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मूवी रिव्यू: डायल 100

मनोज बाजपेयी, नीना गुप्ता और साक्षी तंवर जैसे जबर एक्टर्स वाली इस फ़िल्म में कितना दम है?

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फ़िल्म 'डायल 100' के दृश्य. बाएं फ़ोटो में नीना गुप्ता हैं दाएं फ़ोटो में मनोज बाजपेयी.
ज़ी5 पर एक नई फ़िल्म रिलीज़ हुई है. फ़िल्म का नाम है 'डायल 100'. हमने ये फ़िल्म देख ली है. 1 घंटा 44 मिनट लंबी चली 'डायल 100' की एंटरटेनमेंट कनेक्टिविटी कितनी स्ट्रोंग है, आइये आपको भी बतलाते हैं. #कहानी कहानी मुंबई पुलिस इमरजेंसी कॉल सेंटर से शुरू होती है. यहां नाइट ड्यूटी कर रहे हैं पुलिस अफ़सर निखिल सूद. पुलिस सिस्टम के हैडफ़ोन से जनता के कॉल्स का जवाब दे रहे हैं. पर्सनल फ़ोन से घर में पत्नी और बेटे की अनबन को सॉल्व कर रहे हैं. इसी बीच ऑफिस में कॉल आता है. कॉलर बाकी किसी की बजाय सिर्फ़ निखिल से बात करने की ज़िद करती है. निखिल कॉल लेते हैं. सामने कॉलर निखिल से अजीबो-गरीब सवाल करना शुरू कर देती है. पहले तो निखिल को लगता है कोई ड्रंक कॉलर उनके साथ प्रैंक कर रहा है. लेकिन धीरे-धीरे कॉलर की बातें अजीब सी भयावह होने लगती हैं. कहानी में आगे जाकर ये कॉल निखिल और उसके परिवार के लिए काल साबित होता है.
मनोज बाजपेयी एज़ निखिल सूद.
मनोज बाजपेयी एज़ निखिल सूद.

# कैसी है फिल्म?

'ये इंसाफ़ नहीं है, बदला है'

फ़िल्म में एक जगह ये डायलॉग निखिल सूद बोलता है. किस कॉन्टेक्स्ट में बोलता है ये नहीं बता सकते .स्पॉइलर हो जाएगा. लेकिन ये डायलॉग खुद इस फ़िल्म की तासीर की ओर इशारा करता है. क्यूंकि फ़िल्म का प्लॉट अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू की 2019 में आई फ़िल्म 'बदला' से बहुत मेल खाता है. लेकिन अफ़सोस फ़िल्म मनोरंजन के मामले में दूर-दूर तक 'बदला' के बगल से भी नहीं गुज़रती.
फ़िल्म का मेन कैरेक्टर निखिल सूद मुंबई पुलिस इमरजेंसी कॉल सेंटर अफ़सर है. आजतक फ़िल्मों में पुलिस के इस विभाग को ठीक से नहीं दिखाया गया है. ट्रेलर और फ़िल्म के टाइटल से उम्मीद लगी थी कि फ़िल्म की कहानी पुलिस कॉल सेंटर का ये विभाग किन तरीकों की मुश्किलों और पेचीदगियों से जूझता है. इस के आसपास चलेगी. लेकिन फ़िल्म में ऐसा कुछ नज़र नहीं आता. मतलब कि अगर निखिल सूद इस विभाग की जगह किसी और विभाग में भी होता, तो कहानी में कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता.
'डायल 100' एक सस्पेंस थ्रिलर जॉनर की फ़िल्म है. लेकिन फ़िल्म में सस्पेंस क्या था ये हमारे लिए अब तक सस्पेंस ही है. रही बात थ्रिल की तो इस फ़िल्म से ज़्यादा थ्रिल तो इंटरनेट उड़ जाने पर गूगल क्रोम के डायनासोर वाले गेम में आ जाता है. फ़िल्म के शुरुआती 20 मिनट में ही सब कुछ रिवील हो जाता है. और बाकी का डेढ़ घंटा एकदम डल जाता है. पूरी फ़िल्म के दौरान एक क्षण भी ऐसा नहीं आता, जो रोमांचित कर सके. #एक्टिंग निखिल सूद के रोल में हैं मनोज बाजपेयी. एक्टिंग में तो कोई कमी नहीं छोड़ते. लेकिन उनका ये किरदार बड़ा बासी सा है. ऐसे किरदारों में मनोज बाजपेयी कई अच्छी-बुरी फ़िल्मों का हिस्सा रह चुके हैं. निखिल सूद जिन परिस्थितियों से गुज़रता है उन जगहों पर हम मनोज जी 'द फैमिली मैन' में ही हाल ही में देख चुके हैं. इसलिए परफॉरमेंस रिपीटिड लगती है. कॉलर सीमा पल्लव की भूमिका निभाई है नीना गुप्ता ने. मनोज बाजपेयी के करैक्टर के विपरीत नीना गुप्ता को इस तरीके के ग्रे शेड करैक्टर में देखना रिफ्रेशिंग लगा. लेकिन फ़िल्म में उनके करैक्टर के पास करने के लिए ज़्यादा कुछ नहीं था, सिवाय कुछ सेम ओल्ड चीज़ों के. बाकी नीना जी को आगे ऐसे करैक्टर में देखना इंट्रेस्टिंग रहेगा. निखिल सूद की पत्नी प्रेरणा सूद के किरदार में हैं साक्षी तंवर. एक मिडिल क्लास हाउसवाइफ. साक्षी के किरदार में भी कुछ खास एलिमेंट नहीं था लेकिन फ़िर भी जब भी वो स्क्रीन पर आती हैं, अपनी प्रेजेंस दर्ज कराती हैं.
नीना ज इऔर साक्षी जी दोनों कमाल की एक्टर.
नीना जी और साक्षी जी दोनों कमाल की एक्टर.

#राइटिंग एंड डायरेक्शन 'डायल 100' को लिखा और डायरेक्ट किया है रेंसिल डिसिल्वा ने. 'रंग दे बसंती' और 'अक्स' जैसी शानदार फ़िल्मो को लिखने वाले रेंसिल 'डायल 100' में 'वो बात' लाने में नाकाम रहे हैं. फ़िल्म का हर सीन हज़ार दफ़ा किसी फ़िल्म, सीरियल, सीरीज़ में देखा हुआ लगता है. निर्देशन में भी कोई खास क्रिएटिविटी नज़र नहीं आती. सालों से दर्शाए जा रहे तरीकों का ही इस्तेमाल इस फ़िल्म में किया गया है. #देखें या नहीं?
'डायल 100' एक बासी फ़िल्म है. जिसमें एक अच्छी स्टार कास्ट भी ताज़गी नहीं ला सकी. मनोरंजन करने में फ़िल्म एकदम विफ़ल होती है. हमारे हिसाब तो 'डायल 100' के इस कॉल को रिजेक्ट करने में कोई ख़ास नुकसान नहीं है. बाकी फैसला आपका.