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CUET, NEET, JEE जैसी परीक्षाओं पर DU के पूर्व कुलपति की राय जानने लायक है

पूर्व वाइस चांसलर दिनेश सिंह ने अपना खुद का एक अनुभव भी साझा किया.

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(तस्वीर- इंडिया टुडे)

ग्रेजुएशन में एडमिशन के लिए UGC ने इस साल से CUET को लागू किया है. इसके जरिए आप देश की किसी भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले सकते हैं. जो छात्र इस साल 12वीं पास कर रहे हैं उनके लिए ये एकदम नई परीक्षा होगी. CUET लागू होने के बाद से ही इसके पक्ष-विपक्ष में काफी सारी बातें हो रही हैं. अब दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति दिनेश सिंह ने इसे छात्रों की क्रिएटिविटी को खत्म करने वाला बताया है. उन्होंने ये बात इंडिया टुडे एजुकेशन कॉन्क्लेव में अपने संबोधन के दौरान कही. 

'ऐसी परीक्षा क्रिएटिविटी को मारती है'

DU के पूर्व कुलपति दिनेश सिंह ने ऑल इंडिया लेवल की परीक्षाओं जैसे- CUET, NEET, JEE के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा, 

 इन परीक्षाओं से हम छात्रों को मार रहे हैं. एक परीक्षा केवल उतनी ही अच्छी होती है जितना उसे डिजाइन करने वाला व्यक्ति होता है. इस तरह की परीक्षा छात्रों की क्रिएटिविटी और अच्छी शिक्षा को खत्म करती है. मेरी चिंता यह है कि अगर हम सावधान नहीं रहे तो CUET भी IIT प्रवेश परीक्षा की राह पर जाएगा.

प्रोफेसर ने आगे कहा, 

आइए हम दुनिया को और समाज को एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना शुरू करें. आपको ये देख कर आश्चर्य होगा कि आप अपने आस-पास के बुनियादी ढांचे पर बहुत अधिक दबाव डाले बिना कितना सीख सकते हैं… शिक्षा क्या है? कोई भी अनुभव जो आपको एक इंसान के रूप में विकसित होने की अनुमति देता है.

टेक्नोलॉजी का एजुकेशन में क्या रोल है?

एजुकेशन कॉन्क्लेव में अपने संबोधन के दौरान पूर्व VC दिनेश सिंह ने अपना एक अनुभव साझा किया. उन्होंने 1992 में दूरदर्शन पर अपने छह दिनों के स्कूल लेक्चर्स का जिक्र किया और कहा कि ये पूरे भारत में टेलीकास्ट किया गया था. उन्होंने बताया, 

कैलकुलस पर लेक्चर के लिए मेरे पास चार्ट पेपर की बड़ी शीट और तीन रंगीन पेन थे. 12 कक्षाओं को टेलीफोन द्वारा जोड़ा गया था ताकि छात्र जब चाहें प्रश्न पूछ सकें. लेक्चर सीरीज समाप्त होने के एक महीने बाद मेरे पास प्रशंसकों के ढेर सारे मेल थे. इन मेल के द्वारा छात्रों ने बताया कि उन्होंने लेक्चर को न केवल अच्छी तरह समझा बल्कि वास्तव में उन्हें पसंद किया और उन्होंने कहा कि ये रुकना नही चाहिए था. 

दिनेश सिंह ने बताया कि बुनियादी तकनीक इतने बड़े बदलाव ला सकती है, पर हम इन बदलावों को लेकर उतने उत्साहित नहीं दिखते. हम ब्लैकबोर्ड आधारित शिक्षण से छात्रों के हितों को मार रहे हैं.