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सीरीज़ रिव्यू - एपी ढिल्लों: फर्स्ट ऑफ अ काइंड

मॉडर्न पॉप कल्चर में एपी का म्यूज़िक एक इवेंट, एक फिनोमेना बन चुका है. सीरीज़ हमें एपी की दुनिया में लेकर चलती है, अमृत की नहीं.

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सीरीज़ एपी ढिल्लों के भावनात्मक पलों में गहराई से नहीं उतर पाती.

अमेज़न प्राइम ने पॉपस्टार AP Dhillon पर एक डॉक्यू-सीरीज़ बनाई है, AP Dhillon: First of A Kind. चार एपिसोड की ये सीरीज़ रिलीज़ हो चुकी है. इस सीरीज़ को दो कारणों से बनाया गया – एक तो अधिकांश भारतीय समझ जाएं कि उनका नाम एपी ढिल्लों हैं. ढिल्लन या डिलन नहीं. दूसरा सीरीज़ के प्रोमोज़ में कहा गया कि आप एपी ढिल्लों के म्यूज़िक को जानते हैं, पर उस आदमी को नहीं. You Know the Music. You don’t know the Man. ये लाइन प्रमोशन में बार-बार इस्तेमाल हुई. एपी ढिल्लों की स्टार नुमा इमेज से इतर ये सीरीज़ अमृत नाम के लड़के को जानने में कितनी इच्छुक है, अब बात उस बारे में. वो लड़का जो साल 2015 में इंडिया छोड़कर कैनडा आ गया था. जिसे कैनडा में अपनी पहली रात को ये नहीं पता था कि क्रेडिट कार्ड क्या होता है. जीवन में उस वक्त कोई तय दिशा नहीं थी.

साल 2021 में एपी ढिल्लों ने इंडिया टूर किया था. सीरीज़ वहीं से खुलती है. एपी और उनकी टीम से जुड़े लोग आगे बताते हैं कि वो साथ कैसे आए. गाने बनाने तक से लेकर उन्हें खुद से रिलीज़ करने तक का सफर कैसा था. आर्टिस्ट के करियर की शुरुआती बातें कुछ मिनटों में ही कवर कर ली गईं. उसके बाद ज़्यादातर हिस्सा आज के समय में चलता है. एपी और उनकी टीम इंडिया के बाद कैनडा और अमेरिका के टूर की तैयारी कर रही है. उन्होंने अब तक इस लेवल का कुछ भी प्लान नहीं किया है. इस दौरान क्या पंगे होते हैं. मैनेजमेंट के कैसे झमेले झेलने पड़ते हैं. आगे कहानी में यही चलता है. 

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‘ब्राउन मुंडे’, वो गाना जो एपी और उनकी टीम को मैप पर ले आया. 

AP Dhillon: First of A Kind कुछ हिस्सों में मज़ेदार किस्म की डॉक्यू-सीरीज़ है. कोई घटना बताई गई, बीच-बीच में एपी का म्यूज़िक बजने लगेगा. आप अपने कंधे और सिर हल्के-हल्के हिलाते रहेंगे. बावजूद ऐसे मोमेंट्स के ये बढ़िया काम नहीं. सबसे पहले तो ये निष्पक्ष ढंग से नहीं बनाई गई. एपी खुद इस प्रोजेक्ट के एग्ज़ेक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं. यानी जिनके पास क्रिएटिव कंट्रोल होता है. नेटफ्लिक्स ने यशराज फिल्म्स पर एक डॉक्यू-सीरीज़ बनाई थी, The Romantics. उसके साथ भी यही मसला था. आपको मज़ा आ रहा है. किस्से-कहानियां सुनने को मिलते हैं. लेकिन उसका क्रिएटिव कंट्रोल यशराज के हाथ में ही था. बाकी आप समझदार हैं हीं. 

सीरीज़ क्लेम करती है कि ये आपको उस म्यूज़िक के पार ले जाकर उसे बनाने वाले आदमी से रूबरू करवाएगी. लेकिन ऐसा भी नहीं कर पाती. एपी बनने से पहले के अमृत की लाइफ को बहुत थोड़ा फुटेज दिया गया. हम नहीं जान पाते कि वो किस किस्म का लड़का रहा. उसके संगीत पर किन लोगों का प्रभाव रहा. उसे ये दिशा कैसे मिली. शुरुआती एपिसोड्स देखकर लग रहा था कि बस एपी और उनके करीबी लोगों के इंटरव्यूज़ को एक जगह जमा कर दिया गया है. सीरीज़ उनके निजी, भावनात्मक पहलुओं को दिखाना चाहती है. लेकिन बस उन्हें छूकर आगे निकल पड़ती है. जैसे एक जगह बताया गया कि सिद्धू मूसेवाला की हत्या का एपी पर गहरा असर पड़ा था. लेकिन उस पक्ष, उस रिश्ते को ठीक से एक्सप्लोर नहीं किया गया. इस पूरी बातचीत को बस तीन से चार मिनट में लपेट दिया गया.

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सीरीज़ अमृत से ज़्यादा एपी ढिल्लों में रुचि रखती है. 

लाइफ में सब सही चल रहा है. तगड़ी फैन फॉलोइंग जुड़ चुकी. शोज़ की टिकट धड़ाधड़ बिक रही हैं. इस पॉपुलरिटी का एक दूसरा खतरनाक पहलू भी है. सीरीज़ में दिखाया जाता है कि एपी को धमकियां मिलने लगती हैं. उनके होटल रूम नंबर कोई लीक कर रहा होता है. इस साइड को भी गहराई में उतरकर नहीं दिखाया गया. बस किसी जानकारी की तरह बताया और आगे बढ़ गए. कहने का तात्पर्य है कि सीरीज़ अपने ड्रामा वाले मोमेंट्स को ठीक से भुना नहीं पाती.     

मॉडर्न पॉप कल्चर में एपी का म्यूज़िक एक इवेंट, एक फिनोमेना बन चुका है. सीरीज़ हमें एपी की दुनिया में लेकर चलती है. अमृत की नहीं. एक शो से पहले एपी की दुनिया में और उनके दिमाग में कितनी उथल-पुथल चल रही है, ये दिखाती है. एपी ढिल्लों के फैन को उनके थोड़ा और करीब लेकर जाती है. लेकिन जो पूरी तरह से उनके म्यूज़िक से अनजान है, ऐसे किसी शख्स के लिए सीरीज़ के पास कुछ नया नहीं. सीरीज़ में अनगिनत मौकों पर ‘कल्चर’ शब्द का इस्तेमाल हुआ है. कि एपी के म्यूज़िक से ये कल्चरल इम्पैक्ट पड़ेगा. कैसे उनका संगीत हमारे कल्चर का प्रतिनिधित्व करता है. बस उनके काम से कल्चर पर क्या असर पड़ रहा है, मेकर्स ये दिखाने में चूक गए. काश कुछ जगहों से कल्चर शब्द उड़ाकर उसके इम्पैक्ट को ठीक से जगह दी गई होती.                       

वीडियो: सीरीज़ रिव्यू: 'ट्रायल बाई फायर'