पिछले दिनों UPSC ने ‘सिविल सर्विस एग्जामिनेशन’ (CSE ) 2024 प्रीलिम्स परीक्षा की ‘आंसर की’ जारी की. परीक्षा के पूरे एक साल बाद. इतना ही नहीं, इस परीक्षा का फाइनल रिजल्ट भी आ चुका है. जो ‘आंसर की’ जारी हुई है उसकी परीक्षा के आधार पर मेंस की परीक्षा पिछले साल ही हो गई है. मेंस की परीक्षा के आधार पर इंटरव्यू भी हो गया. टॉपर्स के नाम भी सामने आ गए. अगले साल की परीक्षा यानी UPSC CSE 2025 प्रीलिम्स भी करीब है. लेकिन असल मसला ये है कि UPSC CSE 2024 प्रीलिम्स की ‘आंसर की’ आई तो कई सवाल उठने लगे.
UPSC CSE 2024: तीन सवाल ड्रॉप, कुछ के जवाब 'गलत', रिजल्ट के बाद आई 'आंसर की' पर इतना विवाद क्यों?
UPSC CSE 2024 के लिए प्रीलिम्स की परीक्षा 16 जून, 2024 को हुई. मेंस और इंटरव्यू के बाद 22 अप्रैल, 2025 को फाइनल रिजल्ट भी आ गया. अब प्रीलिम्स की परीक्षा के लिए 'Answer Key' जारी की गई है. छात्रों और शिक्षकों ने इस पर कई आपत्तियां दर्ज कराई हैं. ये पूरा मामला क्या है?

पहला सवाल तो यही कि मेंस, इंटरव्यू और रिजल्ट के बाद… इस ‘आंसर की’ का क्या औचित्य बचता है. दूसरा सवाल, ये कि इस ‘आंसर की’ को लेकर किसी को आपत्ति है तो वो उसे दर्ज क्यों नहीं करा सकते. छात्रों के पास इसका विकल्प क्यों नहीं है? इससे भी बड़ा सवाल कि अब जब इस ‘आसंर की’ के आधार पर पहले अहम फैसले लिए जा चुके हैं तो इससे प्रभावित हुए छात्रों के पास क्या विकल्प बचे हैं.
‘आंसर की’ जारी होने के समय से इतर भी कुछ समस्याओं को उठाया गया है. इस ‘आंसर की’ में UPSC ने जो जवाब बताए हैं, उस पर छात्रों को आपत्ति है.
पहली आपत्ति इस बात पर दर्ज कराई गई कि UPSC ने तीन सवाल ड्रॉप कर दिए. ये भी आरोप लगाए गए कि इस ‘आंसर की’ में कुछ तथ्यात्मक गलतियां हैं. और ये भी कहा गया कि कुछ सवाल ‘वेग’ यानी अस्पष्ट तरीके से पूछे गए थे जिनका कोई एक जवाब तय कर पाना मुश्किल है. विस्तार से एक-एक आपत्ति पर बात करेंगे.
UPSC ने इन तीन सवालों को ड्रॉप किया है-

सवालों को ड्रॉप करने के मसले पर UPSC एजुकेटर मुदित गुप्ता कहते हैं,
UPSC के पास पूरा एक साल होता है, मात्र 100 सवाल बनाने के लिए. लेकिन वो पूरे साल का समय लेकर वो 100 सवाल भी ठीक से सेट नहीं कर पाते. तीन सवाल ड्रॉप करने की जरूरत क्यों पड़ी? इसका जवाब कौन देगा?
अभ्यर्थियों को UPSC की परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षक कुमार सर्वेश इस बात पर आंशिक रूप से सहमत होते हैं. वह कहते हैं कि सवाल हटाने से सभी छात्र समान रूप से प्रभावित होंगे. मेरिट में सभी के लिए 100 सवालों की जगह 97 सवालों के नंबर जुड़ेंगे. वो कहते हैं,
मान लीजिए कि किसी बच्चे ने इन तीनों प्रश्नों को अटेंप्म्ट किया हो. उनके तीनों जवाब सही हो सकते थे… या दो सही एक गलत… या एक सही दो गलत हो सकते थे. ऐसी स्थिति में जब ओवरऑल कट ऑफ तैयार होता है तो गलत प्रभाव पड़ता है.

शिक्षक मुदित गुप्ता इसको ऐसे समझाते हैं,
मान लीजिए, जिन अभ्यर्थियों का चयन हुआ… हो सकता है कि वो उसे गलत अटेम्प्ट करके आए हों. और जिनका चयन नहीं हुआ… हो सकता है वो उसे सही अटेम्प्ट करके आए हों. अगर आप उन तीन सवालों के अंकों को साथ में जोड़ेंगे तो लगभग-लगभग छह से आठ नंबर का फर्क पड़ता है. और UPSC ऐसी परीक्षा है जहां 0.2 मार्क्स की वजह से भी छात्र का चयन नहीं हो पाता. इसकी जवाबदेही कौन लेगा?

छात्रों ने इस बात पर भी सवाल उठाए हैं कि UPSC की ओर से ये बातचीत एकतरफा क्यों है. ‘आंसर की’ पर आपत्ति जताने के लिए छात्रों को मौके क्यों नहीं दिए जाते? इस पर मुदित कहते हैं,
इन सवालों के जवाब में तथ्यात्मक गलती का दावाUPSC छात्रों के साथ कोई वार्ता नहीं करता. छात्र क्या करेंगे? साल के अंत में बस एक ‘आंसर की’ रिलीज कर दी जाती है. पहला मुद्दा तो यही है कि आपको 100 सवालों के लिए ‘आंसर की’ रिलीज करने में एक साल क्यों लग रहा है. बाकी परीक्षाओं में एक हफ्ते के अंदर ही ‘आंसर की’ आ जाती है. छात्रों के हित में है कि उन्हें पता रहे कि अगले साल अगर तैयारी करनी है तो किस पैटर्न पर करनी है. एक साल बाद भी आप सिर्फ ‘वन वर्ड आंसर’ दे रहे हैं. अगर कोई ऐसा सवाल है जिसके लिए विस्तार से बात करने की जरूरत है तो वो कौन करेगा? छात्र तो अंदाजा लगाता रहेगा और अगले साल फिर उसी तरह की गलती कर देगा. ये UPSC की पारदर्शिता से जुड़े कुछ सवाल हैं.
कुछ सवाल ऐसे भी हैं जिनके जवाब को गलत या कन्फ्यूजिंग बताया गया है. जिस सवाल पर सबसे ज्यादा आपत्ति दर्ज कराई गई है-
- केंद्रीय बजट के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. केंद्रीय वित्त मंत्री प्रधानमंत्री की ओर से संसद के दोनों सदनों के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करते हैं.
2. केंद्रीय स्तर पर, भारत के राष्ट्रपति की सिफारिश के अलावा अनुदान की कोई मांग नहीं की जा सकती है.
ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
‘आंसर की’ में इसका सही जवाब (c) बताया गया है. यानी कि कथन 1 और कथन 2… दोनों को सही बताया गया है.
जबकि कुमार सर्वेश सही उत्तर (b) को बताते हैं. मुदित गुप्ता इसकी व्याख्या करते हैं,
अगर हम अपने संविधान का आर्टिकल 112 पढ़ते हैं, तो इसका जवाब मिलता है. इसके अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा में 'एनुअल फाइनेंसियल स्टेटमेंट' को पेश करने की जिम्मेदारी राष्ट्रपति की होती है. अब हम इसको आर्टिकल 53 के साथ मिला के पढ़ें. आर्टिकल 53 ये कहता है कि प्रेसिडेंट जितना भी काम कर रहे हैं वो या तो खुद इसको पेश करेंगे या अपने अधीनस्थ अधिकारी (सबोर्डिनेट ऑफिसर) के जरिए करवाएंगे. ऐसे में माना ये जाता है कि फाइनेंस मिनिस्टर राष्ट्रपति के अंडर काम करते हैं. तो प्रेसिडेंट फाइनेंस मिनिस्टर के माध्यम से इसको पेश करवाते हैं. लोकसभा के नियमों में भी यही लिखा हुआ है कि जितने भी बजट डॉक्यूमेंट्स पेश होंगे वो राष्ट्रपति की ओर से पेश होंगे. इसमें प्रधानमंत्री की कहीं कोई चर्चा ही नहीं है.
UPSC के हिसाब से कथन 1 भी सही है. इस पर मुदित बताते हैं,
UPSC कहता है कि प्रधानमंत्री की ओर से वित्त मंत्री ‘एनुअल फाइनेंसियल स्टेटमेंट ’पेश करते हैं. न तो ऐसा संविधान में लिखा हुआ है और न सुप्रीम कोर्ट का ऐसा कोई जजमेंट है. छात्र या तो किताब पढ़ लेगा, संविधान पढ़ लेगा या करंट अफेयर्स के लिए अखबार पढ़ेगा. आप संविधान के खिलाफ जाकर कुछ आंसर दे रहे हो वो कहां से सही है.

एक और सवाल है जिसके जवाब को लेकर आपत्ति जताई गई है. ये सवाल है-
- नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल (NEC) की स्थापना, नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल एक्ट, 1971 के जरिए की गई थी. 2002 में NEC एक्ट के संशोधन के बाद, काउंसिल में निम्नलिखित में से कौन से सदस्य शामिल होते हैं?
1. राज्य के राज्यपाल
2. राज्य के मुख्यमंत्री
3. भारत के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाने वाले तीन सदस्य
4. भारत के गृहमंत्री
नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
‘आंसर की’ में इसका जवाब (a) बताया गया है. कुछ छात्रों ने दावा किया कि इसका सही जवाब (d) है. मुदित UPSC के जवाब को पूरी तरह गलत नहीं बताते. वो कहते हैं,
UPSC ने पूछे वेग सवाल!ये जवाब पूरी तरह गलत नहीं है. इसका कारण है कि नॉर्थ ईस्ट काउंसिल की वेबसाइट पर लिखा है- काउंसिल में राज्यों के राज्यपाल, राज्यों के मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत तीन सदस्य शामिल होंगे. राष्ट्रपति परिषद के अध्यक्ष को मनोनीत करेंगे और उन्हें अन्य किसी सदस्यों में से किसी को अध्यक्ष मनोनीत करने की आवश्यकता नहीं है.
एक सवाल है जिसको लेकर उलझन में हैं. छात्रों का कहना है कि ये सवाल अस्पष्ट है और इसके जवाब के लिए कोई मानदंड तय नहीं है. सवाल तस्वीर में देखें-

मुदित गुप्ता इस सवाल में दिए गए विकल्पों के बारे में कहते हैं,
ये स्टेटमेंट्स वेग हैं. उदाहरण के लिए, यहां ये देखना है कि सबसे खराब इकॉनमी किस देश की है. अब सबसे खराब इकॉनमी की कोई परिभाषा नहीं है. आप वर्ल्ड बैंक की वेबसाइट देखोगे तो वो कुछ और कहेगा… IMF की वेबसाइट देखोगे तो वहां कुछ और… इकोनॉमिस्ट टाइप की मैगजीन पढ़ोगे तो वहां कुछ और दिखेगा. आप ये स्पष्ट रूप से बताइए कि उसकी GDP इतनी गिर गई. इनफ्लेशन इतना बढ़ गया. एक पैरामीटर स्पष्ट कर दो. ये बिल्कुल वही बात है कि आप बाजार गए, आपने बोला कि ये जींस सबसे बेस्ट है. आपके दोस्त ने कहा कि ये शर्ट सबसे बेस्ट है. उसका आधार क्या है? कलर है, कपड़े की क्वॉलिटी है, रेट है? क्या-क्या बेस्ट लग रहा है?
कुमार सर्वेश इस पर कहते हैं,
अब आगे क्या?सवालों के लिए स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिए. सवाल ऑथेंटिक सोर्स से ही लिए जाएं. प्राइमरी सोर्स को क्वेश्चन का आधार बनाया जाए. अगर हम ऐसा करते हैं तो समस्या कम आएगी. क्योंकि मल्टीपल सोर्स के कारण इस तरह की समस्याएं आ रही हैं.
छात्रों के पास इस ‘आंसर की’ को चैलेंज करने का कोई विकल्प नहीं है. इसके आधार पर पहले ही अहम फैसले लिए जा चुके हैं. हर साल हजारों छात्र ऐसे होते हैं जो अपने आखिरी अटेंम्प्ट में परीक्षा दे रहे होते हैं. साल 2024 में भी ऐसे छात्र प्रीलिम्स में बैठे होंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि अब आगे क्या? मुदित गुप्ता कहते हैं,
बच्चों के मौलिक अधिकार को ध्यान में रखते हुए 2024 प्रीलिम्स में बैठे बच्चों को एक्स्ट्रा अटेंम्प्ट देना चाहिए. परीक्षा के एक सप्ताह के भीतर ‘आंसर की’ रिलीज की जानी चाहिए. UPSC को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए और अगर किसी छात्र को आपत्ति है तो उसको चैलेंज करने के विकल्प होने चाहिए.
कुमार सर्वेश इस बात पर जोर देते हैं कि ‘आंसर की’ में हर एक जवाब के लिए UPSC को एक्सप्लेनेशन जोड़ना चाहिए. लेकिन पहले भी ऐसी आपत्तियों पर बस लीपापोती ही देखने को मिली है और अब भी वही स्थिति है.
इस पूरे मामले पर आयोग का पक्ष जानने के लिए लल्लनटॉप ने UPSC को मेल लिखा है. हमने उनको रिमाइंडर भी भेजा है. खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया है. जवाब आने पर स्टोरी में जोड़ दिया जाएगा.
UPSC CSE 2024 का फाइनल रिजल्ट 22 अप्रैल, 2025 को आ चुका है. सभी अभ्यर्थियों को उनके रैंक्स और मार्क्स बता दिए गए हैं. टॉपर्स का नाम भी सामने आ चुका है. 16 जून, 2024 को प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) हुई थी. फिर 2024 में ही 20, 21, 22, 28 और 29 सितंबर को मेंस (Mains) परीक्षा हुई. मेंस में सफल हुए अभ्यर्थियों को इंटरव्यू और पर्सनालिटी टेस्ट के लिए बुलाया गया. ये 2025 में 7 जनवरी से 17 अप्रैल तक चला था.
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