Anurag Kashyap. जाने-माने फिल्ममेकर हैं. इंडस्ट्री को कई कल्ट फिल्में दी हैं और कई पिक्चरों में यादगार रोल भी निभाए हैं. अनुराग मलयालम फिल्म Rifle Club में नज़र आए थे. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के सेट और बॉलीवुड इंडस्ट्री की तुलना करते हुए अनुराग ने कहा कि प्रॉब्लम यही है कि सभी को स्टार्स जैसा ट्रीटमेंट चाहिए.
''आज के एक्टर्स एक्टिंग नहीं करना चाहते, मगर उन्हें स्टार वाली ट्रीटमेंट चाहिए''- अनुराग कश्यप
Anurag Kashyap ने कहा कि वो अपनी ही फिल्म इंडस्ट्री से बहुत हताश और निराश हैं.
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अनुराग कश्यप ने बॉलीवुड के स्टार सिस्टम पर बात की. उन्होंने तुलना करते हुए बताया कि मलयालम सिनेमा में सभी एक-दूसरे को पुश करते हैं. एक साथ आगे बढ़ना चाहते हैं. अनुराग ने कहा,
मलयालम सिनेमा में ये नहीं सोचा जाता कि उन्हें एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बनानी है. वो इसलिए फिल्म बनाते हैं कि उन्हें वो काम करना ही है. वो फिल्म बनाना चाहते हैं. वहां वो इस चीज़ में एक-दूसरे की मदद भी करते हैं.
अनुराग ने कहा कि मलयामल सिनेमा में काम करना उनके लिए रिफ्रेशिंग रहा. बोले,
वहां एक अच्छी चीज़ ये है कि उस इंडस्ट्री में कोई महान या श्रेष्ठ नहीं बनना चाहता. एक्टर्स के बीच में भी कोई ये नहीं दिखाता कि मैं महान हूं. सभी एक-दूसरे को बढ़ने में सहायता करते हैं और सेट पर खूब मस्ती-मज़ा होता है. फिर एक ऐसा फिल्ममेकर होता है जिसे मैं जानता हूं.
अनुराग बोले,
मैंने उस फिल्म में काम करके बहुत सारे लोगों को जाना, समझा. उनके काम करने के तरीके को जाना. मुझे इसपर काम करके अपनी ही फिल्म Gangs of Wasseypur के शूटिंग का वक्त की याद आ गई. वहां सभी के लिए सिर्फ एक ही रेस्टिंग वैन होती है. बाकी जो चाहे वो कुर्सी लगाकर बाहर बैठ सकता है, आराम कर सकता है.
इतने सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी अनुराग कश्यप ने बात की. कहा,
इन्हीं प्लेटफॉर्म्स की वजह से हम फिल्म बनाने पर फोकस करने के बजाय खुद को स्टार जैसे ट्रीट करने लगे हैं. ये सारे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म अपना प्रेज़ेंस मनवाना चाहते हैं. उन्होंने अमेरिकन तरीके से काम करने के तरीके को इजात करवा दिया है. इसके साथ ही गलत ये हुआ है कि अब सभी को स्टार जैसी ट्रीटमेंट चाहिए. वरना उन्हें अपमानित महसूस होने लगता है. आधी इंडस्ट्री की प्रॉब्लम ही यही है कि वो अपमानित महसूस करने लगते हैं. अब वक्त ऐसा आ गया है कि आप असुरक्षित महसूस कर रहे लोगों के साथ डील करते हैं. असुरक्षित इसलिए क्योंकि उनकी फिल्म चल ही नहीं रही.
अपने एक और इंटरव्यू में अनुराग ने ये भी कहा कि अब वो मुंबई से बाहर जाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से वो बिल्कुल कट चुके हैं. उन्होंने आज कल की टैलेंट मैनेजमेंट एजेंसी के ऊपर ठीकर फोड़ा. और कहा कि ये एजेंसीज़ किसी भी एक्टर को एक बेहतर कलाकार बनाने से ज़्यादा स्टार बनाने पर तुली हुई हैं. अनुराग ने कहा कि ऐसी एजेंसियां प्रॉफिट के लिए आज कल के एक्टर्स का शोषण कर रही हैं.
The Hollywood Reporter India से की गई बातचीत में अनुराग ने कहा,
अब मेरे लिए ये बहुत मुश्किल है कि मैं फिल्मों के साथ एक्सपेरिमेंट करूं, जिससे मेरा प्रोड्यूसर प्रॉफिट और मार्जिन्स के बारे में सोचे. शुरू से ही ऐसा रहा है कि किसी भी चीज़ को कैसे बेचा जाए. तो अब फिल्ममेकिंग वाला जुनून निकल चुका है. इसलिए मैं अगले साल मुंबई से निकलना चाहता हूं. मैं साउथ जा रहा हूं. मैं वहां जाना चाहता हूं जहां अभी भी फिल्ममेकिंग में मज़ा है. वरना मैं तो बूढ़े आदमी की तरह मर जाऊंगा. मैं अपनी खुद की ही फिल्म इंडस्ट्री से बहुत निराश और हताश हूं.
उदाहरण के तौर पर अनुराग कश्यप ने बताया कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आज के समय में Manjummel Boys जैसी फिल्में नहीं बन सकतीं. मगर ये सक्सेसफुल हुई तो हिंदी वाले इसे रीमेक ज़रूर कर सकते हैं. अनुराग ने टैलेंट एजेंसीज़ पर बात करते हुए ये भी कहा कि आज कल के एक्टर्स कोई एक्टिंग नहीं करना चाहते मगर सभी को स्टार बनना है. उन्होंने ये भी कहा कि यही एजेंसी एक्टर्स और फिल्ममेकर्स के बीच की दीवार बन जाते हैं.
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