पुरानी कार बेकार नहीं होती, बस अच्छी कंडीशन में मिल जानी चाहिए. वारंटी में मिल जाए तो और सही. आजकल ऐसा होना कोई मुश्किल भी नहीं क्योंकि कई प्लेटफार्म हैं , जो पुरानी गाड़ियां बेचते हैं, वो भी अच्छी वारंटी के साथ. कई कार कंपनियां भी हैं, जो पुरानी कार सेल करती है. लेकिन फिर भी जब पुरानी कार खरीदने का विचार आता है, तो मन में कई सवाल उठते हैं. जैसे कि कार की कंडीशन सही होगी या नहीं. इसमें कुछ गड़बड़ी बाद में तो नहीं निकलेगी आदि.
पुरानी कार लीजिए, लेकिन 'बे-कार' सौदा मत कीजिए! डील से पहले ये 5 बातें ज़रूर जांच लें
कितनी ही सस्ती ले लो, लाखों रुपये तो देने ही होंगे? ऐसे में सभी सोचते हैं कि इतना पैसा लगा रहे हैं, तो कार की कंडीशन एकदम सही होनी चाहिए. आप 'बे-कार' में परेशान नहीं हों. बस कुछ बातों का ध्यान रख लें. आपका ‘सफर सुहाना और मौसम हसीं’ रहेगा.
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ये सभी सवाल मन में आने लाजमी भी हैं क्योंकि कार कितनी ही सस्ती ले लो, लाखों रुपये तो देने ही होंगे? ऐसे में सभी सोचते हैं कि इतना पैसा लगा रहे हैं, तो कार की कंडीशन एकदम सही होनी चाहिए. आप 'बे-कार' में परेशान नहीं हों. बस कुछ बातों का ध्यान रख लें. आपका ‘सफर सुहाना और मौसम हसीन’ रहेगा.
टायर कहीं कायर तो नहींपुरानी कार ऊपर से अच्छी दिख रही तो जरा नीचे देखिए। मतलब टायर पर नजर डालिए. घिसे हुए तो नहीं. एक्सपायर होने की तारीख नजदीक तो नहीं. क्या कहा टायर की एक्सपायरी. एकदम जनाब, हर टायर की एक उम्र है और इसे पता करने का भी तरीका है. आपको करना बस ये है कि टायर की साइड वॉल पर बने 'DOT\' कोड (Department of Transportation) को देखना है. अब इसके लास्ट के चार अंक देखें. पहले दो अंक टायर बनने का हफ्ता दिखाते हैं और लास्ट की दो डिजिट साल. उदाहरण के लिए , टायर पर कोड लिखा है, "2118" है तो इसका मतलब है कि टायर 2018 के 21 वें हफ्ते में बना था. अब पुरानी गाड़ी इसके आसपास की है तो ठीक वरना…

पुरानी गाड़ी खरीदते समय इसका बूट स्पेस और बोनट फ्रेम जॉइंट चेक करना भी जरूरी है. इससे आपको गाड़ी की हिस्ट्री की जानकारी मिलेगी कि कहीं कार का कोई एक्सीडेंट तो नहीं हुआ. अगर बोनट के नीचे वेल्डिंग का निशान, पेंट का एक्स्ट्रा कोट (सिर्फ एक जगह होना) या कोई पुर्जा बदला हुआ दिखे, तो समझ जाइए कि गाड़ी का तगड़ा एक्सीडेंट हुआ था. ऐसी गाड़ी से दूर ही रहिए.
OBD scannerइसमें आपको कुछ नहीं करना, बस किसी मैकेनिक या कोई PDI करने वाली एजेंसी को बुलाना है और उसे OBD scanner (On-Board Diagnostics) के लिए बोलना है. इसके बाद वो एरर कोड, मॉड्यूल रिप्लेसमेंट, बैटरी, गाड़ी की रियल टाइम परफॉर्मेंस और एक्सीडेंट के बाद क्या-क्या गाड़ी में बदलाव हुए हैं, ये सब चेक करके आपको बता देगा.

लगे हाथ आप कार की PDI (Pre-Delivery Inspection) करा सकते हैं. ये 2000 से 2500 रुपये के बीच में हो जाएगी. गाड़ी का पुर्जा-पुर्जा खोलने वाली इस प्रोसेस की पूरी लिंक ये रही.
लाखों की कार खरीदी, लेकिन बिना PDI कराए शोरूम से निकाल ली, बहुत पछताएंगे!
गाद और रस्टगाड़ी में सीट के नीचे गाद या जंग नजर आए या फिर बोनट से अजीब सी यानी चिपचिपी महक आए, तो गाड़ी बाढ़ में फंसी थी. इससे कार तो डैमेज होती ही है, साथ ही ये कार चलाना भी असुरक्षित बनाती है. इस गली में जाना ही नहीं है. मतलब ऐसी कार लेना ‘बे-कार’ सौदा है.
सबसे अच्छा ये रहेगा कि पुरानी कार किसी भरोसे की एजेंसी से और वारंटी के साथ खरीदें.
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