वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब (World Inequality Report 2026) ने आय असमानता पर अपनी नई रिपोर्ट जारी कर दी है. इस मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर बना हुआ है. यहां 10% अमीर लोगों के पास देश की 65% संपत्ति है. रिपोर्ट में और भी कई बातों का जिक्र किया गया है. यह रिपोर्ट कहती है कि भारत के टॉप 10% अमीर लोगों का देश की 58% कमाई पर कब्जा है. जबकि कम इनकम वाले 50% लोगों के हाथ में देश की सिर्फ 15% आय आती है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आय असमानता का आलम ये है कि सिर्फ 1% लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का लगभग 40% हिस्सा है.
भारत का मिडिल क्लास खत्म? रिपोर्ट में दावा, देश की 65% संपत्ति 10% अमीरों के पास, चीन वालों की बल्ले-बल्ले
आय असमानता (Income Inequality) के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर बना हुआ है. वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब (World Inequality Report 2026) ने इसको लेकर ताजा रिपोर्ट जारी की है.
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इस रिपोर्ट को कई अर्थशास्त्रियों ने मिलकर संपादित किया है. इनमें लुकास चांसल, रिकार्डो गोमेज-कैरेरा, रोवैदा मोशरिफ और थॉमस पिकेटी जैसे चर्चित नाम शामिल हैं. वर्ल्ड इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2026 इस सीरीज की तीसरी रिपोर्ट है. इसकी पहली कड़ी साल 2018 और साल 2022 में जारी हुई थी. इन दोनों रिपोर्ट्स को दुनिया भर के 200 से अधिक शोधकर्ताओं के काम के आधार पर तैयार किया गया.
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साल 2022 में जारी की गई वर्ल्ड इनइक्वैलिटी रिपोर्ट (World Inequality Report 2022) में कहा गया था कि साल 2021 में भारत के टॉप 10% लोगों के पास देश की कुल कमाई (National Income) का 57% हिस्सा था. जबकि सबसे नीचे के 50% हिस्से की आय देश की कुल आय का 13% थी.
दुनियाभर में आय की असमानता की खाई चौड़ीआय असमानता के मामले में भारत पहले पायदान पर है. हालांकि दुनियाभर में संपत्ति का बंटवारा बहुत असमान है. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे अमीर 0.001% आबादी, यानी करीब 60 हजार सबसे अमीर लोगों के पास दुनिया की कुल आबादी के 50% निचले तबके से तीन गुना ज्यादा संपत्ति है. साल 1995 में इन सुपर-रिच लोगों के पास दुनिया की कुल संपत्ति का करीब 4% हिस्सा था. यह अब बढ़कर अब 6% से ज्यादा हो गया है.
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चीन की बड़ी आबादी अब दुनियाभर में मध्य आय वाले 40 प्रतिशत लोगों में शामिल हो चुकी है. चीनी आबादी का एक बढ़ता हुआ हिस्सा अपर-मिडिल ग्रुप में भी शामिल हो गया है. आसान शब्दों में कहें तो चीन की आम जनता की आर्थिक हालत पिछले 40-45 सालों में काफी ऊपर उठी है. लेकिन भारत की स्थिति इसके उलट है.
रिपोर्ट कहती है कि 1980 में भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा दुनिया के मिडिल इनकम वाले 40% ग्रुप में शामिल था, यानी वैश्विक स्तर पर भारत की आम जनता मध्यम आय वर्ग में थी. लेकिन फिलहाल, यानी 2025 में भारत की लगभग पूरी आबादी दुनिया की सबसे कम आय वाली 50% श्रेणी में चली गई है.
महिलाओं के साथ भेदभाव बढ़ारिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में लैंगिक असमानता की जड़ें काफी गहरी हैं. लिंग के आधार पर देखें तो, वेतन का अंतर अभी भी बना हुआ है, खासकर बिना वेतन वाले काम में. अगर सिर्फ पेड (भुगतान वाले) काम को देखें, तो महिलाएं हर घंटे में पुरुषों की कमाई का केवल 61% ही कमाती हैं. लेकिन जब बिना वेतन वाले काम (जैसे घर का काम, बच्चों या बुजुर्गों की देखभाल) को भी जोड़ा जाता है, तो महिलाओं की वास्तविक कमाई सिर्फ 32% रह जाती है.
वैश्विक स्तर पर महिलाएं कुल लेबर इनकम का केवल एक-चौथाई से थोड़ा ज्यादा हिस्सा पाती हैं. इतना ही नहीं, साल 1990 से अब तक इस हिस्से में कोई सुधार नहीं हुआ है.
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