इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग(Income Tax Filing) का समय चल रहा है. जिनकी टैक्स देनदारी बन रही है वो टैक्स घटाने के तिकड़म लगा रहे हैं. जिनकी टैक्स देनदारी नहीं बन रही है वो Chill होकर बैठे हैं. नया रेजीम चुनने वालों के लिए 4 लाख रुपये तक की सैलरी और पुराने रेजीम वालों के लिए को 2.5 लाख तक की सैलरी पर टैक्स छूट मिली हुई है. यानी जिनकी भी सैलरी इससे कम है उनकी टैक्स देनदारी जीरो बनती है.
जीरो टैक्स देनदारी बन रही है फिर भी भर दीजिए ITR, फायदे जानकर कहेंगे पहले क्यों नहीं बताया
Zero ITR: सरकार ने नई टैक्स रेजीम में 4 लाख रुपये और पुरानी टैक्स रेजीम में ढाई लाख रुपये तक की कमाई को Tax Exempt कर रखा है. यानी इस लिमिट से कम कमाई करने वालों पर जीरो टैक्स देनदारी बनती है. मगर जीरो टैक्स देनदारी के बाद भी टैक्सपेयर्स को ITR फाइल कर देना चाहिए. इससे उन्हें कही तरह के फायदे मिलते हैं.

लेकिन जीरो टैक्स देनदारी का ये मतलब नहीं होता कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने से भी छूट मिल गई. इसलिए आप भी अगर निश्चिंत होकर बैठे हैं तो जाग जाइए. जीरो टैक्स देनदारी वालों के लिए ITR भरना जरूरी नहीं होता लेकिन सलाह दी जाती है आप भी ITR भर ही दीजिए. ऐसे लोग Nill ITR या Zero ITR भर सकते हैं. अब आप सोचेंगे कि एक तो सैलरी कम है. ऊपर से ITR भी भरो. वो भी जो भरना जरूरी नहीं है. फिर एक नया झंझट क्यों पालें? वाजिब बात है.
लेकिन अगर मैं कहूं कि जीरो टैक्स देनदारी के बाद भी ITR भरने के कई फायदे हैं. तब आप रोना नहीं रोएंगे. बल्कि चहक चहक कर खुद ही रिटर्न फाइल कर देंगे. Nil ITR फाइल करके आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बताते हैं कि देखिए फलां वित्त वर्ष में मेरी कमाई इतनी थी और ये टैक्सेबल कमाई की सीमा से कम है. इसलिए मेरी कोई भी टैक्स देनदारी नहीं बन रही. डिपार्टमेंट ऐसे लोगों को जिम्मेदार टैक्सपेयर मानता है. नहीं, ये वो फायदा नहीं है जिसकी मैं बात कर रही थी. आइए जानते हैंः
1. फाइनेंशियल प्रूफ- ITR कई चीजों में आपके फाइनेंशियल प्रूफ की तरह काम आते हैं. जैसे- वीजा एप्लिकेशन देना हो, लोन लेना हो. इनकम टैक्स रिटर्न मांगा जाएगा.
2. रिफंड क्लेम- अगर किसी मद में टैक्स काट लिया गया है और आपकी कमाई इनकम टैक्स के दायरे से नीचे है तो ITR फाइल कर रिफंड वापस लेने में मदद मिलती है. जैसे मान लीजिए बैंक से डिपॉजिट पर ब्याज मिलना है. टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं फिर भी बैंक टीडीएस काट लेते हैं. जिसे आपको क्लेम करना होता है. इसके लिए आपको ITR चाहिए होता है.
3. क्रेडिट हिस्ट्री- लोन खासकर होम लोन लेने पर या फिर क्रेडिट कार्ड लेते वक्त बैंक या वित्तीय कंपनियां आपसे ITR मांगती हैं. अगर आप कहते हैं कि आपकी कमाई टैक्स के दायरे में नहीं आती तो बैंक इससे इंप्रेस तो कतई नहीं होंगे. लेकिन यही अगर आप टैक्स देनदारी नहीं होने पर भी ITR भरते हैं तो लोन मिलना आसान हो जाता है. बैंक ऐसे ग्राहकों को जिम्मेदार टैक्सपेयर मानते हैं. और एक भरोसा पैदा होता है कि क्रेडिट स्कोर नहीं होने के बाद भी ये ग्राहक लोन तो लौटा देगा.
4. घाटे का मिलेगा फायदा- एक और केस बनता है. आपकी सैलरी टैक्सेबल रेंज में नहीं आती है लेकिन आपने शेयर और म्यूचुअल फंड में इनवेस्ट कर रखा है. साल के बीच में आपने असेट बेचा जिस पर आपको या तो फायदा हो सकता है या तो घाटा. मान लेते हैं आपको घाटा हुआ है.
अब आपके जीवन में एक बदलाव होता है. बीते वित्त वर्ष में आपकी सैलरी टैक्सेबल रेंज में नहीं थी, लेकिन अगले फाइनेंशियल ईयर में आपकी सैलरी टैक्स के दायरे में आ गई . इस केस में अगर आपने बीते साल ITR फाइल किया है तो वह अपना घाटा अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड कर सकता हैं. इसकी मदद से अगले साल अपनी टैक्सेबल इनकम को कम करवा सकता है. लेकिन आपने अगर ITR नहीं भरा है तो स्कोप होने के बाद भी इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे.
लास्ट डेट के बाद भर सकते हैं?Nil ITR भरने की आखिरी तारीख रेगुलर रिटर्न वाली ही होती है. आमतौर पर 31 जुलाई होती है. लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए रिटर्न फाइल की आखिरी तारीख बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी गई है. आखिरी तारीख बीतने के बाद भी निल आईटीआर भर सकते हैं. रेगुलर ITR देरी से भरने पर लेट फीस देनी होती है, लेकिन निल आईटीआर के केस में ऐसा नहीं है. इसलिए जब चाहें तब ITR भर सकते हैं.
कैसे भरें ITRNil ITR या जीरो ITR भरने का तरीका रेगुलर ITR वाला ही होता है. स्टेप्स में आपको इसकी प्रक्रिया बता देते हैं.
Step 1. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर लॉगिन या रजिस्टर करना होगा. रजिस्टर करने के लिए पैन कार्ड देना होगा.
Step 2. विंडो खुलने के बाद ऊपर E-Filing वाले टैब पर क्लिक करना होगा.
Step 3. क्लिक करने के बाद कई ऑप्शन दिखेंगे. इसमें से Income Tax Return पर क्लिक करना होगा.
Step 4. सही ITR फॉर्म चुन लीजिए. जिनकी सैलरी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती या कोई कमाई नहीं है. उनके लिए ITR-1 (सहज) है.
Step 5. इसके बाद पर्सनल डिटेल, इनकम डिटेल भरें. जो- जो टैक्स डिडक्शन अवेलबेल है उसे भी भरें, भले ही आप एलिजिबल हों या ना हों. उसकी भी डिटेल भर दीजिए. अगर कहीं एडवांस टैक्स दिया है या टीडीएस कटा है तो उसकी डिटेल भी भर दीजिए.
Step 6. सारी डिटेल भरने के बाद ITR को वैलिडेट करने का ऑप्शन आएगा. वैलिडेट कर दीजिए. XML जेनरेट करके डाउनलोड कर लीजिए.
Step 7. ई फाइल सेक्शन में दोबारा आइए और अपलोड रिटर्न पर जाकर ये फाइल अपलोड कर दीजिए.
Step 8. आपका आईटीआर फाइल हो गया. लेकिन ध्यान दीजिएगा काम अभी पूरा नहीं हुआ है. फाइलिंग के बाद ITR को वेरिफाई करना होगा. तब जाकर आपका रिटर्न प्रोसेस पूरा होगा.
एक बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल हो गया तो भविष्य में आपके लिए कई ऑप्शन खुल जाएंगे. मसलन होम लोन चाहिए हो या कोई और लोन, क्रेडिट स्कोर नहीं होने पर भी आपको कंसिडर किया जाएगा. आपका आवेदन सिरे से खारिज नहीं किया जाएगा. इसके अलावा पासपोर्ट या वीजा के लिए अप्लाई करना हो, तब भी आपको ITR का फायदा मिलेगा.
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