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आंखों से देख नहीं सकती, बिना कोचिंग के क्रैक की UPSC परीक्षा

UPSC में 48वीं रैंक लाने वाली दिल्ली की आयुषी ने बताया कैसे की एग्जाम की तैयारी?

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दिल्ली की आयुषी ने यूपीएससी में हासिल की 48वी रैंक | फोटो: आजतक

30 मई 2022. संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC ने सिविल सर्विस एग्जाम 2021 (CSE 2021) का रिजल्ट जारी किया. दिल्ली के रानीखेड़ा की एक विकलांग छात्रा ने इस बार यूपीएससी में 48वां स्थान हासिल किया. दृष्टिहीन होने के बावजूद आयुषी ने वो कर दिखाया, जिसे करना हर किसी के बस की बात नहीं.

पढ़ाई-लिखाई में शुरू से ही अव्वल

आयुषी शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी अच्छी थीं. स्कूल और कॉलेज में हमेशा टॉप करती थीं. वे Youtube पर वीडियो के जरिए अपने एग्जाम की तैयारी करती थीं. UPSC से पहले उन्होंने दिल्ली सब-ऑर्डिनेट सर्विस सेलेक्शन बोर्ड में टॉप किया था. 

असफलताओं के बाद भी नहीं मानी हार

साल 2015 में आयुषी ने UPSC के लिए तैयारी करनी शुरू की. पहले अटेम्प्ट में सफलता नहीं मिली. दूसरे और तीसरे अटेम्प्ट में भी निराशा ही हाथ लगी. लेकिन, आयुषी हिम्मत हारने वालों में से नहीं थीं. उन्होंने एक बार फिर ट्राई किया और चौथी बार अपना मुकाम हासिल कर ही लिया.

अब्दुल कलाम हैं आदर्श

आयुषी, एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानती हैं. वह पहले टीचर बनना चाहती थीं. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज से ग्रैजुएशन पूरा किया. आयुषी ने मुबारकरपुर के एक स्कूल में पढ़ाते-पढ़ाते ही UPSC क्रैक करने का मन बनाया. इस काम में उनके माता-पिता ने उनका काफी हौसला बढ़ाया.

आजतक से बात करते हुए आयुषी कहती हैं, 

'तैयारी के लिए काफी कम समय मिलता था. रात में कम सोती थी और स्कूल से लौटकर पढ़ाई करती थी. काम की वजह से कोचिंग जाने का वक्त नहीं था. इसलिए घर पर ही पढ़ाई करती थी. 

मां ने बताया आयुषी कैसे तैयारी करती थीं?

आयुषी की मां आशा रानी सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के पद से रिटायर हुई हैं. पिता अशोक कुमार बठिंडा स्थित एचईएल में चीफ डिस्पेंसर हैं. आयुषी की सफलता से दोनों काफी खुश हैं. उनकी मां ने आजतक से बात करते हुए कहा,

‘आयुषी अपनी तैयारी एनसीईआरटी की किताबों के जरिए करती थी. कुछ सब्जेक्ट्स को समझने के लिए वह यूट्यूब का सहारा लेती थी. साथ ही साथ वो UPSC की तैयारी से संबंधित वीडियो को भी देखती थी, जिसने उसकी काफी मदद की.’

देखा जाए तो आयुषी आज लाखों छात्रों के लिए एक मिसाल बन गई हैं. उन्होंने साबित करके दिखाया है कि अगर मेहनत और लगन से किसी चीज़ को किया जाए, तो उसे पाना कोई मुश्किल काम नहीं है. 

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