गाड़ी चलाते समय जितना ध्यान गियरबॉक्स, क्लच, ब्रेक पैडल और एक्सीलरेटर का रखा जाता है, उतना ही ध्यान टायरों का भी रखना जरूरी है. क्योंकि टायर ही हैं, जो गाड़ी को चलाने में मदद करते हैं. गियर बदलने से गाड़ी की स्पीड बदलती है और ब्रेक पैडल दबाने से स्पीड पर लगाम लगती है. ऐसे में अगर इन टायरों को कुछ हो गया, तो दुर्घटना हो सकती है. माने कि टायर पुराना है या उसकी ग्रिप नहीं बची, तो खतरा है.
गाड़ी के टायरों की भी उम्र का तकाजा है, अभी जान लीजिए कब बदलने चाहिए
Car Tyre Replacement Signs: गाड़ी के पहियों की भी उम्र होती है. जब वो अपनी उम्र पूरी कर लेते हैं, तो उन्हें बदलना ही ऑप्शन बचता है. ऐसे में टायर की हालत जानने के लिए कुछ संकेत आपकी मदद कर सकते हैं.
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ऐसे में अगर आपको तुरंत ब्रेक लगाना पड़े, तो ब्रेक जल्दी नहीं लगेंगे. इसके अलावा टायर में पकड़ ना होने से कार फिसल भी सकती है. टायर खराब होने की कई वजह हो सकती हैं, जैसे- सड़कों की खराब हालत या आपकी ड्राइविंग स्किल. इसलिए यह जान लेना जरूरी है कि टायरों को बदलने का सही समय क्या है, ताकि खराब टायर के साथ सफर ना करना पड़े.
ट्रेड का घिस जानाटायर ट्रेड, टायर का वो बाहरी हिस्सा है, जो सड़क के कॉन्टेक्ट में आता है और गाड़ी को पकड़ और हैंडलिंग देता है. ऐसे में टायर ट्रेड की गहराई से पता लगाया जा सकता है कि उन्हें कब बदलना चाहिए. जैसे कार के मामले में ट्रेड की गहराई 1 मिमी होनी चाहिए. इसलिए अगर कार के टायर ट्रेड की गहराई 1 मिमी से कम या फिर संकेत चिन्हों से कम हो गई है, तो समय है कि आप उन्हें बदल लें.

अगर आपको लगे कि आपकी कार वैसे ब्रेक नहीं लगा रही, जैसे वो पहले लगाया करती थी, तो इसकी दो वजह हो सकती हैं.
1. कार के ब्रेक पैड घिस गए हैं और उन्हें बदलने की जरूरत है.
2. कार के टायर इतने घिस गए हैं या खराब हो गए हैं कि ब्रेक लगाते समय अब वो जरूरी पकड़ नहीं बना पा रहे हैं.
जैसे-जैसे टायर पुराने होने लगते हैं, उनकी मिनिमम ब्रेकिंग दूरी कम होने लगती है. ऐसी गाड़ी में ज्यादा स्पीड में गाड़ी चलाना यानी दुर्घटना को बुलावा देने जैसा हो सकता है. इन टायरों को इसलिए जल्द बदल देना चाहिए.
बार-बार पंचर होनाटायर में पंचर होना आम है. लेकिन बार-बार पंचर होना, उन्हें बदलने की जरूरत का इशारा है. दरअसल, पुराने टायर में छोटी-मोटी चीजों और बंप से पंक्चर होने की संभावना ज्यादा होती है. इसलिए जब टायर को बार-बार पंचर होने की आदत लग जाए, तो उसे बदल लेना ही एक बेहतर ऑप्शन है.
साइडवॉल का डैमेज होनाअगर कार के टायरों की साइडवॉल पर असामान्य उभार या उनमें दरारें दिखाई दें, तो ये टायर चलाना सेफ नहीं है. साइडवॉल टायरों को सीधा रखने के साथ ही टायर के स्ट्रक्चर को भी प्रोटेक्ट करती है. डैमेज साइडवॉल के साथ गाड़ी चलाना मतलब टायर फटने को न्योता देने जैसा है. इसलिए जब साइडवॉल डैमेज दिखे, तो उन्हें तुरंत बदलवा लें.
टायरों की एंड ऑफ लाइफसभी टायरों की लाइफ कुछ निश्चित किलोमीटर के लिए तय होती है. इसे माइलेज कहते हैं. अगर आपकी गाड़ी के टायर अपने किलोमीटर की तय दूरी पूरी कर चुके हैं, तो उन्हें बदलने का समय आ गया है. ये आपके सफर को सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी है.
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टायर की उम्र पर भी नजरजैसे सभी चीजों की उम्र होती है, ठीक वैसे ही टायर की की उम्र का भी अपना तकाजा है. टायर के लिए भी जरूरी है कि जब उसकी उम्र पूरी हो जाए, तो उसे रिटायर कर दिया जाए. माने उसकी जगह नया टायर खरीदा जाए. आम तौर पर कार के टायर 6 साल की उम्र के लिए आते हैं, बाकि तो टायर की कंपनी ही उसकी सही उम्र बताएगी.

ये तो हमने जान लिया कि टायर को कब बदलना चाहिए, अब ये भी जान लेते हैं कि किन वजहों से टायरों की लाइफ घटती है.
1. सड़कों पर गड्ढे और बंप/ब्रेकर की वजह से भी टायरों को नुकसान पहुंचता है. मतलब तेज रफ्तार गाड़ी के गड्ढे में टकराने से टायर और पहिया दोनों को नुकसान हो सकता है. साथ ही पहियों के अलाइनमेंट में भी समस्या हो सकती है.
2. अगर गाड़ी चलाते समय आप ब्रेक का काफी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो ये भी टायरों की लाइफ घटने की एक वजह बन जाता है. माने कि आपकी गाड़ी की स्पीड तो कम है, लेकिन ब्रेक लगाते समय आप पूरा जोर पैडल पर लगा रहे हैं. ये टायर ट्रेड की गहराई को कम करने का काम करता है.
3. खराब मौसम में गाड़ी चलाना भी टायर की लाइफ कम होने की एक वजह बन सकता है. जैसे- बहुत गर्मी या सर्दी के मौसम में गाड़ी चलाने से कार के टायरों के केमिकल कंपोजिशन पर असर पड़ता है. वे समय से पहले बूढ़े होने लगते हैं.
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