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पुरानी गाड़ी लेते समय 'Self PDI' कर लीजिए, फायदे में रहेंगे

Old car PDI: पुरानी गाड़ी लेते समय मन में कई सवाल रहते हैं. भाई बस गाड़ी में कोई दिक्कत न निकल आए. अब इससे बचने का एक तरीका तो ये है कि कार की PDI करा लीजिए. लेकिन बाहर से PDI कराने का मन नहीं, तो खुद भी आप PDI कर सकते हैं.

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पुरानी कार लेते समय कई चीजें चेक करने की जरूरत है. (फोटो-Pexels)

गाड़ी खरीदने की खुशी अलग ही होती है. फिर वो चमचमाती नई हो या फिर सेकेंड हैंड. नई गाड़ी में एक तसल्ली रहती है कि शोरूम से आ रही है. क्या ही इसमें अलग होगा. लेकिन फिर भी कई लोग PDI यानी प्री-डिलिवरी इंस्पेक्शन करा लेते हैं. वहीं, दूसरी तरफ है सेकेंड हैंड गाड़ी. जो कागजों में तो ऐसी लगती है कि बिल्कुल कल ही शोरूम से आई हो. लेकिन उसमें कितना झोल हो सकता है. ये बताने की जरूरत नहीं. सोशल मीडिया पर कितनी ही पोस्ट इससे जुड़ी हुई मिल जाती हैं. ऐसे में गाड़ी में क्या सही है और क्या दिखावा, ये जानने के लिए PDI करा सकते हैं. पर अगर आपको PDI नहीं करानी और गाड़ी भी बिल्कुल सही चाहिए, तो खुद ही कार की PDI कर लीजिए.

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बिल्कुल, अगर आप बाहर से PDI नहीं कराना चाहते हैं, तो खुद ही गाड़ी को चेक कर सकते हैं. इससे आपको पता लग जाएगा कि गाड़ी का इंजन सही है या नहीं. फीचर्स सही से काम कर रहे हैं या नहीं और गाड़ी का पहले एक्सीडेंट हो चुका है या नहीं आदि. इस काम में आपके सिर्फ 15-20 मिनट लग सकते हैं.  

सेल्फ PDI करने का तरीका

VIN चेक करना: जब पुरानी गाड़ी देखने जाए, तो सबसे पहले  VIN यानी व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर चेक करें. ये एक 17 कैरेक्टर का कोड होता है, जो सभी गाड़ियों में दिया जाता है. आपको ये नंबर तीन जगह चेक करना है. एक विंडशील्ड पर. दूसरा डोर फ्रेम पर और तीसरा इंजन पर. कहीं एक जगह भी VIN अलग दिखा, तो समझ जाइए कि कुछ तो बदला गया है.

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इसके बाद गाड़ी की RC, इंश्योरेंस और सर्विस रिकॉर्ड देखें. रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) पर अगर किसी बैंक का नाम लिखा है, तो फिर वाहन मालिक से सीधे बैंक की NOC मांग लीजिए. अगर उसने NOC नहीं दी, तो समझ जाइए कि इस गाड़ी पर अब भी लोन चल रहा है. अगर वाहन मालिक NOC दे देता है लेकिन RC पर बैंक का नाम लिखा है, तो उसे भी हटवाने के लिए कहिए. इंश्योरेंस से आपको पता रहेगा कि बीमा में क्या कुछ एक्स्ट्रा एड-ऑन है या फिर लोन कितने समय तक वैलिड है. वहीं सर्विस रिकॉर्ड से आपको ये जानकारी रहेगी कि गाड़ी को समय-समय पर सर्विस पर ले जाया गया है.  इसके अलावा, वाहन मालिक से कार की ‘दूसरी चाबी’ भी मांग लीजिए. वजह? नीचे दी गई लिंक से पता लग जाएगी.

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ग्लास देखना: फिर आते हैं गाड़ी के शीशे. अगर एक भी शीशे का नंबर अलग दिखा. यानी की मैनुफैक्चरिंग डेट अलग दिखाई दें, तो समझ जाइए कि गाड़ी का एक्सीडेंट हो चुका है.
 

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पुरानी कार में तमाम चीजें चेक करने की जरूरत है. (फोटो-Pexels)

इंजन: सब करने के बाद आपको गाड़ी का हुड यानी बोनट खोलना है. यहां सिर्फ इंजन की मिट्टी नहीं देखनी है. बल्कि डिपस्टिक से इंजन ऑयल चेक करना है. तेल हुआ हल्का सुनहरा तो ठीक, अगर ये गहरा काला या चिपचिपा है, तो देख लीजिए इंजन पर कितना लोड होगा काम करने का. क्योंकि खराब तेल इंजन के पार्ट्स के बीच में सही से सर्कुलेट नहीं हो पाता है.

कूलेंट: इसके बाद चेक करें कूलेंट. अगर ये हरा या गुलाबी हुआ, तो ठीक. अगर ये हुआ ब्राउन कलर का, तो ये जंग की एक पहचान हो सकती है. वहीं, अगर गाड़ी शुरू करने पर इसमें से सफेद धुआं निकल रहा है, तो ये हेड गैस्केट डैमेज होने, कूलेंट लीक होने या फिर इंजन ब्लॉक में क्रेक आने का लक्षण हो सकता है. इस सिचुएशन में कूलेंट इंजन के अंदर जलने लगता है.

लाइट: बाहर से सब चेक करने के बाद गाड़ी को स्टार्ट कीजिए. अगर कार शुरू होने के बाद डिजिटल कलस्टर पर सभी लाइट जलती दिखी, तो बढ़िया. अगर ये सभी लाइट जलने के बाद फटा-फटा बंद भी हो गई, तो एक्सीलेंट. लेकिन एक भी लाइट जलती हुई दिखाई देती है, तो 'Guys, हाथ पीछे कर लीजिए इससे'

कोल्ड स्टार्ट: एक बार ये सब देख लिया, फिर गाड़ी के साथ एक शॉर्ट ड्राइव पर निकल जाइए. लेकिन उससे पहले कार को कोल्ड स्टार्ट कीजिए. अगर कोल्ड स्टार्ट करने पर बहुत ज्यादा आवाज आए, तो इंजन में कुछ गड़बड़ है. अगर मैनुअल में क्लच फिसलने लगे. या ब्रेक तुरंत रिस्पॉन्स न करें, तो बहुत बड़ी दिक्कत है. अगर गियर ठीक से न चेंज हो, तो भी सही नहीं है. अगर ऑटोमेटिक में एक्सेलेरेटर पैडल दबाने पर गियर चेंज होने में समय लगे या धक्का से महसूस हो तो फिर ट्रांसमिशन में परेशानी हो सकती है.

ये चीजें भी चेक करनी जरूरी

एक बार ड्राइव करते हुए कार का स्टीयरिंग व्हील छोड़ दीजिए. गाड़ी इधर-उधर भागने लगी, तो एलाइमेंट में दिक्कत है. वहीं, एक बार उबड़-खाबड़ वाली जगह पर भी गाड़ी चला लीजिए. कार बहुत ज्यादा धक्के खाए, तो सस्पेंशन में भी दिक्कत है. टायर की सभी डेट भी चेक करनी जरूरी है, क्योंकि कई बार वाहन मालिक खुद ही ध्यान नहीं देते कि उनके टायर की डेट एक्सपायर हो चुकी है. और ट्रेड्स तो चेक करने ही करने है.

गाड़ी के मैट्स उठाकर चेक करना भी जरूरी है. अगर यहां जंग दिखा तो ये समझने में देर न करें कि गाड़ी में पानी बहुत अच्छे से भरा था. या गाड़ी बाढ़ से होकर गुजरी है. इसके अलावा, सीट बेल्ट खींचने पर अगर स्लेप बैक करती है तो बढ़िया. अगर नहीं किया, तो लास्टिक खराब है. तुरंत ब्रेक लगाते समय खराब लास्टिक खतरनाक हो सकती है.

इन सब चीजों को चेक करने से आपको गाड़ी के बारे में काफी अच्छे से पता लग जाएगा. इंजन या ट्रांसमिशन में खराबी महंगा खर्च है. लेकिन सीट बेल्ट खराब होना. क्लच में दिक्कत, ब्रेक पैडल में परेशानी सेफ्टी के लिहाज से ठीक नहीं.

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