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'आपने हालात बिगड़ने दिए', इंडिगो संकट पर हाई कोर्ट ने केंद्र को बुरी तरह फटकारा

कोर्ट पीड़ित यात्रियों की मदद और रिफंड के लिए निर्देश मांगने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रहा था. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जज तुषार राव गेडेला की बेंच ने इंडिगो को निर्देश दिया कि वह DGCA के साल 2010 के सर्कुलर में तय नियम के मुताबिक फ्लाइट कैंसिल होने, देरी होने पर यात्रियों को मुआवजा देने का सख्ती से पालन करे.

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इंडिगो संकट पर हाईकोर्ट सख्त प्रतीकात्मक (फोटो क्रेडिट: आज तक)

दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिगो संकट के शुरू होने से पहले कार्रवाई न करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने 10 दिसंबर को यात्रियों को हुई 'पीड़ा' के लिए एयरलाइन की तरफ से हर्जाना देने के मुद्दे को गंभीरता से उठाया. कोर्ट ने सर्ज प्राइसिंग यानी एयरलाइंस कंपनियों के बढ़े हुए किराए के मुद्दे पर भी सवाल उठाया. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि दूसरी एयरलाइंस ने इस संकट का फायदा उठाकर यात्रियों से मोटा किराया कैसे वसूल किया. 

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कोर्ट पीड़ित यात्रियों की मदद और रिफंड के लिए निर्देश मांगने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रहा था. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जज तुषार राव गेडेला की बेंच ने इंडिगो को निर्देश दिया कि वह DGCA के साल 2010 के सर्कुलर में तय नियम के मुताबिक फ्लाइट कैंसिल होने, देरी होने पर यात्रियों को मुआवजा देने का सख्ती से पालन करे.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई कि वह एयरलाइंस कंपनियों के किराये को बढ़कर 40,000 रुपये तक पहुंचने से रोक नहीं पाई. डिवीजन बेंच ने स्थिति को “चिंताजनक” बताते हुए कहा कि यह सिर्फ यात्रियों की परेशानी का मामला नहीं है, बल्कि इसका देश की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ता है. कोर्ट ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय, DGCA और इंडिगो जल्द से जल्द उन यात्रियों को मुआवज़ा देंगे जो एयरपोर्ट पर फंसे रह गए थे.” 

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कोर्ट ने केंद्र को भी फटकारते हुए पूछा कि संकट गहराने तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई. कोर्ट ने कहा, “अगर ऐसा संकट था, तो दूसरी एयरलाइंस को इसका फायदा उठाने कैसे दिया गया? किराए 35–40 हजार तक कैसे पहुंच गए? आपने स्थिति को बिगड़ने दिया.”

इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इंडिगो के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है और कंपनी को कारण बताओ नोटिस भी भेजा जा चुका है.

इंडिगो संकट और एयरलाइंस का किराया बढ़ने वाला ये पूरा मामला क्या है?

2 दिसंबर को देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो को बड़ी तादाद में अपनी फ्लाइट्स करनी पड़ी थीं. ये संकट कई दिन चला. इसके चलते यात्रियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा था. इंडिगो संकट की वजह ये थी कि सरकार ने 1 नवंबर से फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियम लागू किए थे. नए नियमों में पायलटों और क्रू को ज्यादा आराम करने का समय देना जरूरी किया गया था. लेकिन इंडिगो इन नियमों का पालन नहीं कर पाई और न ही क्षमता के हिसाब से पायलट भर्ती कर पाई. इस कारण कंपनी को बड़े पैमाने पर अपनी फ्लाइट कैंसिल करनी पड़ गई थीं. 

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इसका गलत फायदा दूसरी एयरलाइंस ने उठाया और कुछ बिजी रूट्स पर हवाई किराए तीन–चार गुना तक बढ़ा दिए. इंडिया टुडे की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले हफ्ते दिल्ली–मुंबई की नॉन-स्टॉप फ्लाइट का किराया 65,460 रुपये तक पहुंच गया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया और घरेलू इकोनॉमी-क्लास किराए पर कैप लगाया. 9 दिंसबर को सरकार ने इंडिगो को 10% उड़ानें कम करने का आदेश दिया, जिससे कंपनी की रोजाना 220 फ्लाइट्स रद्द होने की आशंका है. 

हालांकि 10 दिंसबर को जब अतिरिक्त सॉलिस्टर जनरल ने सरकार के उठाए गए कदमों की जानकारी दी, तो हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने पूछा, "आपने ये कदम तब उठाए जब संकट काफी बढ़ चुका था. सवाल यह है कि यह स्थिति पैदा ही क्यों हुई? आप तब क्या कर रहे थे?” 

कोर्ट ने यह भी पूछा कि एयरपोर्ट्स में फंसे यात्रियों के साथ एयरलाइन स्टाफ का व्यवहार ठीक रखने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. कोर्ट ने केंद्र से पूछा, “जब नियम चरणबद्ध तरीके से लागू होने थे, फिर इंडिगो ने तैयारी क्यों नहीं की? यदि कंपनी पर्याप्त पायलटों की भर्ती नहीं कर रही है, तो आप क्या कार्रवाई कर रहे हैं?” 

हाई कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह इस पूरे मामले की जांच पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे. मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2026 को होगी. 

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