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रफाल के बाद अब बिजनेस जेट, रिलायंस के साथ भारत में फाल्कन-2000 बनाएगी दसॉ एविएशन

18 जून को Paris Air Show में इस Dassault और Reliance Aerostructure Limited एक स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप की घोषणा की है.

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फाल्कन 2000 बिजनेस जेट (PHOTO- Dassault Falcon/X)

भारत के एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग ईकोसिस्टम को जल्द ही नया बूस्ट मिल सकता है. फ्रांसीसी सैन्य विमान और बिजनेस जेट बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) अपने सबसे ज्यादा बिकने वाले बिजनेस एग्जीक्यूटिव जेट-फाल्कन 2000 (Falcon-2000 Business Jet) का निर्माण भारत में करने जा रही है. नागपुर में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड (Reliance Aerostructure) के साथ साझेदारी में इस जेट का निर्माण होगा. 

लेकिन ये पहली बार नहीं है जब दसॉ और रिलायंस ने हाथ मिलाया हो. दसॉ वही कंपनी है जो भारतीय एयरफोर्स के बेड़े में शामिल रफाल फाइटर जेट्स बनाती है. रफाल की डील के वक्त भी रिलायंस की कंपनी ‘रिलायंस डिफेंस’ को ऑफसेट पार्टनर बनाया था. तब इस पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने खूब बयान दिए और आरोप लगाए थे. दसॉ एविएशन के सीईओ ने तब यह कहा था कि उनकी कंपनी का निवेश रिलायंस में नहीं बल्कि दोनों के जॉइंट वेंचर दसॉ रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड में किया जा रहा है. CEO ट्रैपियर ने कहा था, 

हमने अंबानी को खुद चुना है. हमारे पास रिलायंस के अलावा पहले से ही 30 भागीदार हैं. भारतीय वायुसेना इस सौदे का समर्थन कर रही है क्योंकि उन्हें अपनी रक्षा के लिए लड़ाकू विमानों की ज़रूरत है. हम रिलायंस में कोई पैसा नहीं लगा रहे हैं. पैसा जॉइंट वेंचर में जा रहा है. हमें इस कंपनी में 50:50 के हिसाब से लगभग 800 करोड़ रुपये लगाने हैं.

दोनों कंपनियों ने 18 जून को पेरिस एयर शो में इस उद्देश्य के लिए एक स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप की घोषणा की है. इस घोषणा के मुताबिक भारत में बना फाल्कन 2000 जेट 2028 तक तैयार हो जाना जाएगा. यह घोषणा दसॉ और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स द्वारा रफाल के ढांचे को बनाए जाने की घोषणा के बमुश्किल दो सप्ताह बाद हुई है. इस घोषणा के बाद दोनों कंपनियों ने एक साझा स्टेटमेंट जारी किया है. स्टेटमेंट में उन्होंने कहा

दसॉ एविएशन अपने गौरवशाली इतिहास में पहली बार फ्रांस के बाहर फाल्कन 2000 जेट का निर्माण करेगा. इस पहल से भारत हाई-एंड बिजनेस जेट निर्माण के लिए एक रणनीतिक केंद्र के रूप में उभरेगा. यह भारतीय एयरोस्पेस और मैन्युफैक्चरिंग उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. यह ऐतिहासिक समझौता भारत को लिए अमेरिका, फ्रांस, कनाडा और ब्राजील के साथ अगली पीढ़ी के बिजनेस जेट्स बनाने वाले देशों के क्लब में शामिल कर देगा.

इस जॉइंट स्टेटमेंट में फाल्कन 2000 मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी की क्षमता के बारे में नहीं बताया गया, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबित यह क्षमता प्रति वर्ष 24 विमानों तक की हो सकती है. यह किसी विदेशी विमान निर्माता द्वारा भारत में नागरिक विमानों के लिए फाइनल असेंबली लाइन (FAL) स्थापित करने का पहला उदाहरण होगा. 

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इसके अलावा यूरोपीय एयरोस्पेस कंपनी एयरबस, जिसकी दसॉ में भी हिस्सेदारी है, उसने टाटा ग्रुप के साथ साझेदारी में भारत में एक फाइनल असेंबली लाइन स्थापित करने का फैसला किया है. लेकिन यह फैसिलिटी हेलीकॉप्टर्स का निर्माण करेगी. एयरबस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के पास C295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लिए भारत में पहले से ही एक FAL है. फिलहाल में 90 देशों में फाल्कन फैमिली के 2 हजार जेट्स ऑपरेशनल हैं.

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