एनडीए में सीटों का बंटवारा अब आखिरी दौर में है. बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने 5 अक्टूबर को जदयू के सीनियर नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह (Lalan Singh), राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) से मुलाकात की. धर्मेंद्र प्रधान की इस मुलाकात का मकसद एनडीए में सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को सहमत कराना रहा.
उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी ने रखी 35 सीटों की डिमांड, बीजेपी इतनी सीट देने को तैयार
बिहार चुनाव के लिए NDA में सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी के चुनाव प्रभारी Dharmendra Pradhan और बिहार प्रभारी Vinod Tawde ने जदयू नेता और केंद्रीय मंत्री Lalan Singh, हम के मुखिया Jitan Ram Manjhi और रालोमो के अध्यक्ष Upendra Kushwaha से मुलाकात की.


जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा दोनों को मिलाकर सीटों की डिमांड 35 सीट की है, जबकि बीजेपी इन दोनों को 18 सीट पर तैयार कराना चाहती है. धर्मेंद्र प्रधान उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के आवास पर पहुंचे. और दोनों नेताओं से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने सीट की संख्या के अलावा मगध, गया, काराकाट और मुंगेर इलाके की विधानसभा सीटों के बारे में चर्चा की. प्रधान के साथ बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और पार्टी सचिव ऋतुराज सिन्हा भी मौजूद रहे. वहीं मांझी के यहां डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी मौजूद रहे.
सूत्रों के मुताबिक जीतन राम मांझी 20 सीटें मांग रहे हैं. जबकि बीजेपी उनको 7 से 10 सीट देने की बात कह रही. पिछले चुनाव में भी मांझी को 7 सीटें मिली थी. वहीं उपेंद्र कुशवाहा की डिमांड 15 सीटों की है और बीजेपी उन्हें 7 से 8 सीटें देना चाहती है.
धर्मेंद्र प्रधान 5 अक्टूबर को सबसे पहले जदयू नेता ललन सिंह से मिले. इस दौरान दोनों के बीच सीटों की संख्या, घटक दलों की डिमांड और चुनावी रणनीति की चर्चा हुई. हालांकि ललन सिंह ने इसे औपचारिक मुलाकात करार दिया. उन्होंने कहा, धर्मेंद्र प्रधान हमारे मित्र और मंत्रिमंडल के सहयोगी हैं. दो दोस्त मिलते हैं तो अच्छी मुलाकात ही होती है.
सीट बंटवारे के सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि बीजेपी पहले दूसरे घटक दलों से बात करेगी. फिर जदयू से बातचीत होगी. वहीं धर्मेंद्र प्रधान ने भी दावा किया कि एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर कोई दिक्कत नहीं है. शीर्ष नेताओं की बैठक में इसका निर्णय आसानी से हो जाएगा.
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