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Rampur Lok Sabha Result: यूपी की रामपुर सीट पर था कड़ा मुकाबला, जीत किसकी हुई?

चुनाव से पहले आजम खान चाहते थे कि रामपुर सीट से अखिलेश यादव चुनाव लड़ें. लेकिन अखिलेश रामपुर से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. आखिर सीट अखिलेश की पसंद रहे मोहिबुल्लाह ने ही जीती.

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रामपुर लोकसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य माना जाती है. (फोटो- PTI)

उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट (Rampur Lok Sabha Results) समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्लाह नदवी ने जीत ली है. नदवी को 4 लाख 81 हजार 503 वोट मिले. वो 87 हजार 434 वोट से जीते. सीट पर दूसरे नंबर पर भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी रहे. लोधी को 3 लाख 94 हजार 69 वोट मिले. सीट पर तीसरे नंबर पर रहे जीशान खान को 79 हजार 692 वोट मिले.

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2019 चुनाव का रिजल्ट

2019 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन हुआ. नतीजा ये हुआ कि आजम खान पहली बार लोकसभा में पहुंचे. आजम को 5 लाख 59 हजार 177 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर भाजपा की प्रत्याशी जयाप्रदा रहीं. उन्हें 4 लाख 49 हजार 180 वोट मिले थे. हालांकि, 2022 में मुरादाबाद के एक प्रकरण में सीट से सांसद आजम खान को अदालत ने सजा सुना दी, जिस कारण चुनाव आयोग ने रामपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया. उस वक्त तक आजम खान के करीबी रहे घनश्याम सिंह लोधी भाजपा में शामिल हो गए थे. लोधी को भाजपा ने उपचुनाव में टिकट दिया. वो सीट जीत भी गए.

2014 चुनाव का रिजल्ट

2014 के आम चुनाव में भाजपा के नेपाल सिंह की जीत हुई. नेपाल सिंह को 3 लाख 58 हजार 616 वोट मिले थे. वहीं सपा के नसीर अहमद खान दूसरे नंबर पर रहे थे. नसीर को 3 लाख 35 हजार 181 वोट पड़े थे. कांग्रेस के नवाब काजिम अली खान 1 लाख 56 हजार 466 वोट के साथ तीसरे नंबर पर थे.

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बॉलीवुड की फिल्मों में धाक जमाने वाले रामपुरी चाकू के बाद रामपुर की सियासत ने भी देश में खूब धाक जमाई. राजनीतिक लिहाज से रामपुर सीट काफी दिलचस्प मानी जाती है. चाहे सपा के कद्दावर नेता आजम खान हों या फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा नाहटा. भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी की राजनीतिक पारी का आगाज रामपुर से ही हुआ था. आजादी के बाद 1952 में सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. तब कांग्रेस के टिकट पर मौलाना अबुल कलाम आजाद रामपुर के पहले सांसद बने थे और देश के पहले शिक्षा मंत्री भी.

आजम खान चाहते थे अखिलेश लड़ें

रामपुर सीट की लड़ाई काफी दिलचस्प बताई जा रही थी. चुनाव से पहले आजम खान सीट से अखिलेश यादव का समर्थन कर रहे थे. लेकिन अखिलेश रामपुर से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. उन्होंने अपने पुराने सहयोगी असीम राजा का नाम सुझाया. राजा ने अपना नामांकन पत्र भी दाखिल किया. लेकिन चुनाव आयोग ने जांच के दौरान उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया. जिसके बाद सपा ने दिल्ली के मौलवी मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट थमाया. जिसका कि आजम खान के सपोर्टर विरोध कर रहे थे.

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जहां सपा अंदरूनी लड़ाई रही थी, भाजपा सीट पर मुस्लिम वोटरों के वोट को लेकर आश्वस्त दिख रही थी. स्वार से अपना दल (S) के विधायक शफीक अंसारी मुस्लिमों के बीच भाजपा प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी के लिए प्रचार में लगे रहे. मुस्लिमों को दिए गए मुफ्त राशन पर पार्टी ने वोट की अपील की. साथ ही पार्टी ने राम मंदिर के मुद्दे को भी भुनाया. सीट पर भाजपा के नेता करीब 5 हजार स्थानीय लोगों को मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या ले गए.    

जातीय समीकरण

रामपुर लोकसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य माना जाती है. यहां 60 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. तो 40 प्रतिशत हिंदू वोटर्स भी हैं. इनमें सबसे अधिक लोधी हैं. करीब 2.50 लाख. कुर्मी मतदाता लगभग 40 हजार. दलित करीब 60 हजार. सैनी करीब 70 हजार हैं.

भाजपा के पास तीन विधायक

रामपुर संसदीय सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. रामपुर नगर, बिलासपुर, चमरौआ, स्वार और मिलक सीट शामिल हैं. इनमें स्वार से अपना दल (S) के शफीक अंसारी विधायक हैं. भाजपा के कब्जे में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं. रामपुर नगर से आकाश सक्सेना, मिलक से राजबाला और बिलासपुर से बलदेव सिंह औलख विधायक हैं.

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