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E20 फ्यूल से गिर रहा माइलेज, इंजन में आ रही खराबी, सर्वे में डराने वाला खुलासा

E20 fuel mileage drop: E20 फ्यूल से गाड़ी का माइलेज गिर जाएगा. इंजन में खराबी होगी. ऐसे काफी दावे सोशल मीडिया पर किए जा रहे हैं. अब एक सर्वे में भी 10 में से 8 लोगों ने माना है कि 20 प्रतिशत एथेनॉल मिले फ्यूल की वजह से उनकी गाड़ी के माइलेज में कमी आई है.

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E20 फ्यूल से लोगों ने माइलेज गिरने का दावा किया है. (फोटो-Business Today)

E20 फ्यूल जितनी जल्दी से पूरे भारत में आया, उतनी ही लोगों की चिंता बढ़ गई. खासकर 2023 से पुरानी गाड़ियों के मालिकों की. (E20 fuel mileage drop) कहा जाने लगा कि 20 प्रतिशत एथेनॉल मिले फ्यूल से माइलेज गिर जाएगा. इंजन जल्दी खराब होने लगेगा आदि. अब तो एक सर्वे में भी सामने आया है कि E20 फ्यूल कई वाहन मालिकों के लिए महंगा साबित हो रहा है. क्योंकि ये ईंधन गाड़ी का न सिर्फ माइलेज कम कर रहा है, बल्कि पुरानी गाड़ियों के रखरखाव का भी खर्चा बढ़ा रहा है.

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बिजनेस स्टैंडर्ड ने LocalCircles के हवाले से लिखा कि 2022 या उससे पहले गाड़ी खरीदने वाले 10 में से 8 व्हीकल मालिकों ने माइलेज में कमी की बात स्वीकारी है. दरअसल, LocalCircles ने एक सर्वे किया था, जिसमें उन्हें भारत के 323 जिलों के लोगों से 36,000 से ज्यादा रिस्पॉन्स मिले. इसमें 69% पुरुष और 31% महिलाएं थीं. ये रिस्पॉन्स 45% टायर-I सिटी, 27% टायर-II सिटी और 28% छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों से मिले. रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में 67 प्रतिशत लोगों ने गाड़ी का माइलेज गिरने की बात मानी थी, जो अक्टूबर में 80 प्रतिशत हो गई.

इंजन का भी रखरखाव महंगा

यहां बात सिर्फ माइलेज की ही नहीं है. क्योंकि E20 फ्यूल का असर लोगों के इंजन, ईंधन लाइन, टैंक और कार्बोरेटर जैसे प्रमुख पुर्जों पर भी पड़ रहा है. इससे गाड़ी का रखरखाव भी महंगा हो रहा है. सर्वे में 52% लोगों के व्हीकल में टूट-फूट या मरम्मत की जरूरतों का सामना करने की भी बात सामने आई हैं. बता दें कि गाड़ी में खराबी का आंकड़ा अगस्त में 28 परसेंट था, जो अक्टूबर में दोगुना होकर 52% हो गया है. 

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फोटो-इंडिया टुडे

सरकार बेशक कितना ही कह लें कि E20 फ्यूल उनकी गाड़ी का नुकसान नहीं पहुंचाएगा. लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहते हैं. डाटा के मुताबिक, जैसे-जैसे पुराने वाहनों में E20 का इस्तेमाल हो रहा है, उनके पुर्जे तेजी से खराब होते जा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, मैकेनिकों ने फ्यूल इंजेक्टर की खराबी, दोपहिया वाहनों में मिसफायरिंग और टैंकों में समय से पहले जंग लगने जैसी समस्याओं की सूचना दी हैं.

प्रदूषण कम-मध्यमवर्गीय दुखी!

सरकार ने E20 ईंधन की शुरुआत को क्लिनर एनर्जी और किसानों के लिए बेहतर लाभ बताया. यहां तक कि नीति आयोग की रिपोर्ट में भी कहा गया कि गन्ना-आधारित एथेनॉल पेट्रोल की तुलना में CO₂ उत्सर्जन में 65% की कमी करता है. वहीं, मक्का बेस्ड एथेनॉल उत्सर्जन 50% की कमी करता है. ये फैसला बेशक पर्यावरण, इकोनॉमी और किसानों को सपोर्ट करता हो.  लेकिन इस बदलाव से कई लोग परेशान हैं. खासकर वह लोग, जो पुराने वाहनों पर निर्भर है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में लोगों ने कहा था कि अगर सरकार E20 ईंधन 20 प्रतिशत कम कीमत पर बेचे, तो वे इसका समर्थन कर सकते हैं.

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E27 फ्यूल लाने की बात

रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार अब E27 फ्यूल लाने की तैयारी में है. लेकिन भारतीय सरकार को ये जानना चाहिए कि जितनी रफ्तार से वो एथेनॉल पेट्रोल में मिला रही है, उतनी रफ्तार से लोग गाड़ियां नहीं बदलते हैं. अगर कोई व्यक्ति E20 फ्यूल कंप्लायंट कार ले रहा है और कुछ समय E27 फ्यूल मार्केट में आ जाए, तो उसे अपनी पुरानी गाड़ी की चिंता सताने लगेगी. इसलिए जरूरी है कि सरकार नए-नए नियम लाने से पहले लोगों को तैयार होने का मौका दें.
 

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