लेकिन खुद को उसके लिए मनाना ही किसी चुनौती की तरह प्रतीत हो रहा था. इसलिए कॉलेज खत्म होने के बाद उन्होंने बैंक की नौकरी पकड़ ली. लेकिन थिएटर का दामन अब भी नहीं छोड़ा. वो अपनी नौकरी के साथ भी लगातार थिएटर करते रहे.
# नाटक से मिली चिरंजीवी की फिल्म
C.S. राव एक्टर, राइटर और प्रोड्यूसर थे. साठ के दशक में उन्होंने ‘प्रणाम कारीदु’ नाम का नाटक लिखा. उसका मंचन हो रहा था. कोटा श्रीनिवास राव भी उस नाटक में एक्टिंग कर रहे थे. एक दिन डायरेक्टर और प्रोड्यूसर क्रांति कुमार उस नाटक का एक शो देखने पहुंचे. उन्हें नाटक बहुत पसंद आया. क्रांति कुमार इसे एक फिल्म में अडैप्ट करना चाहते थे. उनकी इच्छा थी कि नाटक वाले एक्टर्स को ही फिल्म में कास्ट किया जाए. इसी के चलते कोटा श्रीनिवास राव ने पहली बार कैमरा का सामना किया. साल 1978 में ‘प्रणाम कारीदु’ नाम की फिल्म रिलीज़ हुई. ये फिल्म कोटा श्रीनिवास की ही पहली फिल्म नहीं थी, बल्कि चिरंजीवी की भी पहली रिलीज़ थी.
‘प्रणाम कारीदु’ की रिलीज़ तक कोटा श्रीनिवास 20 साल से एक्टिंग कर रहे थे. उन्होंने अपना जीवन नाटक को समर्पित कर रखा था. कभी फिल्मों में एक्टिंग करने का ख्याल तक नहीं आया. हालांकि उनकी ये धारणा बदली. ‘प्रणाम कारीदु’ रिलीज़ हुई और बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी कमाई की. इसके बाद कोटा श्रीनिवास राव ने फिल्मों को सीरियसली लेना शुरू किया. यहीं से उनकी नई पारी शुरू हुई.
# एक कॉमेडी रोल जिसने सब कुछ बदल दिया
कोटा श्रीनिवास राव ने अपने करियर में 700 से ज़्यादा फिल्में की. उन्होंने चिरंजीवी, पवन कल्याण से लेकर महेश बाबू के साथ स्क्रीन शेयर की. उनकी पहचान एक कैरेक्टर एक्टर के तौर पर पुख्ता हुई. तेलुगु सिनेमा में एक ऐसा भी पॉइंट आया जब लोग उन्हें देखकर समझ जाते थे कि या तो वो नेगेटिव रोल कर रहे हैं, या कॉमेडी वाला फ्लेवर लाएंगे. साल 1987 में एक फिल्म आई थी, 'अहा ना पेल्लांता'. यहां कोटा श्रीनिवास राव का किरदार कॉमेडिक रीलीफ के लिए था. उनके साथ ब्रह्मनंदम भी थे. 'अहा ना पेल्लांता' वो फिल्म थी जिसने कोटा श्रीनिवास राव के करियर की दिशा-दशा हमेशा के लिए बदल के रख दी. इस फिल्म के बाद लोग उन्हें ऐसे किरदारों में देखना चाहते थे. कोटा श्रीनिवास राव को भी इससे कोई आपत्ति नहीं थी. उन्होंने दनादन लाइन से ऐसी फिल्में की. ब्रह्मनंदम बताते हैं कि एक पॉइंट पर वो और कोटा श्रीनिवास राव एक दिन में 16-18 घंटे तक शूटिंग कर रहे थे.
# अमिताभ ने पूछा – “क्या एक्टर है”
कोटा श्रीनिवास ने तेलुगु के अलावा दूसरी फिल्म इंडस्ट्री में भी काम किया. उन्होंने हिंदी में भले ही चुनिंदा फिल्में की, लेकिन उनके किरदार यादगार साबित हुए. इसका एक बहुत बड़ा श्रेय राम गोपाल वर्मा को जाता है. रामू ‘सरकार’ के ज़रिए कोटा श्रीनिवास राव को हिंदी सिनेमा में लेकर आए. ‘सरकार’ का एक सीन शूट होना था. इस सीन में पहली बार अमिताभ बच्चन और कोटा श्रीनिवास राव के किरदार साथ आए. रामू याद करते हैं कि इस सीन के पूरा होने के बाद अमिताभ ने उनसे पूछा कि ये क्या कमाल एक्टर है.
कोटा श्रीनिवास राव ने आगे चलकर ‘लक’ और ‘बागी’ जैसी हिंदी फिल्मों में भी काम किया. कोविड-19 पैंडेमिक के दौरान उनकी सेहत बिगड़ने लगी थी. उस वजह से उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली. 24 जुलाई 2025 को पवन कल्याण की फिल्म ‘हरी हरा वीरा मल्लू’ रिलीज़ होने वाली है. ये कोटा श्रीनिवास राव की आखिरी फिल्म होगी.
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