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इन पांच सीटों में अटकी RJD-कांग्रेस की गरारी, महागठबंधन में क्यों नहीं हो पा रहा सीट बंटवारा?

Congress और RJD के बीच जिन पांच सीटों पर विवाद है, उनमें से तीन पर साल 2020 में NDA के उम्मीदवारों को जीत मिली थी, जबकि दो सीट असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के खाते में गई थी.

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कांग्रेस और राजद के बीच पांच सीटों पर बात नहीं बन पा रही है. (इंडिया टुडे, फाइल फोटो)

बिहार चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election) में पहले फेज के लिए 10 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है. लेकिन महागठबंधन में सीट बंटवारे का पेंच सुलझता नहीं नजर आ रहा. पिछले कुछ दिनों में गठबंधन के दो बड़े घटक RJD और Congress के बीच कई दौर की बातचीत हुई है. लेकिन अभी दोनों दल किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए हैं.  

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इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों हवाले से लिखा है कि राजद और कांग्रेस के बीच पांच सीटों को लेकर गरारी फंसी है. ये सीटें हैं पूर्णिया की बैसी किशनगंज की बहादुरगंज, अररिया की रानीगंज, भागलपुर की कहलगांव और सहरसा जिले की सहरसा शहर विधानसभा सीट. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने रानीगंज, सहरसा और बैसी से चुनाव लड़ा था, जबकि कहलगांव और बहादुरगंज कांग्रेस के खाते में गए. इन सीटों पर दोनों में से किसी भी दल को जीत नहीं मिली.

सूत्रों के हवाले से खबर है कि राजद कांग्रेस से कहलगांव और बहादुरगंज सीट छोड़ने की मांग कर रही है. वहीं कांग्रेस इन सीटों के बदले में रानीगंज, सहरसा और बैसी सीट चाहती है. दोनों पार्टियों के बीच चल रही बातचीत में शामिल एक नेता ने बताया कि इन पांच सीटों पर राजद और कांग्रेस के बीच सहमति नहीं बन पा रही है. इस समय कोई भी पार्टी एक भी सीट नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि सहयोगी दलों की संख्या बढ़ गई हैं. हर पार्टी को सीटों की संख्या कम करनी होगी. उन्होंने आगे बताया कि कहलगाव सीट से तेजस्वी यादव ने कांग्रेस से सलाह किए बिना ही एक जनसभा में लोगों से रजनीश यादव को आशीर्वाद देने की अपील कर दी. यानी एक तरह से उनकी उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी. रजनीश झारखंड सरकार में मंत्री संजय यादव के बेटे हैं. 

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पिछली बार इस सीट से कांग्रेस के शुभानंद मुकेश इस सीट से चुनाव लड़े थे. उनको बीजेपी प्रत्याशी पवन कुमार यादव ने 42 हजार 893 वोटों से हराया था. शुभानंद के पिता सदानंद सिंह इस सीट से 9 बार कांग्रेस के टिकट से विधायक रहे हैं. शुभानंद अब जदयू में शामिल हो चुके हैं. कांग्रेस की ओर प्रवीण कुशवाहा इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. पार्टी उनको चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में भी है. ऐसे में तेजस्वी के ऐलान ने इस सीट पर कंफ्यूजन बढ़ा दिया है.

रानीगंज सीट पर पिछली बार कांटे की टक्कर रही थी. जदयू के अचमित ऋषिदेव ने राजद के अविनाश मंगलम को 2 हजार 304 वोटों से हराया. सहरसा सीट पर भाजपा के आलोक रंजन झा ने राजद उम्मीदवार लवली आनंद को 19 हजार 679 वोटों से हराया. वहीं बैसी सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के सैयद रुकनुद्दीन अहमद ने बीजेपी के विनोद कुमार को 16 हजार 373 वोटों से हराया. राजद उम्मीदवार अब्दुस सुभान तीसरे स्थान पर रहे. साल 2022 में रुकनुद्दीन अहमद राजद में शामिल हो गए.

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बहादुरगंज सीट भी साल 2020 में AIMIM के खाते में गई थी. मोहम्मद अंजार नईमी ने विकासशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित को 45 हजार 215 वोटों से हराया. कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद तौसीफ आलम तीसरे स्थान पर रहे. नईमी भी अब राजद में शामिल हो चुके हैं.

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