पेट्रोल या डीजल कारों में अक्सर देखा जाता है कि वे शहरों की तुलना में हाईवे पर ज्यादा अच्छा माइलेज देती है. ड्राइविंग प्रिंसिपल भी यही कहता है कि एक गाड़ी हाईवे पर ज्यादा माइलेज देती है. उनकी परफॉर्मेंस भी बेहतर हो जाती है. माने कि एक गाड़ी जो शहर में एक लीटर पेट्रोल में 10 किलोमीटर की दूरी तय करती है. वो ही कार हाईवे पर 15Kmpl का माइलेज दे सकती है. लेकिन इसके उलट इलेक्ट्रिक व्हीकल में ये गेम उल्टा है. EV गाड़ियां शहर में तो अच्छी रेंज देती हैं. लेकिन हाईवे पर इनकी रेंज क्लेम्ड रेंज से आमतौर पर कम हो जाती है. पहाड़ी से आराम से नीचे उतरते समय तो गिरती रेंज का पता कुछ ज्यादा ही चलता है. क्या वजह हो सकती है इसकी. चलिए पता करने की कोशिश करते हैं.
शहर में EV उड़ाती है, हाइवे पर हांफ जाती है, आखिर रेंज का ये गेम उल्टा क्यों है?
Regenerative Braking System: एक पेट्रोल या डीजल गाड़ी शहर की तुलना में हाईवे पर अच्छा माइलेज देती है. लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रेंज हाईवे पर आने पर आमतौर पर कम हो जाती है. इसके पीछे रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम.
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इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी और रेंज के गेम का असल खिलाड़ी है (RBS) यानी रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम. एक तकनीक है, जो ब्रेक लगाते समय निकलने वाली एनर्जी को बर्बाद होने के बजाए बैटरी चार्ज करने में इस्तेमाल करती है. जब आप ब्रेक पैडल दबाते हैं, तो हाइड्रॉलिक सिस्टम ब्रेक पैड्स पर प्रेशर डालता है. इससे फ्रिक्शन (घर्षण) पैदा होता है और गाड़ी की स्पीड कम होती है. इस दौरान पहियों में मौजूद काइनेटिक एनर्जी आमतौर पर गर्मी बनकर उड़ जाती है. जैसे कि सामान्य इंजन में. लेकिन RBS तकनीक इस गर्मी को बर्बाद होने के बजाए बैटरी चार्ज करने में लगा देता है.

इसके भी दो हिस्से होते हैं. दरअसल इलेक्ट्रिक कार में मोटर दो तरह से काम करती है. पहला, जब आप एक्सेलेरेटर दबाते हैं, तो मोटर पहियों को घुमाकर कार आगे बढ़ाता है. दूसरा जब आप एक्सेलेरेटर पैडल से पैर हटाकर ब्रेक पर रखते हैं, तो मोटर अपनी डायरेक्शन बदल लेती है और जनरेटर की तरह काम करने लगती है. इस प्रक्रिया में मोटर पहियों की काइनेटिक एनर्जी को बिजली में बदलकर ऊर्जा को वापस बैटरी में भेज देती है.
ब्रेक लगाने का तरीका भी इस प्रक्रिया पर असर डालता है कि बैटरी को कितनी ऊर्जा मिलेगी. जैसे कि एक व्यक्ति गाड़ी चलाते समय काफी तेज या अचानक से ब्रेक लगाता है, तो ऐसे में एनर्जी रिकवरी कम होती है. वैसे ही कम स्पीड पर चलने वाली कारों में भी एनर्जी रिकवरी कम होती है. जिससे बैटरी तक ऊर्जा कम पहुंचती है. लेकिन कोई व्यक्ति अगर ब्रेक धीरे या स्मूद तरीके से लगाएं, तो बैटरी ज्यादा अच्छे से चार्ज होती है.
आम समझ की बात है कि अब एक व्यक्ति जब शहर में ड्राइव करता है, तो वह कई बार ब्रेक लगाता है. इस दौरान रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम सारी एनर्जी को बैटरी चार्ज करने में इस्तेमाल करता है. वहीं, हाईवे पर कई किलोमीटर तक कई बार ब्रेक लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है और इस वजह से बैटरी को बिना सहारे के ज्यादा काम करना पड़ता है. ये तो हुई नॉर्मल इलेक्ट्रिक कार की बात मगर हाइब्रिड का मामला थोड़ा अलग है. इसमें इंटरनल कंबशन इंजन के साथ ही एक इलेक्ट्रिक मोटर भी लगी होती है. ऐसे में जब कोई व्यक्ति ब्रेक दबाता है, तो इस एनर्जी को बर्बाद करने के बजाए मोटर, बैटरी चार्ज करने में लगाता है.
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आपके मन में सवाल होगा कि क्या हम EV लेकर हाइवे पर जाना बंद कर दें. नहीं जाइए मगर स्क्रीन पर दिख रही रेंज के भरोसे नहीं. वैसे भी गाड़ी की रेंज, सड़क, मौसम, तापमान सहित कई फैक्टर पर निर्भर करती है. इसलिए हाइवे पर जा रहे तो चार्जिंग का प्लान एक्स्ट्रा लेकर चलिए. माने एक की जगह दो बार चार्ज करना पड़ेगा, ऐसा प्लान करके चलिए. हैप्पी चार्जिंग
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