कपिल देव जबरदस्ती क्रिकेटर्स पर गुस्सा रहे हैं?
ये प्रेशर नहीं है?

इंडियन पैरेंट्स और उनका बिजनेस वाला ऑब्सेशन. बच्चे जरा सी भी गलती करें, तो पैरेंट्स तड़ से उन्हें रिक्शाचालक और दुकानदार बनवाने लगते हैं. और पैरेंट्स की लगभग इसी पीढ़ी से आने वाले कपिल देव भी ऐसा ही कुछ बोल रहे हैं. इंडियन क्रिकेटर्स के ब्रेक लेने, प्रेशर की बात करने पर कपिल देव ने कहा,
‘प्लेयर्स कहते हैं कि हम IPL खेल रहे हैं, इसलिए बहुत प्रेशर है. यह शब्द काफी कॉमन हो गया है. ऐसे खिलाड़ियों के लिए मैं कहता हूं कि मत खेलो. कौन कह रहा है आपसे खेलने को? प्रेशर है, तो इज्जत भी आपको मिलेगी. गालियां भी आपको मिलेंगी. यदि आप गालियों से डरते हैं, तो मत खेलो. आप देश को रिप्रेजेंट कर रहे हो और आपको प्रेशर है. ये कैसे हो सकता है? 100 करोड़ लोगों में से आप 20 लोग खेल रहे हो और बोल रहे हो प्रेशर है.
प्रेशर एक अमेरिकी शब्द है. अगर आप नहीं खेलना चाहते हैं, तो ना खेलें. क्या कोई आपको मजबूर कर रहा है? जाकर केले की दुकान लगाओ. अंडे बेचो. आपको एक मौका मिला है, तो आप इसे प्रेशर के रूप में क्यों लेते हैं? इसे आनंद के रूप में लें और मजे करें. जिस दिन आप ऐसा करना शुरू कर देंगे तो आपको काम आसान लगने लगेगा. लेकिन अगर आप इसे प्रेशर कहेंगे, तो इससे कुछ अच्छा नहीं निकलेगा.’
इन शॉर्ट, कपिल देव ने IPL 2023 और वर्ल्ड कप से पहले इंडियन प्लेयर्स की क्लास लगा दी है. और साथ में एक बड़ी प्यारी बात कही कि अपने मौके को आनंद के रूप में लें. उसको इंजॉय करें, प्रेशर लेकर उसको खराब ना करें. लेकिन क्या इंडियन प्लेयर्स सच में ऐसा कर सकते हैं? क्या उनकी लाइफ़ इतनी आसान है? इसी पर चर्चा करते है.
और शुरुआत अपने देश की आबादी से करेंगे. जो कि क़रीबन सवा सौ करोड़ है. इसमें कितने ज़ीरो आएंगे, ये आप गिनिए. हम आपको बताते हैं कि इतनी बड़ी आबादी में से BCCI एक फॉर्मेट में इंडिया को रिप्रजेंट करने के लिए कुल 16 खिलाड़ियों को चुनती है. अब ऐसी स्थिति में प्रेशर कैसे ना आए, ये आप तय कीजिए.
बात सिर्फ IPL की नहीं हैये हुई एक बात. अब आते हैं, दूसरी बात पर. हाल में इस प्रेशर शब्द पर खूब बवाल कटा. बीच में ये भी आया कि खिलाड़ी पैसे के लिए IPL जैसे टूर्नामेंट में खेलते हैं, और जब इंडियन ड्यूटी की बात आती है, तब वो चोटिल हो जाते हैं या वर्कलोड मैनेज करने के लिए ब्रेक की बात करते हैं.
लेकिन हम यहां IPL को अगर साइड भी कर दें, तब भी क्या टीम इंडिया पूरे साल द्विपक्षीय सीरीज़ से बुक नहीं रहती? ये साल खत्म हो रहा है, तो टीम इंडिया का इसी साल का शेड्यूल देख लेते हैं. साल की शुरुआत टीम ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट और वनडे सीरीज़ से की. 23 जनवरी को ये सीरीज़ खत्म हुई.
और फिर पूरे 13 दिन के बाद उन्होंने वेस्टइंडीज़ के खिलाफ वनडे और T20I सीरीज़ शुरू कर दी. अब इस सीरीज़ के खत्म होने के तीन दिन बाद श्रीलंका के खिलाफ सीरीज़ हुई. टेस्ट और T20I. ये सीरीज़ 14 मार्च को खत्म हुई. और 26 मार्च से शुरू हो गया IPL, तक़रीबन 12 दिन बाद.
अब कई दफ़ा आप चाहते हैं कि आपके खिलाड़ी IPL खेलें, जिससे उनके पास विदेशी गेंदबाजों को खेलने का अनुभव हो. कई बार आप चाहते हैं कि वो यहां रेस्ट लेकर अपना वर्कलोड मैनेज कर लें. ताकि इंडिया के लिए खेलते समय वो फ्रेश रहें, ये डिबेट तो खैर चलती ही रहेगी.
लेकिन हम इससे अलग इंटरनेशनल शेड्यूल पर वापस लौटते हैं. टीम इंडिया ने IPL खत्म होने के 10 दिन के अंदर साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज़ खेली. (यहां पर आप सकते हैं कि नए खिलाड़ियों को मौका दिया गया, सीनियर प्लेयर्स नहीं खेले). लेकिन ऐसा हुआ क्यों? क्योंकि हमारे सीनियर प्लेयर्स इंग्लैंड पहुंच गए थे. इंग्लैंड की कंडीशंस से रुबरु होने के लिए टूर मैच खेल रहे थे.
और इन्हीं सबके बीच आयरलैंड के खिलाफ सीरीज़ भी हुई. इंग्लैंड के साथ इकलौते टेस्ट मैच के साथ वनडे और T20I सीरीज़ हुई. इसके बाद वेस्ट इंडीज़ का दौरा हुआ, वहां से जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे सीरीज़ हुई. फिर आया एशिया कप. इस टूर्नामेंट के खत्म होने के 12 दिन बाद घर पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ T20I सीरीज़.
प्रेशर तो है…ये खत्म होने के तुरंत बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले T20I सीरीज़. फिर वनडे. और फिर शुरू हुए T20 वर्ल्ड कप 2022 के लिए प्रैक्टिस मैच. करीबन एक महीना ये मेगा इवेंट चला. इस टूर्नामेंट को खत्म करने के बाद कई खिलाड़ी वहीं से न्यूज़ीलैंड उनके खिलाफ सीरीज़ खेलने के लिए रवाना हुए.
और जो वहां नहीं थे, वो फिर बांग्लादेश पहुंचे. उनके खिलाफ वनडे और टेस्ट सीरीज़ खेलने. अब कहिए प्रेशर.. लगभग हर मैच में परफॉर्म करने का प्रेशर .. वो क्या होता है? IPL को छोड़ भी दें तो बाकी क़रीबन 10 महीने लगातार खेलने में क्या ही प्रेशर? और वो भी उस ज़माने में, जब आपकी हर हरकत पर बारीकी से नज़र रखी जा रही हो.
आपकी हर गलती पर सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा और ट्रोलिंग हो रही है. वो भी उस देश में, जहां हर कोई अपनी गलियों में क्रिकेट खेलकर बड़ा हुआ है. और उनसे बेहतर क्रिकेटर तो आज तक कोई पैदा ही नहीं हुआ! ऐसे में प्रेशर की बात को सिरे से नकारना… बस वर्ल्ड कप विनर कप्तान ही कर सकता है. ये आम लोगों के बस की बात तो है नहीं.
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