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Bihar Election 2025: वोटिंग होने से लेकर रिजल्ट आने तक, चुनाव का पूरा प्रोसेस यहां जान लीजिए

Bihar Assembly Election Result: सबसे पहले पोस्टल बैलट की गिनती होती है. उसके करीब 30 मिनट बाद EVM से वोटों की काउंटिग शुरू होती है. मशीन में वोटों की गिनती जल्दी हो जाती है. ऐसे में कई सेंटर्स पर बैलेट काउंटिग पिछड़ जाती है. जबकि उसकी काउंटिग पहले शुरू हुई थी.

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स्ट्रॉन्ग रूम में रखी ईवीएम (PHOTO-AajTak)

बिहार विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती के बीच ईवीएम और उसके रखने को लेकर विवाद हुआ. आरजेडी ने 12 नवंबर को दावा किया कि सासाराम में प्रशासन एक ट्रक लेकर मतगणना केंद्र के अंदर ले गया जिसमें ईवीएम थे. ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है जहां इसकी कड़ी निगरानी होती है. तो समझते हैं कि क्या होता है ये स्ट्रॉन्ग रूम और कैसे होती है ईवीएम की सुरक्षा.

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स्ट्रॉन्ग रूम

स्ट्रॉन्ग रूम, वो जगह, जहां वोटिगं के बाद EVM को रखा जाता है. इसे स्ट्रॉन्ग रूम इसलिए कहा जाता हैक्योंकि एक बार मशीन कमरे में चली गई तो कोई भी व्यक्ति उसमें प्रवेश नहीं कर सकता. मान लीजिए कुछ विशेष परिस्थितियों में अंदर जाना जरूरी ही है तो उसके लिए निर्वाचन आयोग से परमीशन लेनी पड़ती है. परमीशन मिल जाए उसके बाद भी वो व्यक्ति अकेले रूम में नहीं जा सकता. उसके साथ सुरक्षाकर्मी और कुछ संबंधित अधिकारी भी जाते हैं. स्ट्रॉन्ग रूम कभी किसी
प्राइवेट प्रॉपर्टी पर नहीं बनाया जा सकता. ये हमेशा किसी सरकारी इमारत में ही होता है. ये कमरा इतना सिक्योर है कि इसकी सुरक्षा तीन लेयर में की जाती है.

1. अंदरूनी सुरक्षा: केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों को निगरानी की जिम्मेदारी दी जाती है.
2. मध्य स्तर सुरक्षा: ये भी केंद्रीय बलों के नियंत्रण में रहती है.
3. बाहरी सुरक्षा: ये राज्य पुलिस संभालती है.

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काउंटिग के दिन स्ट्रॉन्ग रूम कैसे खुलता है?

स्ट्रॉन्ग रूम, मतगणना (काउंटिग) वाले दिन ही खोला जाता है. जैसे बिहार में 14 नवंबर को काउंटिंग है. ऐसे में बिहार में भी स्ट्रॉन्ग रूम खोला दिया जाएगा. दरवाजा खोलते वक्त रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के स्पेशल ऑब्जर्वर वहां मौजूद होते हैं. सभी कैंडिडेट्स या उनके प्रतिनिधि की मौजूदगी जरूरी होती है. कैमरे से पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है. इसके बाद EVM को स्ट्रॉन्ग रूम से मतगणना केंद्र तक कड़ी सुरक्षा के बीच लाया जाता है.

कैसे होती है वोटों की गिनती?

मतगणना के दिन काउंटिग सेंटर पर रिटर्निंग ऑफिसर के साथ कई अधिकारी, उम्मीदवार, उनके इलेक्शन एजेंट और काउंटिग एजेंट मौजूद रहते हैं. पूरे काउंटिग हॉल में कैमरे लगे होते हैं ताकि पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग हो सके. काउंटिग एजेंट और उम्मीदवारों के एजेंटों के बीच एक तार की बाड़ होती है. मोबाइल फोन अंदर ले जाना मना होता है. गिनती कई राउंड्स मेंहोती है. हर राउंड में 14 EVM मशीनें खोली जाती हैं. इसलिए हॉल केअंदर बाड़बंदी के भीतर 14 टेबल लगाए जाते हैं. इसके साथ ही नजदीक एक ब्लैक बोर्ड/वाइट बोर्ड होता है. इस बोर्ड पर हर राउंड के बाद सभी उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या लिखी जाती है. इस बात का भी खास ख्याल रखा जाता है कि किस बूथ की ईवीएम को किस टेबल पर रखना है. ये पहले ही चार्ट बनाकर तय कर लिया जाता है. उसी मुताबिक प्रक्रिया आगे बढ़ती है. फिर सुबह 8 बजे काउंटिग शुरू की जाती है.

सबसे पहले पोस्टल बैलट की गिनती होती है. उसके करीब 30 मिनट बाद EVM से वोटों की काउंटिग शुरू होती है. मशीन में वोटों की गिनती जल्दी हो जाती है. ऐसे में कई सेंटर्स पर बैलेट काउंटिग पिछड़ जाती है. जबकि उसकी काउंटिग पहले शुरू हुई थी. इसके लिए चुनाव आयोग ने इस बार नए नियम बनाए हैं. नए रूल्स के मुताबिक, बिहार में बैलट काउंटिग पूरी होने तक EVM के वोट पूरे नहीं गिने जाएंगे. EVM में सेकेंड लास्ट राउंड आने तक अगर बैलट बचता है तो मशीन काउंटिग रोक दी जाएगी. जब बैलट की काउंटिग पूरी हो जाएगी तब मशीन के बचे हुए आखिरी राउंड गिने जाएंगे.

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जब EVM मशीन का ‘रिजल्ट बटन’ दबाया जाता है, तो स्क्रीन पर दिखता है कि किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले. यह प्रक्रिया लगभग 2-3 मिनट में पूरी हो जाती है. यह रिजल्ट डिस्प्ले बोर्ड पर दिखाया जाता है, ताकि सभी टेबल पर बैठे कर्मचारी और एजेंट देख सकें. इसे ही हम रुझान कहते हैं. हर टबेल पर मतगणना करने वाले कर्मचारी हर राउंड के बाद फॉर्म 17-C भरते हैं. उस पर एजेंट के हस्ताक्षर होते हैं. फिर वह फॉर्म RO (रिटर्निंग ऑफिसर) को दिया जाता है. RO हर राउंड के बाद कुल वोटों की जानकारी दर्ज करता है, ब्लैकबोर्ड पर लिखवाता है और लाउडस्पीकर से अनाउंस भी करवाता है. जब एक राउंड की गिनती पूरी हो जाती है, तो अधिकारी 2 मिनट का समय देते हैं ताकिअगर किसी उम्मीदवार को कोई आपत्ति हो तो वह बता सकें. फिर कोई शिकायत अगर आती है, तो RO तयकरता है कि गिनती दोबारा कराई जाए या उम्मीदवार को समझाया जाए कि सब कुछ सही तरीके से हुआ है. इसके साथ ही हर राउंड का परिणाम RO तुरंत राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजता है.

वोटों की रीकाउंटिंग कैसे होती है?

री-काउंटिंग उसी टेबल पर या अलग टीम की तरफ से कराई जाती है. इसमें उम्मीदवारों के एजेंटमौजूद रह सकतेहैं. अगर री-काउंटिंग में पहले घोषित नतीजे से फर्क पड़ता है, तो नया आंकड़ा ही मान्य माना जाता है. इसके बाद RO अंतिम परिणाम घोषित करता है. सभी राउंड की गिनती पूरी होने का बाद ही अंतिम परिणाम की आधिकारिक घोषणा कर दी जाती है. इसके बाद जीते प्रत्याशी को रिटर्निंग ऑफिसर की ओर से सर्टिफिकेट ऑफ इलेक्शन यानी निर्वाचन प्रमाण पत्र दिया जाता है. यही प्रमाण पत्र चुनाव में जीत का प्रमाण है. लेकिन ये कैसे तय हो कि फलां जगह के वोट कितने राउंड में गिने जाएंगे.

वोटों की गिनती के राउंड कैसे तय होते हैं?

वोटों की गिनती के लिए लगी टेबल्स केआधार पर राउंड तय किए जाते हैं. अधिकतम वोटों की गिनती 14 से 20 राउंड की होती है. उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी सीट पर 300 बूथ हैं. 14 टेबल्स पर वोटों की गिनती हो रही है तो 300 को 14 से डिवाइड करेंगे. उत्तर मिलेगा 22. इसका मतलब ये होगा कि उस सीट पर कुल 22 राउंड की काउंटिंग होगी.

फॉर्म 17 C में क्या होता है?
  • इसमें बताया जाता है कि एक मतदान केंद्र पर कितने वोट डाले गए हैं. 
  • इसमें ये जानकारियां भी दर्ज की जाती हैं कि, EVM का सीरियल नंबर क्या है? 
  • मतदान केंद्र पर वोटर्स की संख्या क्या है और 17-ए में वोटर्स की संख्या क्या है. 
  • 17-A इस बात को साबित करने का फॉर्म होता है कि कौन-कौन मताधिकार का प्रयोग करने आया था. 
  • इससे डुप्लिकेट और फर्जी वोटिंग रोकने में मदद मिलती है. 
  • कोर्ट में अगर किसी के निर्वाचन को कोई चुनौती देता है तो इसे लीगल ऐविडेंस (सबूत) माना जाता है. 
  • उन मतदाताओं की संख्या भी होती है, जिन्हें वोट नहीं देने दिया गया. 
  • वोटिंग मशीन में दर्ज हुए वोटों की संख्या. 
  • बैलट पेपर्स की संख्या क्या है? 
  • इसमें 6 पोलिंग एजेंट्स और चुनाव अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं.

अब आता है एक सवाल, मान लीजिए रिजल्ट आने के बाद आप उससे खुश नहीं हैं या आपको लग रहा है कि EVM में कोई गड़बड़ी है तो क्या करें? तो इसके लिए वहां मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर से शिकायत करना पहला कदम होता है. अगर वह शिकायत पर एक्शन ना ले तो आप जि ला नि र्वा चन अधि कारी के पास फोन या ईमेल कर शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा सीधे चुनाव आयोग से भी शिकायत कर सकते हैं.

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क्या शिकायत कुछ दिन बाद भी की जा सकती है?

नहीं, इसकी शिकायत फौरन करनी चाहिए. चुनाव आयोग ने इसके लिए 24 घंटे के अंदर का वक्त तय किया है. इतने वक्त में शिकायत दर्ज करनी होती है. एक बार रिजल्ट आ गया और आप नतीजों से खुश नहीं है तो उस रिजल्ट को सिर्फ कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.

 

 

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